S&P Global Rating: भारत के कंपनी को विदेशों से आसानी से मिल सकेगा कर्ज! ट्रंप की टैरिफ भी नहीं बिगाड़ पाएगी कुछ, जानें क्या हुआ ऐसा कि मार्केट का खिल गया चेहरा?

S&P Global Rating: S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने 19 साल बाद भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग ‘BBB’ कर दी है। जानें इसका मतलब, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और कंपनियों के लिए फायदे।

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भारत की क्रेडिट रेटिंग अपग्रेड पर S&P ग्लोबल रिपोर्ट - फोटो : SOCIAL MEDIA

S&P Global Rating:  S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने गुरुवार (14 अगस्त 2025)  को भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग ‘BBB’ कर दी, जो निवेश स्तर की रेटिंग है और 19 साल बाद का पहला अपग्रेड है।

एजेंसी ने इस बदलाव के पीछे तीन मुख्य कारण बताए:

भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार और वित्तीय अनुशासन।

महंगाई को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम।

S&P के अनुसार, भारत की लगभग 60% आर्थिक वृद्धि घरेलू खपत से आती है और व्यापार पर निर्भरता कम है, जिससे अमेरिकी टैरिफ का असर सीमित रहेगा।

डोनाल्ड ट्रंप के बयान और टैरिफ का संदर्भ

रेटिंग अपग्रेड ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को “डेड इकोनॉमी” कहा था और भारत पर 25% बेस टैरिफ के साथ रूस से तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25% पेनाल्टी टैरिफ लगाया है।27 अगस्त से भारतीय सामानों पर कुल 50% शुल्क लागू होगा — जो अब तक का सबसे ऊंचा है।फिर भी, S&P का मानना है कि भारत की आर्थिक संरचना और घरेलू मांग पर आधारित वृद्धि उसे इस झटके से बचाने में सक्षम है।

क्रेडिट रेटिंग अपग्रेड के फायदे

क्रेडिट रेटिंग में सुधार से कई सकारात्मक आर्थिक प्रभाव होंगे। भारतीय कंपनियों और सरकार के लिए विदेशी बाजारों से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा। विदेशी निवेशक भारत में निवेश को लेकर अधिक आश्वस्त होंगे।मजबूत निवेश प्रवाह से रुपया स्थिर हो सकता है।2007 में S&P ने भारत को ‘BBB-’ रेटिंग दी थी, जो निवेश स्तर की सबसे निचली श्रेणी है। अब ‘BBB’ पर अपग्रेड से भारत एक पायदान ऊपर आ गया है।

S&P का दृष्टिकोण और भविष्य की संभावना

S&P ने मई 2024 में भारत की रेटिंग आउटलुक को ‘स्थिर’ से ‘सकारात्मक’ किया था और संकेत दिया था कि 24 महीनों में सुधार हो सकता है।एजेंसी ने अपग्रेड के साथ कहा कि भारत की साख में सुधार, महंगाई पर अंकुश लगाने वाले बेहतर मौद्रिक नीति परिवेश के साथ मजबूत आर्थिक वृद्धि को दर्शाता है। भविष्य में, अगर भारत राजकोषीय घाटा घटाने और संरचनात्मक सुधारों को जारी रखता है, तो रेटिंग में और सुधार संभव है।