NDA में सीट बंटवारे पर भाजपा-जदयू में बनी सहमति! चिराग-मांझी को इन सीटों पर मिलेगा मौका, उपेंद्र को भी मौका
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग पर आम सहमति बनने की ओर है. इसमें भाजपा-जदयू जहां बराबरी पर चुनाव मैदान में उतरेगी, वहीं चिराग-मांझी और उपेंद्र के लिए खास रणनीति बनाई गई है.

Bihar Assembly Election : बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत अब अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (यूनाइटेड) [जद(यू)] के बीच 243 सीटों में से 100 से 105 सीटों पर बराबर-बराबर चुनाव लड़ने पर लगभग सहमति बन गई है।
हालांकि, एनडीए के सहयोगी दलों में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) [लोजपा(RV)] को लेकर अब भी गतिरोध बना हुआ है। लोजपा(RV) की ओर से 40 सीटों की मांग की गई है, जबकि उन्हें लगभग 20 सीटें दिए जाने की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि यह मसला अब तक बातचीत में सबसे बड़ा अड़चन बना हुआ है। सूत्रों की मानें तो बाकी बची सीटें जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) [हम (एस)] और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के बीच बांटी जा सकती हैं।
2020 के प्रदर्शन से तुलना
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जद(यू) ने 115 और भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वहीं, एनडीए का हिस्सा रही विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने 11 और हम (एस) ने सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। उस चुनाव में भाजपा ने 74 सीटें जीतकर जद(यू) (43 सीटें) से बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सहयोगी समीकरण को प्रभावित किया था। हालाँकि, उस चुनाव में लोजपा ने एनडीए का हिस्सा होते हुए भी जद(यू) के खिलाफ प्रत्याशी उतारे थे। पार्टी ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल मटिहानी सीट जीत पाई। बावजूद इसके, लोजपा ने कई सीटों पर जद(यू) को हार दिलाई — 64 सीटों पर वह तीसरे स्थान पर रही, लेकिन वहां मिले वोट विजेता के अंतर से ज्यादा थे। 27 सीटों पर लोजपा दूसरे स्थान पर रही और उसने सीधे जद(यू) को नुकसान पहुँचाया।
लोजपा(RV) की दावेदारी और तर्क
2024 के लोकसभा चुनावों में लोजपा (रामविलास) के अच्छे प्रदर्शन के बाद पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा है। चिराग पासवान की अगुवाई में पार्टी ने लड़ी गई सभी 5 सीटें जीतीं और राज्य में 6% से अधिक वोट शेयर हासिल किया। इतना ही नहीं, इन सीटों के अंतर्गत आने वाले 30 विधानसभा क्षेत्रों में से 29 पर पार्टी को बढ़त मिली। इसी प्रदर्शन के आधार पर लोजपा(RV) एनडीए से ज्यादा सीटों की मांग कर रही है।
भाजपा-जद(यू) को समान सीटें
भाजपा और जद(यू) के बीच बातचीत अब लगभग अंतिम रूप ले चुकी है। दोनों ही दल इस बार संतुलित हिस्सेदारी के साथ मैदान में उतरना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार, जद(यू) किसी भी हाल में 100 से कम सीटें स्वीकार करने को तैयार नहीं है, और भाजपा भी इस बार सहयोगी की भूमिका में सीमित नहीं रहना चाहती। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सीटों का यह गणित ही आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत या हार का आधार तय करेगा।