Bihar Teacher murder: शिक्षक गला रेत कर निर्मम हत्या, प्रेम प्रसंग या कुछ और? झील की कोख में समा गया सपना

Bihar Teacher murder: एक साल पूर्व जीवन में नवयौवन का रंग भरने वाले शिक्षक का अब केवल एक नाम है, जिसकी याद में मां की रुलाई और पिता की जड़ता गूंज रही है।

Bihar Teacher murder
शिक्षक गला रेत कर निर्मम हत्या- फोटो : social Media

Bihar Teacher murder: बेगूसराय की पावन धरती, जहां शिक्षा लौ टिमटिमाते दीपक सी जलती है, वहां अब रूह कंपा देने वाली एक वारदात ने समूचे इलाके को दहला दिया है। गढ़पुरा थाना क्षेत्र के कनौसी गांव का एक होनहार युवा, 22 वर्षीय धर्मेंद्र कुमार उर्फ बाबुल, जो बच्चों को ज्ञान बांटने का संकल्प लेकर ट्यूशन पढ़ाता था—अब चिरनिद्रा में सो चुका है। उसकी हत्या जिस बेरहमी से की गई, उसने मानवता को शर्मसार कर दिया।

शुक्रवार की सांझ जब काबर झील की हवाओं में कुछ अजीब सी खामोशी घुली थी, तभी भोरहा स्थान बहियार से एक सनसनीखेज खबर आई—एक युवक की गर्दन रेत दी गई थी और उसका रक्तरंजित शरीर अधखुले खेत में पड़ा था। वही बाबुल था—जिसके घर में अभी शादी के बाद की चूड़ियों की खनक थमी भी नहीं थी।

एक साल पूर्व जीवन में नवयौवन का रंग भरने वाला बाबुल, अब केवल एक नाम है, जिसकी याद में मां की रुलाई और पिता की जड़ता गूंज रही है। परिजन जब गुरुवार की रात 9 बजे तक उसकी राह तकते रहे और वह न लौटा, तब उनके दिल में जो आशंका उठी थी, शुक्रवार को वह हकीकत बनकर टूटी।

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार बाबुल रोज की तरह ट्यूशन पढ़ाने निकला था। मणिकपुर, रक्सी और कनौसी में वह घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाता था। मगर इस दिन, मणिकपुर में उसकी अंतिम लोकेशन मिली। बताया जा रहा है कि वहां उसने कुछ युवकों के साथ विरंची राम के घर देशी शराब भी पी थी। इसके बाद वह कहीं नजर नहीं आया।

बाबुल की तलाश में परिजनों ने जब विरंची राम की पत्नी से पूछताछ की तो उन्होंने उस रात की हल्की-सी परत हटाई। इसके बाद जब काबर झील के पास खोजबीन शुरू हुई, तब भोरहा के बहियार से बाबुल की लाश मिली—गले पर गहरे कट के निशान, चेहरा डर और पीड़ा से सना हुआ। उसकी बाइक और मोबाइल अभी तक लापता हैं।

पुलिस की चार-चार टीमें—गढ़पुरा, मंझौल, छौड़ाही और चेरिया बरियारपुर से घटनास्थल पर पहुंचीं। लेकिन सीमा विवाद की उलझन के कारण अंचलाधिकारी और अमीन को भी बुलाना पड़ा। एफएसएल की टीम को भी साक्ष्य संकलन के लिए तैनात किया गया है।हत्या के पीछे के कारण अब भी धुंध में लिपटे हैं। परिजन किसी से रंजिश की बात से इनकार कर रहे हैं, मगर गांव में चर्चा है कि यह कोई साधारण हत्या नहीं, बल्कि प्रेम-प्रसंग की वेदी पर चढ़ा बलिदान है।अब यह जिम्मेदारी कानून के हाथों है कि वह बाबुल के खून की एक-एक बूंद का हिसाब मांगे। लेकिन एक सवाल अनुत्तरित रह गया—क्या ज्ञान देने वाला एक शिक्षक भी अब इस समाज में सुरक्षित नहीं? क्या अब गुरुकुलों की धरती पर भी मृत्यु का तांडव सहज हो गया है?