Bihar Election 2025: एनडीए की प्रचंड जीत पर भी 11 सीटों ने बढ़ाया सियासी रोमांच, कुछ वोटों ने बदल दी बिहार की तकदीर
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का जनादेश साफ हो चुका है 243 सीटों में से 202 सीटों पर एनडीए का कब्ज़ा और राज्य की सियासत में एक बार फिर मोदी नीतीश की जोड़ी का करिश्मा कायम।
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का जनादेश साफ हो चुका है 243 सीटों में से 202 सीटों पर एनडीए का कब्ज़ा और राज्य की सियासत में एक बार फिर मोदी नीतीश की जोड़ी का करिश्मा कायम। महागठबंधन 35 सीटों पर सिमट गया और 6 सीटें अन्य दलों के हिस्से में गईं। पूरे प्रदेश में एनडीए के पक्ष में चली ज़बरदस्त लहर ने राजनीतिक समीकरणों को तहस नहस कर दिया। लेकिन इसी जबरदस्त बहुमत के बीच 11 सीटों ने बिहार की चुनावी तस्वीर को रोमांचक मोड़ दिया, जहां जीत–हार का फासला इतना कम था कि हर राउंड के बाद हवा का रुख बदलता दिखाई दिया।
सबसे दिलचस्प मुकाबला संदेश विधानसभा सीट पर देखने को मिला, जहां जेडीयू के राधाचरण शाह ने राजद के दीपू सिंह को सिर्फ 27 वोट से हराया। शाह को 80,598 जबकि दीपू को 80,571 वोट मिले—यह पूरे चुनाव का सबसे छोटा अंतर था।
इसी तरह रामगढ़ सीट पर मुकाबला आखिरी सांस तक खिंचा रहा। बसपा के सतीश यादव ने भाजपा के अशोक सिंह को मात्र 30 वोट से पछाड़ दिया। दोनों उम्मीदवार हर राउंड में आगे–पीछे होते रहे और अंत में 72,689 बनाम 72,659 पर फैसला आकर ठहर गया।
अगिआंव सीट पर भाजपा के महेश पासवान ने माले के शिव प्रकाश रंजन को 97 वोट से मात दी, जबकि नबीनगर में जेडीयू के चेतन आनंद ने राजद के अमोद चंद्रवंशी को 112 वोट से हराया। दोनों सीटों पर आखिरी मिनट तक नतीजे बदलते रहे।
ढाका में राजद के फैसल रहमान ने भाजपा के पवन जायसवाल को 178 वोट, फारबिसगंज में कांग्रेस के मनोज विश्वास ने भाजपा के विद्यासागर को 221 वोट, और जोकीहाट में लोजपा रामविलास की संगीता देवी ने AIMIM उम्मीदवार आदिल हसन को 389 वोट से हराकर सीटें छीन लीं।
वहीं कांग्रेस के अभिषेक रंजन ने भाजपा के उमाकांत सिंह को 602 वोट, राजद के राहुल कुमार ने जेडीयू के चंदेश्वर प्रसाद को 793 वोट, और बोधगया में राजद के कुमार सर्वजीत ने लोजपा रामविलास के श्याम देव पासवान को 881 वोट से हराया। लोजपा रामविलास के अरुण कुमार शाह ने राजद के अनिरुद्ध कुमार को 981 वोट से मात दी।
इन सभी सीटों ने यह साबित किया कि बिहार का चुनावी अखाड़ा सिर्फ लहरों से नहीं, बल्कि हर एक वोट की कीमत से तय होता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मामूली अंतर से आए नतीजे लोकतंत्र की उस बारीकी को उजागर करते हैं, जहां सैकड़ों नहीं, दर्जनों वोट पूरी सियासत को पलट सकते हैं।यह चुनाव याद दिला गया वोट छोटा हो सकता है, लेकिन उसका असर कभी छोटा नहीं होता।