इंसान अक्सर अपनी मेहनत के कारण खुद को सफल बना पाता है। मनुष्य को सफल बनने के लिए कई सारे कार्य करने पड़ते है, जैसे सुबह उठना, हर दिन कुछ नया सीखना, अपने काम को प्रतिदिन बेहतर करना और भी कई चीजें। लेकिन किसी भी मनुष्य को असफल होने के लिए सिर्फ एक ही आदत काफी होती है। इंसान अपनी उस एक आदत के कारण विनाश के कगार पर पहुंच जाता है। जहां से भगवान भी उसका साथ छोड़ देता है और वो अपने जीवन में गिरता ही चला जाता है। ऐसे में आईए जानते है क्या है वो एक आदत जो इंसान के जीवन में इतना नुकसान पहुंचा सकती है।
दरअसल, चाणक्य नीति के अनुसार इंसान को उसका 'आलस' उसे विनाश तक पहुंचा देता है। ये एक ऐसी आदत होती है जिसमें मनुष्य वर्तमान वक़्त में तो खुश का अनुभूति पा लेता है, लेकिन बाद में उसे काफी पछतावा होता है। इस बात का प्रमाण चाणक्य ने भी दिया। उन्होंने अपने किताब में एक वाक्य लिखा है ' नास्तयलससैयहीकामुषमकम' इसका अर्थ होता है कि आलस्य के कारण व्यक्ति का विनाश हो जाता है। चाणक्य के इस एक वाक्य को जिसने समय रहते समझ लिया वो जीवन में लगातार आगे बढ़ता है और अपने हर एक लक्ष्य को समय रहते पा लेता है।
वहीं, चाणक्य ने और आसान शब्दों में बताया कि जिस व्यक्ति को अपने कार्य में किसी प्रकार का उत्साह नहीं होता वह मूर्ख तो होता ही है। लेकिन उसे अपने आलस्य के कारण वर्तमान और भविष्य से संबंधित किसी कार्य में सफलता भी नहीं प्राप्त होती। सफलता का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति वर्तमान में सफल है वह अपने उत्साह के कारण भविष्य में भी सफल होने की आशा कर सकता है। यानी जिस व्यक्ति ने अपने उत्साह के कारण वर्तमान को सुरक्षित बना लिया है उसके भावी कार्य भी अवश्य सफल होने की संभावनाओं से पूर्ण होते हैं। आलसी व्यक्ति जीवन में पराजय का ही मुख देखता है। इसलिए ध्यान रखें कि बिता हुआ समय वापस नहीं आता, इसीलिए हर पल में सफल होने के लिए मेहनत करें।