भारत: वैश्विक आर्थिक संकट के बीच एक सुनहरा अवसर या खतरा?

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global economic crisis- फोटो : Social Media

वैश्विक आर्थिक संकट और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ नीति के कारण दुनिया के प्रमुख देशों में आर्थिक तनाव बढ़ रहा है, लेकिन भारत इस संकट से अपेक्षाकृत कम प्रभावित हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि हालांकि महंगाई, रोजगार, शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में भारत को खास ध्यान देने की जरूरत है, फिर भी इस संकट में हमारे लिए एक सुनहरा अवसर छिपा हो सकता है।

महंगाई और रोजगार पर बढ़ा खतरा, लेकिन समाधान भी है

ट्रंप के टैरिफ युद्ध ने दुनिया के कई देशों को आर्थिक रूप से परेशान किया है, लेकिन भारत पर इसका असर अपेक्षाकृत कम देखा गया है। फिर भी, महंगाई, रोजगार और विदेशी मुद्रा की कीमतों पर असर डालने का खतरा बना हुआ है। विशेष रूप से, टेक्सटाइल, फार्मा और आभूषण उद्योग जिनका अधिकांश कारोबार अमेरिकी निर्यात पर निर्भर करता है, इन क्षेत्रों में संकट की आहट पहले ही महसूस की जा रही है।

इसी के साथ, भारत में मंदी से बचने और व्यापार बढ़ाने के लिए नई बाजारों की तलाश तेज करने की आवश्यकता है।

खर्च-बचत का संतुलन आवश्यक:

आर्थिक संकट के इस दौर में आम आदमी को अपनी खर्च-बचत की आदतों पर फिर से विचार करने की जरूरत है। फिजूलखर्ची को रोका जाए और जहां भी खर्च जरूरी हो, वहां भारतीय उत्पादों का इस्तेमाल बढ़ाया जाए। इसका लाभ सीधे तौर पर भारतीय उद्योगों और छोटे व्यापारियों को मिलेगा, और अर्थव्यवस्था को एक स्थिरता मिलेगी। "आपकी जरूरत और अपने लोगों का रोजगार जुड़कर अर्थव्यवस्था की ताकत बनेगी," यह मंत्र आज के दौर में सबसे महत्वपूर्ण है।

नई तकनीक और हुनर से अपनी क्षमता को बढ़ाएं

यह समय सिर्फ आर्थिक संकट से निपटने का नहीं, बल्कि अपनी योग्यता और कौशल को नए तरीके से बढ़ाने का भी है। आज के दौर में एक नई तकनीक, विधा या हुनर सीखना न केवल व्यक्ति के लिए, बल्कि देश की समग्र अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। बच्चों को भी यह सिखाना होगा कि वे पारंपरिक रोजगार के अलावा, नई चीजों को सीखें और उन्हें अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएं।

भारत के लिए सुनहरा अवसर?

सभी आर्थिक विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि हालांकि वैश्विक संकट भारत को भी प्रभावित करेगा, लेकिन इसका असर बाकी दुनिया के मुकाबले भारत पर काफी कम होगा। और शायद इस संकट में भारत के लिए कुछ अच्छे अवसर भी सामने आ सकते हैं। विशेष रूप से, जिस कारोबार और निवेश को अब तक चीन, ताइवान, और वियतनाम जैसे देशों में किया जा रहा था, वह भारत की ओर मुड़ सकता है।

इसका मतलब यह है कि भारत अब अमेरिका के साथ ही अन्य देशों से भी बेहतर व्यापारिक रिश्ते स्थापित कर सकता है। अगर भारत ने सही समय पर इस अवसर को पकड़ा तो यह न केवल हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि हमारे रोजगार और व्यापार के लिए भी बड़ा वरदान साबित हो सकता है।