BIhar Vidhansabha Chunav 2025: चुनाव से पहले पुलिस का महाप्लान, विधानसभा चुनाव में लोकतंत्र की रखवाली को उतरे प्रहरी, चार प्रहरी-सेल से बुना गया ऐसा चुनावी चक्रव्यूह जिसे तोड़ना होगा नामुमकीन

BIhar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है। पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने चुनावी गतिविधियों की निगरानी और त्वरित कार्रवाई के लिए चार विशेष सेल का गठन किया है।

BIhar Vidhansabha Chunav 2025
चुनाव से पहले पुलिस का महाप्लान- फोटो : social Media

BIhar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है। पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने चुनावी गतिविधियों की निगरानी और त्वरित कार्रवाई के लिए चार विशेष सेल का गठन किया है। इनका मकसद सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखना नहीं, बल्कि उन अदृश्य ताकतों पर भी नजर रखना है जो लोकतंत्र की जड़ों को खोखला करने की कोशिश करती हैं।

ईओयू के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लो के मुताबिक, जिन क्षेत्रों में गड़बड़ियों की संभावना सबसे अधिक होती है, उन्हें लक्ष्य बनाते हुए विशेष टीमें बनाई गई हैं। इनमें—नारकोटिक्स सेल – मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए।साइबर अपराध सेल – डिजिटल ठगी और चुनावी गड़बड़ी की रोकथाम के लिए।इंटरनेट मीडिया मॉनिटरिंग सेल – फेसबुक, एक्स (ट्विटर), यूट्यूब जैसे मंचों पर भड़काऊ और भ्रामक पोस्ट की निगरानी के लिए।फर्जी मुद्रा और अवैध कैश लेनदेन सेल – चुनावी धनबल और नकली नोटों के प्रसार पर रोकथाम के लिए।इन चारों सेल को न केवल रोजाना थानों से समन्वय स्थापित करने का जिम्मा सौंपा गया है, बल्कि इनके कामकाज की सतत मॉनिटरिंग सीधे ईओयू और पुलिस मुख्यालय से होगी। हाल ही में केंद्र और राज्य सरकार की विशेष एजेंसियों के साथ हुई बैठक में भी इस पर गहन चर्चा हुई, जिसके बाद यह तंत्र लागू किया गया।

इस व्यवस्था की खासियत यह है कि यह बहु-स्तरीय समन्वय पर आधारित होगी। यानी राज्य की पुलिस से लेकर आयकर विभाग, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, सशस्त्र सीमा बल जैसी केंद्रीय एजेंसियां इसमें सहयोग देंगी। चुनावी मौसम में जब अक्सर अवैध कैश का प्रवाह, नशे के कारोबार की सक्रियता और फर्जी नोटों की हेराफेरी बढ़ जाती है, तब यह नेटवर्क निर्णायक साबित हो सकता है।

सिर्फ आर्थिक अपराध ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और भड़काऊ पोस्ट भी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती हैं। चुनावी दौर में अफवाहें माहौल को विषाक्त बना सकती हैं। इसीलिए इंटरनेट मीडिया पर सघन निगरानी के लिए अलग सेल गठित किया गया है।राजनीतिक दृष्टि से देखें तो यह कदम सरकार के लिए दोहरी कसौटी है। एक ओर यह साफ संदेश है कि सत्ता और प्रशासन अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने को प्रतिबद्ध हैं, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठेगा कि क्या यह निगरानी निष्पक्ष होगी या राजनीतिक पक्षधरता से प्रभावित।

बहरहाल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चार विशेष सेल का गठन केवल प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक पारदर्शिता की बड़ी परीक्षा है। यह पहल तभी सार्थक होगी जब कार्रवाई सिर्फ विपक्ष या चुनिंदा लोगों तक सीमित न रहकर, हर स्तर पर निष्पक्ष और कठोर हो।