Bihar Vidhansabha Chunav 2025: पटना में आज NDA की अहम बैठक, मांझी को साधने की कवायद तेज, चिराग की भूमिका पर सबकी नजर
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: दिल्ली में एनडीए के शीर्ष नेताओं के बीच कई दौर की बैठकों के बाद अब आज यानी बुधवार को पटना में सभी सहयोगी दलों की एक अहम बैठक बुलाई गई है।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म है। चुनावी रणभेरी बज चुकी है और अब सबसे बड़ा सवाल है सीट शेयरिंग का फार्मूला क्या होगा? एनडीए गठबंधन में शामिल दलों के बीच इसी मुद्दे को लेकर दिल्ली से लेकर पटना तक सियासी गहमागहमी तेज हो गई है।
दिल्ली में एनडीए के शीर्ष नेताओं के बीच कई दौर की बैठकों के बाद अब बुधवार को पटना में सभी सहयोगी दलों की एक अहम बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास), HAM और अन्य घटक दलों के नेता शामिल होंगे। अंदरखाने की खबरें बताती हैं कि सीटों को लेकर खींचतान अब अपने निर्णायक मोड़ पर है।
सबसे ज्यादा चर्चा HAM पार्टी के मुखिया और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी को लेकर है। बताया जा रहा है कि मांझी मौजूदा ऑफर से खासे नाराज हैं। वे 15 से 18 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि बीजेपी उन्हें केवल 7 से 8 सीट देने पर विचार कर रही है। मांझी की नाराजगी को दूर करने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता लगातार संवाद साध रहे हैं।
वहीं, आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी 15 सीटों की डिमांड पर कायम हैं। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और जेडीयू के बीच 103-103 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रारंभिक समझौता बन चुका है, लेकिन बाकी छोटी पार्टियों को लेकर असमंजस बरकरार है।
इस पूरे समीकरण में चिराग पासवान की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है। चिराग 40 से 50 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि बीजेपी उन्हें सिर्फ 20 सीटों पर ही तैयार दिख रही है। सूत्र बताते हैं कि अगर चिराग इस प्रस्ताव को नहीं मानते, तो उन्हें एक विधान परिषद और एक राज्यसभा सीट का ऑफर दिया जा सकता है। चिराग मंगलवार रात पटना लौट रहे हैं और बुधवार को अपने पिता रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में भी शामिल होंगे।
बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान ने दिल्ली में चिराग के आवास जाकर उनसे मुलाकात की, लेकिन इस बातचीत का नतीजा क्या निकला, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पार्टी के भीतर यह समझ है कि मांझी और चिराग, दोनों ही ऐसे सहयोगी हैं जिन्हें नाराज करना राजनीतिक रूप से महंगा पड़ सकता है।
अब सबकी निगाहें पटना में होने वाली एनडीए की निर्णायक बैठक पर टिकी हैं। चुनाव नजदीक है, लिहाजा दलों पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि सीट बंटवारे का फार्मूला जल्द तय करें और उम्मीदवारों की घोषणा करें। अगर देरी हुई, तो इसका राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बिहार की सियासत में फिलहाल हालात यह हैं कि हर दल अपने जनाधार के हिसाब से दांव खेल रहा है, और एनडीए की एकजुटता इस बार कितनी परखी जाएगी यही देखना दिलचस्प होगा।