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शादी के बाद लड़कों हो सकती है ये दिक्कत, बचने का तरीका ले जान, होगा फायदा

शादी के बाद लड़कों हो सकती है ये दिक्कत, बचने का तरीका ले जान, होगा फायदा

Husband-Wife Marriage Life: किसी भी लड़के-लड़की के शादी के बाद बहुत तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। कभी-कभी ये अच्छे भी होते है या खराब भी। हालांकि, सारी बातें स्थिति पर निर्भर करती है। वहीं एक ऐसी भी स्थिति भी सामने आती है, जब लड़के शादी के बाद भी अपनी मां की ज्यादा सुनते हैं या फिर बीवी की।

जब पति की मां (सास) सारे फैसले लेती है तो और पत्नी खुद को अलग महसूस करती है, यह स्थिति भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है। इसका हल बातचीत, समझ और साफ नजरियों के माध्यम से हल किया जा सकता है। इसी के संबंध में कुछ बातें है , जो आपको समझना चाहिए।

1. खुले तौर पर बातचीत की जरूरत

पत्नी को अपने पति से खुलकर और ईमानदारी से बात करने की जरूरत है, ताकि वह अपनी भावनाओं और उपेक्षा के अनुभव को व्यक्त कर सके। रिलेशनशिप विशेषज्ञ यह सुझाव देते हैं कि इस तरह की बातचीत "मैं" कथनों का उपयोग करके की जानी चाहिए, ताकि यह आरोप-प्रत्यारोप में न बदल जाए। उदाहरण के लिए: 'जब हम साथ होते हैं तो मुझे आपके पूरे ध्यान की जरूरत होती है।' इस प्रकार के संवाद से पति को यह समझने में मदद मिलती है कि मां के साथ अपने बंधन को बरकरार रखते हुए, पत्नी की भावनाओं का भी सम्मान करना ज़रूरी है।

2. भावनात्मक निर्भरता और सीमाओं का अभाव

कई बार,बेटों की अपनी माताओं पर अत्यधिक भावनात्मक निर्भरता होती है, जिससे वे हर फैसले में उनकी मंजूरी चाहते हैं। इस निर्भरता का कारण घनिष्ठ पालन-पोषण हो सकता है या जीवन में भावनात्मक स्वतंत्रता की कमी हो सकती है। इसके अलावा, सीमाओं का अभाव इस समस्या को बढ़ा सकता है। अगर पति ने अपनी मां के साथ स्पष्ट सीमाएँ निर्धारित नहीं की हैं तो यह वैवाहिक रिश्ते में हस्तक्षेप का कारण बन सकता है।

3. सांस्कृतिक और पारिवारिक अपेक्षाएं

कुछ परिवारों और संस्कृतियों में बेटे को माता-पिता के प्रति वफादार और समर्पित बने रहने की अपेक्षा की जाती है। इस प्रकार की पारिवारिक अपेक्षाएं बेटे को मां और पत्नी के बीच बंटा हुआ महसूस करा सकती हैं। इसका परिणाम पारिवारिक संघर्ष और पत्नी की उपेक्षा हो सकता है।

4. आवश्यकता: मां बनाम पत्नी नहीं

यह महत्वपूर्ण है कि स्थिति को "मां बनाम पत्नी" के रूप में न देखा जाए, बल्कि इसे एक संतुलित दृष्टिकोण के रूप में लिया जाए, जहां पति दोनों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझता है। मां का सम्मान करना और उसकी देखभाल करना ज़रूरी है, लेकिन उसी समय पत्नी के प्रति भी उसकी जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देना चाहिए।

5. रिश्ते पर प्रभाव

अगर एक साथी लगातार अपनी मां या माता-पिता की ज़रूरतों को अपनी पत्नी से ऊपर रखता है  तो इससे विवाह में तनाव, उपेक्षा, और भावनात्मक दूरी की भावनाएं बढ़ सकती हैं। समय के साथ यह विश्वास की कमी, अंतरंगता की कमी, और यहां तक कि वित्तीय फैसलों और बच्चों से संबंधित मुद्दों में भी संघर्ष पैदा कर सकता है।

6. क्या किया जा सकता है?

पति से समझदारी से बात करें: इल्जाम लगाने के बजाय, संवेदनशीलता के साथ अपनी बात रखें। साझा फैसला: पति-पत्नी के बीच एक साथ फैसला लेने की प्रक्रिया होनी चाहिए।

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