Bihar Vidhansabha Chunav 2025: तेजस्वी की सियासी चतुराई काम आई, विपक्षी खेमे में सीट बंटवारे पर बनी एकता, अब महागठबंधन मैदान में उतरने को तैयार

सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि सीट बंटवारे का आधार वर्ष 2020 का विधानसभा चुनाव रहेगा। हालांकि, जिन सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी पिछले चुनाव में 15 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए थे, वहां इस बार न केवल उम्मीदवार बदले जाएंगे...

Bihar Vidhansabha Chunav 2025
अब महागठबंधन मैदान में उतरने को तैयार- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासत एक बार फिर करवट ले रही है। 2025 विधानसभा चुनाव की दस्तक के साथ ही विपक्षी दलों के महागठबंधन INDIA ने सीट बंटवारे की दिशा में बड़ा कदम उठा लिया है। गुरुवार को राजधानी पटना के 2, पोलो रोड स्थित नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर महागठबंधन की समन्वय समिति की चौथी बैठक आयोजित हुई, जो तीन घंटे तक चली और कई महत्वपूर्ण निर्णयों की साक्षी बनी।

बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि सीट बंटवारे का आधार वर्ष 2020 का विधानसभा चुनाव रहेगा। हालांकि, जिन सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी पिछले चुनाव में 15 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए थे, वहां इस बार न केवल उम्मीदवार बदले जाएंगे, बल्कि आवश्यक होने पर पार्टी का सिंबल भी बदला जा सकता है। यानी हार की समीक्षा के साथ रणनीति में सख्त सुधार तय है।

वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी द्वारा सीटों के बंटवारे का मुद्दा उठाए जाने के बाद तेजस्वी यादव ने सभी घटक दलों से आग्रह किया कि वे अपनी पसंदीदा सीटों की सूची और संभावित उम्मीदवारों का विस्तृत ब्योरा समन्वय समिति को जल्द से जल्द सौंपें, ताकि अगली बैठक में सीट वितरण पर अंतिम मुहर लगाई जा सके।

सिर्फ सीटों का गणित ही नहीं, बल्कि आंदोलन की रणनीति भी बैठक का अहम हिस्सा रही। तय किया गया कि पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक संयुक्त कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, ताकि विपक्ष की एकता जनमानस तक पहुंचे। साथ ही, आगामी 9 जुलाई को मजदूर संगठनों द्वारा आयोजित राष्ट्रव्यापी आंदोलन में भी महागठबंधन पूरे दमखम से शिरकत करेगा।

बैठक में भाकपा के राज्य सचिव राम नरेश पांडेय ने कुछ घटक दलों द्वारा सार्वजनिक मंचों से सीटों पर दावेदारी जताने पर आपत्ति भी जताई और संगठनात्मक अनुशासन बनाए रखने का अनुरोध किया।

यह बैठक न केवल आगामी चुनाव की रूपरेखा तैयार करती है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि महागठबंधन अब अधिक ठोस और व्यवस्थित होकर मैदान में उतरना चाहता है। तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्षी एकता को गति मिलती दिख रही है — अब देखना है कि क्या यह रणनीति सत्ता के किले को हिला पाने में कामयाब होती है या नहीं।