US Donald Trump Tariff: दुनिया में एक बार फिर से ट्रेड वॉर शुरू! ट्रंप ने 14 देशों पर लगाया 25% से 40% तक टैरिफ, जापान से लेकर साउथ कोरिया शामिल, जानें क्या भारत है लिस्ट में

US Donald Trump Tariff: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान, दक्षिण कोरिया सहित 14 देशों पर 25% से 40% तक नया टैरिफ लागू करने का ऐलान किया है। 1 अगस्त से यह निर्णय लागू होगा।

US Donald Trump Tariff
राष्ट्रपति ट्रंप का बड़ा फैसला- फोटो : social media

US Donald Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार जगत में ट्रेड वॉर की वापसी कर दी है। उन्होंने 14 देशों के ऊपर 25% से 40% तक के टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह फैसला 1 अगस्त 2025 से लागू होगा और यदि इन देशों ने समझौते नहीं किए, तो उन्हें भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पुष्टि की हमने सभी प्रमुख निर्यातक देशों को पत्र भेज दिए हैं। अगर वे समझौते नहीं करते हैं, तो नया टैरिफ अनिवार्य रूप से लागू होगा।”

टैरिफ लिस्ट में शामिल देश और दरें

नीचे उन 14 देशों की सूची है जिनपर अमेरिका ने टैरिफ लगाने का ऐलान किया है

देशनया टैरिफ (%)

जापान25%

दक्षिण कोरिया25%

मलेशिया25%

कजाकिस्तान25%

ट्यूनिशिया25%

दक्षिण अफ्रीका30%

बोस्निया और हर्जेगोविना30%

इंडोनेशिया32%

बांग्लादेश35%

थाईलैंड36%

कंबोडिया36%

लाओस40%

म्यांमार40%

ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि इन देशों ने जवाबी शुल्क (retaliatory tariff) लगाए, तो अमेरिका भी और अधिक टैरिफ बढ़ा सकता है।

किन देशों के साथ बनी सहमति, कौन अभी तक बाहर?

ट्रंप ने जानकारी दी कि अमेरिका ने ब्रिटेन, चीन और वियतनाम के साथ व्यापारिक समझौते कर लिए हैं। वहीं, भारत के साथ अंतिम चरण की बातचीत जारी है।बाकी देशों ने बातचीत में रुचि नहीं दिखाई, इसलिए उन्हें सीधा नोटिस भेज दिया गया है। यह एकतरफा निर्णय डिप्लोमैटिक संबंधों में तनाव भी पैदा कर सकता है।

ट्रंप की रणनीति: घरेलू उद्योग को बढ़ावा या वैश्विक टकराव?

राष्ट्रपति ट्रंप की यह रणनीति उनके पुराने “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे का हिस्सा है। उनके अनुसार यह टैरिफ अमेरिकी कंपनियों को संरक्षण देगा। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगा। वैश्विक असमानताओं को संतुलित करेगा लेकिन आर्थिक विशेषज्ञों की मानें तो यह कदम वैश्विक सप्लाई चेन को और अस्थिर करेगा। आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि करेगा। निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा और अंततः उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ाएगा।