Doctor Firing:डॉक्टर को बदमाशों ने गोली मारी,घर पर पहले बम... अब खून!"
Doctor Firing:स्वास्थ्य विभाग के रिटायर्ड निदेशक को तीन नकाबपोश हमलावरों ने गोली मार दी।

Doctor Firing: एक हाई-प्रोफाइल फायरिंग केस ने सनसनी मचा दी है। गयाजी के शेरघाटी के शेखपुरा मोड़ पर स्वास्थ्य विभाग के रिटायर्ड निदेशक डॉ. तपेश्वर प्रसाद सिंह को तीन नकाबपोश हमलावरों ने गोली मार दी। सुबह 8:30 बजे हुए इस कांड ने पूरे इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। गोली डॉक्टर के चेहरे पर जा लगी, और उन्हें गंभीर हालत में पहले अनुमंडलीय अस्पताल फिर गयाजी रेफर कर दिया गया।
पुलिस के अनुसार, हमलावर फायरिंग के बाद मौके से भाग निकले, लेकिन उनमें से एक की पिस्टल घटनास्थल पर गिर गई, जिसे स्थानीय लोगों ने पुलिस को सौंप दिया। इससे साफ है कि हमलावर पेशेवर थे, लेकिन जल्दबाज़ी में गलती कर बैठे। अब पुलिस उसी पिस्टल के आधार पर हमलावरों की पहचान में जुट गई है।
इस हमले की जड़ें सिर्फ फायरिंग तक सीमित नहीं हैं। डॉ. तपेश्वर और उनके बेटे डॉ. शशि रंजन के बीच वर्षों से संपत्ति को लेकर विवाद चला आ रहा है। यही नहीं, छह महीने पहले डॉ. तपेश्वर के घर पर बमबाजी भी हो चुकी है, और तब भी शक की सुई़ घर के अंदर तक गई थी।
तपेश्वर सिंह ने पहले भी अपने बेटे शशि के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालांकि पुलिस फिलहाल किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले हर एंगल से तफ्तीश कर रही है। मगर जुर्म की दुनिया में जहां दुश्मनी घर से शुरू हो, वहां कत्ल और साजिश की लकीरें भी परिवार के खून से खिंचती हैं।
पुलिस को शक है कि हमलावर भाड़े के अपराधी थे, जिन्हें किसी ने टारगेट पर भेजा। संपत्ति का झगड़ा, पुरानी दुश्मनी, और हमला करने का तरीका, इन सभी पहलुओं को मिलाकर देखा जाए, तो मामला किसी फैमिली फिउड के खूनी अंजाम जैसा लगता है।
फिलहाल शेरघाटी थाना पुलिस सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन और पिस्टल की फॉरेंसिक जांच में जुटी है। पुलिस कप्तान ने कहा कि हम इसे एक प्री-प्लान्ड अटैक मान रहे हैं। इसमें परिवारिक रंजिश के साथ बाहरी किराए के शूटरों की भूमिका भी सामने आ रही है। जल्द ही सभी चेहरों को बेनकाब किया जाएगा।
शेरघाटी की इस ‘डॉक्टर बनाम डॉक्टर’ जंग ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब लालच और रंजिश एक साथ खून में उतरती है, तो रिश्ते भी बारूद हो जाते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस किसका नाम उजागर करती है – कोई पराया या अपना?
रिपोर्ट- मनोज कुमार