Operation Sindoor : शहीद मनीष रंजन की तेरहवीं पर ऑपरेशन सिंदूर का तोहफा, गांव में गर्व और खुशी की लहर!

Operation Sindoor : रोहतास के अरूहीं गांव में शहीद के परिजनों को मिला सुकून, भारतीय सेना ने लिया बदला, आतंकियों को दी सजा..

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शहीद के परिजनों को मिला सुकून- फोटो : social media

Operation Sindoor : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में शहीद हुए रोहतास जिले के अरूहीं गांव के वीर सपूत मनीष रंजन की तेरहवीं मंगलवार को संपन्न हुई। ठीक उसी रात भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम देकर शहीद के बलिदान का बदला लिया। इस खबर ने अरूहीं गांव में गम के माहौल को गर्व और खुशी में बदल दिया।  

शहीद के भाई का भावुक बयान: "भारत ने दिखाई ताकत, आतंकियों को मिली सजा"

शहीद मनीष रंजन के भाई और आईबी अधिकारी शशि मिश्रा ने ऑपरेशन सिंदूर को शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि करार देते हुए कहा, "मनीष ने देश के लिए अपनी जान दी, और आज भारतीय सेना ने आतंकियों के ठिकानों को तबाह करके उनके बलिदान का सम्मान किया। यह कार्रवाई हर उस परिवार के लिए गर्व का पल है, जिसने अपने लाल को खोया है।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा, "आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। भारत सरकार और सेना ने कड़ा संदेश दिया है कि हम अपने नागरिकों की शहादत को कभी व्यर्थ नहीं जाने देंगे। ऐसी कार्रवाइयां आतंकियों के हौसले पस्त करती हैं।

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चाचा दीपक मिश्रा की हुंकार: "सिंदूर का बदला सिंदूर से लिया"

मनीष के चाचा दीपक कुमार मिश्रा ने ऑपरेशन सिंदूर को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, "आतंकियों ने हमारे घर का चिराग छीन लिया, लेकिन भारतीय सेना ने उनके ठिकानों को नेस्तनाबूद करके देश की बहन-बेटियों के सिंदूर का बदला लिया। यह कार्रवाई हमारी पीड़ा को कम करने वाला मरहम है। उन्होंने भावुक होते हुए बताया कि तेरहवीं के दिन जब ऑपरेशन की खबर गांव पहुंची, तो हर आंख में आंसुओं के साथ-साथ गर्व की चमक थी। "प्रधानमंत्री ने जो वादा किया, उसे पूरा किया। यह केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि देश के स्वाभिमान की जीत है," उन्होंने जोड़ा।  

गांव में दीप जलाकर सेना को सलाम, एकजुट हुआ अरूहीं

अरूहीं गांव में शहीद मनीष रंजन की तेरहवीं के मौके पर ग्रामीणों ने दीप जलाकर भारतीय सेना और सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। गांव की गलियों में "भारत माता की जय" और "मनीष रंजन अमर रहें" के नारे गूंजे। ग्रामीणों का कहना है कि मनीष जैसे शहीदों की कुर्बानी देश को आतंकवाद के खिलाफ और मजबूत बनाती है।एक बुजुर्ग ग्रामीण रामनाथ सिंह ने कहा, "हमें गर्व है कि हमारा मनीष देश के लिए शहीद हुआ। ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया कि भारत आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने में कभी पीछे नहीं हटेगा।" 

ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ भारत की हुंकार

ऑपरेशन सिंदूर, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, 2019 के बालाकोट हमले के बाद सबसे बड़ा सीमा पार अभियान है। मंगलवार रात 1:44 बजे शुरू हुए इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के शिविरों को निशाना बनाया गया। इस कार्रवाई ने न केवल आतंकियों के हौसले तोड़े, बल्कि शहीद मनीष रंजन जैसे वीरों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि दी।  

 शहीद का सम्मान, देश का गौरव

शहीद मनीष रंजन की तेरहवीं के दिन ऑपरेशन सिंदूर की खबर ने अरूहीं गांव को दुख और गर्व के मिश्रित भावों में डुबो दिया। यह कार्रवाई न केवल शहीद के परिजनों के लिए न्याय का प्रतीक बनी, बल्कि पूरे देश को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का संदेश भी दे गई। भारतीय सेना की इस वीरता ने साबित कर दिया कि शहीदों का बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता, और भारत आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार है।

रिपोर्ट- रंजन सिंह राजपूत