Police Encounter: बिहार में फिर खौफ़नाक एनकाउंटर, पुलिस ने ज्वेलर्स लूटकांड का मोस्ट वॉन्टेड बदमाश को मारी गोली

Police Encounter:अपराध और क़ानून के बीच खौफ़नाक टकराव हुआ। मोस्ट वॉन्टेड अपराधी है जो हाल ही में धर्मपरसा गांव स्थित एक ज्वेलर्स दुकान पर दिन-दहाड़े हुई लूट में शामिल को पुलिस ने धर दबोचा है।

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बिहार में फिर खौफ़नाक एनकाउंटर- फोटो : reporter

Police Encounter:अपराध और क़ानून के बीच खौफ़नाक टकराव हुआ। जलालपुर गांव के पास, पुलिस और कुख्यात बदमाश विकास सिंह कुशवाहा के बीच हुई मुठभेड़ ने पूरे इलाक़े में सनसनी फैला दी।गोपालगंज ज़िले के मांझागढ़ थाना इलाक़े में सोमवार को मुठभेड़ हुआ।  यह वही मोस्ट वॉन्टेड अपराधी है जो हाल ही में धर्मपरसा गांव स्थित एक ज्वेलर्स दुकान पर दिन-दहाड़े हुई लूट में शामिल था।

पुलिस अधीक्षक अवधेश दीक्षित के मुताबिक, गुप्त ख़बर मिली थी कि विकास किसी नई वारदात को अंजाम देने की साज़िश रच रहा है। सूचना मिलते ही एक विशेष टीम गठित की गई और चारों ओर से घेराबंदी शुरू हुई। जैसे ही पुलिस जलालपुर गांव के नज़दीक ईंट भट्ठा (चिमनी) पर पहुँची, विकास ने पुलिस को देखते ही हथियार निकालकर दो राउंड फ़ायर झोंक दिया। एक गोली पुलिस की गाड़ी की खिड़की चीरती हुई अंदर तक पहुँची, लेकिन गनीमत रही कि कोई ज़ख़्मी नहीं हुआ।

जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने आत्मरक्षा के तहत गोलियां चलाईं। एक गोली सीधे विकास के बाएँ घुटने में लगी। दर्द से कराहते हुए वह ज़मीन पर गिर पड़ा। मौक़े पर ही उसे दबोच लिया गया और हथियार भी बरामद हुए—एक पिस्टल, दो जिंदा कारतूस और दो खोखे।

विकास सिंह कुशवाहा, उम्र 22 वर्ष, मूल निवासी सीरिश्तापुर, जनता बाज़ार (छपरा) का रहने वाला है और स्वर्गीय कृष्णा सिंह का बेटा है। इस पर हत्या, लूट, रंगदारी समेत कई संगीन धाराओं में केस दर्ज हैं। लंबे समय से यह पुलिस के राडार पर था, लेकिन हर बार फ़रार हो जाता था।

मुठभेड़ के बाद उसे तत्काल सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों की निगरानी में उसका इलाज जारी है। पुलिस उससे धर्मपरसा लूटकांड के अलावा अन्य लंबित मामलों की भी तफ़्तीश कर रही है।

इस घटना ने इलाके में क़ानून-व्यवस्था को लेकर चर्चा तेज़ कर दी है। जहां पुलिस अपनी सफलता पर राहत की सांस ले रही है, वहीं गांव के लोग हैरान हैं कि इतनी कम उम्र में कोई अपराध की दुनिया में इतना बड़ा नाम कैसे बन सकता है। यह मुठभेड़ इस बात का सबूत है कि अपराध की उम्र नहीं होती—बस नीयत और रास्ता तय करता है कि मंज़िल सलाखें होंगी या कब्र।

रिपोर्ट- नमो नारायण मिश्रा