Bihar news - सांपों को जीवनदान देने वाले की जिंदगी का सांप ने किया अंत, स्नैक कैचर की सर्पदंश से मौत, सर्प मित्र की मौत का लाइव वीडियो आया सामने

Bihar news - हजारों सांपों का रेस्क्यू करनेवाले स्नैककैचर की सांप के डंसने से मौत हो गई। बताया गया कि वह सांप को पकड़ने के लिए गए थे। इसी दौरान जहरीले कोबरा ने उन्हें डंस लिया, जिसमें सबके सामने उनकी मौत हो गई।

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स्नैक कैचर की सर्पदंश से मौत- फोटो : रिषभ कुमार

Vaishali - गर्मी के दिनों में सांप निकलने की घटना में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिसे पकड़ने के लिए ग्रामीण इलाके के स्नैप कैचर को बुलाते है। जो बड़ी आसानी से सांप को कब्जे में कर लेते है लेकिन इस दौरान हल्की सी लापरवाही भी जान पर भारी पड़ जाता है।कुछ ऐसा हाल वैशाली जिले के राजापाकर निवासी जेपी यादव का भी हुआ। जो इलाके में सर्प मित्र यानी स्नैप कैचर के रुप में जाने जाते थे। लेकिन सांप रेस्कयू के दौरान ही जेपी यादव को एक जहरीले कोबरा ने डस लिया और जब तक लोग कुछ समझ पाते तब तक जेपी यादव की मौत हो चुकी थी।

इस पूरी घटना का लाइव वीडियो भी सामने आया है जिसमें देख सकते है कि सांप को पकड़ने के बाद किस तरह जेपी यादव सांप के साथ खिलवाड़ कर रहे है इसी बीच सांप ने उंगली में डस लिया।कुछ देर तक सब कुछ ठीक था और जेपी सांप को डब्बा में बंद करने का प्रयास कर रहे थे लेकिन धीरे धीरे सांप के जहर ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया जिसके बाद पहले जेपी यादव जमीन पर बैठ गए और फिर जमीन पर ही ढेर हो गए।

आनन फानन में जेपी को लोगो ने अस्पताल पहुंचाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी,अस्पताल के चिकित्सकों ने जेपी यादव को मृत घोषित कर दिया। जेपी यादव वैशाली के राजापाकर थाना क्षेत्र स्थित चकसिकन्दर गांव के रहने वाले थे। जिन्हें सांपो से डर नहीं लगता था इसलिए उन्हें सर्प मित्र के रूप में भी जाना जाता था।

वह किसी भी सांप को आसानी से पकड़ लेते थे और उन्हें ले जा कर जंगल मे छोड़ देते थे।दरअसल यह घटना रविवार की है जब वह राजापाकर में एक सांप का रेस्कयू करने पहुंचे थे।फ़िलहाल जेपी के शव को पोस्टमार्टम के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल लाया गया है।

समस्तीपुर में भी स्नैक कैचर की सांप काटने से हुई मौत

दो माह पहले समस्तीपुर में भी स्नैक कैचर की सांप के डंसने से मौत हुई थी। यहां जय नाम के एक युवक की मौत हुई । जय सांपों को बचाने का काम करता था। जय की सांप के काटने से मौत हो गई। उसने पिछले पांच सालों में लगभग दो हजार सांपों को बचाया था। यह विडंबना ही है कि जिस सांप को वह दूसरों के हाथों मरने से बचाता था, उसी सांप ने उसकी जान ले ली।

जय को सांपों पर बहुत भरोसा था। वह उन्हें अपना दोस्त मानता था। कई बार वह सांपों के साथ करतब भी दिखाता था। पहले वह रॉड से सांपों को पकड़ता था। लेकिन, धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि उसने बिना छड़ी के ही हाथों से सांप पकड़ना शुरू कर दिया।  

रिपोर्ट - रिषभ कुमार