LATEST NEWS

शौक को बिजनेस में बदलकर हर महीने 50 हजार रुपये कमा रही उड़िसा की ये महिला, कई लोगों के लिए बनी प्रेरणास्त्रोत

ओडिशा की सुधारानी मरांडी ने अपने शौक को बिजनेस में बदलकर इको-फ्रेंडली सजावटी सामान और ज्वेलरी के कारोबार से हर महीने 50,000 रुपये की कमाई शुरू की। जानें उनकी सफलता की कहानी।

शौक को बिजनेस में बदलकर हर महीने 50 हजार रुपये कमा रही उड़िसा की ये महिला, कई लोगों के लिए बनी प्रेरणास्त्रोत
sudharani marandi- फोटो : SOCIAL MEDIA

sudharani marandi jhunuk crafts: अगर आप अपने शौक और हुनर को बिजनेस में बदलें, तो सफलता मिलना तय है। ओडिशा की सुधारानी मरांडी (Sudharani Marandi) ने भी कुछ ऐसा ही किया है। उन्होंने अपने बचपन के शौक को एक सफल कारोबार में तब्दील कर लिया। सुधारानी इको-फ्रेंडली सजावटी सामान, ज्वेलरी, टिशू बॉक्स, फोटो फ्रेम और नेमप्लेट जैसे प्रोडक्ट बनाती हैं। वह इन प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्लेटफॉर्म्स पर बेचती हैं, जिससे वह हर महीने अच्छी खासी कमाई कर रही हैं।

कॉलेज के समय से शुरू की कमाई

सुधारानी का शिल्प के प्रति जुनून कॉलेज के दिनों से ही नजर आने लगा था। जब भी उन्हें अपने पिता से जेब खर्च मिलता, वह उसे सजावटी सामान खरीदने में खर्च करतीं। हालांकि, उनके पिता को यह पसंद नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने जुनून को कमाई का जरिया बना लिया। कॉलेज में रहते हुए, वह इको-फ्रेंडली डेकोरेटिव आइटम्स बनाकर अपने दोस्तों और जानकारों को बेचने लगीं, जिससे उन्हें हर महीने करीब एक हजार रुपये की कमाई होने लगी।

अपना ब्रांड 'झुनुक क्राफ्ट्स' किया शुरू

अपने हुनर को और आगे बढ़ाते हुए, सुधारानी ने अपने ब्रांड 'झुनुक क्राफ्ट्स' (Jhunuk Crafts) की शुरुआत की। आज उनके सभी उत्पाद इसी ब्रांड के तहत बनाए जाते हैं। उनका यह ब्रांड एमएसएमई (MSME) में रजिस्टर्ड है। सुधारानी इको-फ्रेंडली गिफ्ट आइटम्स के साथ-साथ बेकार पड़े गत्तों और टेट्रा पैक से राखियां, चाबी के छल्ले, ग्रीटिंग कार्ड आदि भी बनाती हैं। अपने प्रोडक्ट्स को प्रमोट करने के लिए वह सोशल मीडिया का भी सहारा लेती हैं।

इंटरनेट से सीखी नई चीजें

सुधारानी ने अपने कौशल को निखारने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया। उन्होंने इंटरनेट से विभिन्न शिल्पों को सीखा और उन्हें अपने कारोबार में लागू किया। 2016-17 में बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई के दौरान उनके कॉलेज प्रिंसिपल ने उनके इस हुनर की सराहना की और कॉलेज ने 20 हजार रुपये की लागत से एक मशीन लगाई। इसके बाद वह इस मशीन की मदद से हर महीने करीब 200 प्रोडक्ट्स बनाने लगीं। उनके पति, जो एक बैंक अधिकारी हैं, उन्हें उनके इस काम में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

'झुनुक क्राफ्ट्स' का नाम और मतलब

सुधारानी संथाल आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। वह बताती हैं कि संथाली भाषा में 'झुनुक' का मतलब 'सीप' होता है, जिसके अंदर मोती छिपा रहता है। उनके अनुसार, इस ब्रांड के नाम ने उनके अंदर छिपे कलाकार को बाहर लाने का काम किया है।

कितनी है कमाई?

सुधारानी के प्रोडक्ट्स की कीमत 20 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक होती है। वह अपने प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्लेटफॉर्म्स पर बेचती हैं। इसके अलावा, उन्हें अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से भी ऑर्डर मिलते हैं। वह कई प्रदर्शनियों और फेस्टिवल्स में अपने प्रोडक्ट्स को प्रदर्शित करती हैं। इन सब के जरिए, सुधारानी हर महीने करीब 50 हजार रुपये की कमाई करती हैं।

Editor's Picks