Bihar Naxal Dhamki: 'मंत्री सुमित सिंह का प्रचार बंद करो वरना छह इंच छोटा कर देंगे’, काला झंडा और नक्सली पर्चा मिलने से हड़कंप
लाल कलम से लिखा पर्चा और एक काला झंडा मिला। पर्चे पर साफ़ तौर पर “भाकपा माओवादी” लिखा था और 13 नामों को सुधारने की नसीहत दी गई, नहीं तो “छह इंच छोटा” करने की धमकी का ज़ुबानी इरादा जाहिर किया गया। ..

Bihar Naxal Dhamki: जमुई के चिहरा थाना क्षेत्र के बरमोरिया पंचायत के रक्खा टोला में खुला मैदान सनसनीखेज मंजर बन गया जब वहाँ लाल कलम से लिखा पर्चा और एक काला झंडा मिला। पर्चे पर साफ़ तौर पर “भाकपा माओवादी” लिखा था और 13 नामों को सुधारने की नसीहत दी गई, नहीं तो “छह इंच छोटा” करने की धमकी का ज़ुबानी इरादा जाहिर किया गया। इस घटना ने सीमाई इलाक़े में खौफ़ और सियासी हलचल दोनों मचा दीं। पर्चे में मंत्री सह चकाई विधायक सुमित कुमार सिंह और विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी पोलुस का भी नाम दर्ज है।
गाँव के नौजवान जब फुटबॉल खेलने पहुँचे तो मैदान में काला झंडा और उसके पास पन्ने बिखरे पड़े देखे। पर्चे के पास सफेद पाउडर और सिंदूर से बनी आकृतियाँ मिलीं, साथ में नाश्ते के इस्तेमाल किए कागज़ भी बिखरे मिले जो किसी इशारे से कम नहीं थे। पर्चे पर कई नामों के साथ धमकी भरे अल्फाज़ और लेखन में चुनावी गठजोड़ों, लेवी और पैसों के ऐलान का भी ज़िक्र था।
मौके की सूचन पर चिहरा पुलिस फोर्स और बाद में झाझा के एसडीपीओ राजेश कुमार भी पहुँचे। पर्चा व काला झंडा जब्त कर विधिवत मुहर लगाकर केस दर्ज कर लिया गया है। थाना प्रभारी ने बताया कि सभी बिंदुओं की गहन जाँच जारी है और फोरेंसिक टीम से सैंपल भेजे जा रहे हैं।
पर्चे में उल्लिखित कई नामों में स्थानीय नेता, मुखिया और पार्टी कार्यकर्ता शामिल हैं, जिनके प्रति स्पष्ट धमकी और लिए गए ऋण व वसूली के आरोप लाइन दर लाइन लिखे थे। कुछ हिस्सों में आला नक्सली नेताओं की शहादत का ज़िक्र तथा झारखंड में हुई घटनाओं को श्रद्धांजलि के तौर पर पेश करना, इस पर्चे को राजनीतिक साज़िश या नक्सली अस्तित्व की सुबूत जैसा बना रहा है।
स्थानीय लोग भयभीत हैं और पंचायत स्तर पर भी हड़कम्प मचा है। प्रशासन ने अपील की है कि कोई अफ़वाह न फैलाएँ और पुलिस को सूचना दें। जाँच में यह पता लगाया जा रहा है कि क्या यह पर्चा व झंडा वाकई माओवादी पृष्ठभूमि से है या किसी गिरोह की नफ़रती कोशिश।
जमुई पुलिस ने आश्वासन दिया है कि दोषी बग़ैर किए नहीं छूटेंगे और जो भी संगठन अथवा लोग इसमें लिप्त पाए गए उन्हें सख़्ती से मुक़ाबला किया जाएगा। ग्रामीण अब सुरक्षा व सतर्कता के साथ अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी जिया रहे हैं, पर सवाल यही है कि क्या यह धमकी एक नई हिंसक लहर की आहट है या सिर्फ़ एक सियासी दंगल की आनख में लिखी चेतावनी? जांच से जो भी हक़ीक़त सामने आएगी, वह स्थानीय राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था दोनों पर असर डालेगी। सरकार और पुलिस मिलकर यह तय करें कि सीमाई इलाक़ों में नागरिकों की हिफाज़त कैसे बढ़ाई जाए और कौन से क़दम ज़रूरी हैं। सभी पहलुओं का फौरन जवाब चाहिए।
रिपोर्ट- सुमित कुमार सिंह