अभी पितृपक्ष चल रहा है। इस दौरान लोग अपने पितरों को याद करते हैं। उनके नाम पर दान आदी करते हैं। जानवरों को खाना खिलाते हैं। भूखे को अन्न दान करते हैं। साथ ही खाना खिलाया जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होने वाले पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या पर होता है। इन 16 दिनों की अवधि में लोग अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं जिससे उनकी आत्मा तृप्त होती है। यदि किसी की कुंडली में पितृदोष है तो वह भी इन दिनों उसका निवारण सरल उपायों से कर सकता है।
पितृपक्ष के समय को शोक का समय कहा गया है। ऐसे में इन दिनों में शुभ काम करने की मनाही होती है। साथ ही इन दिनों में आपको कुछ बातों का ख्याल भी रखना चाहिए। इनमें से एक है इन दिनों में सत्तू से दूरी। पितृपक्ष में सत्तू नहीं खाना चाहिए। इसका कारण क्या है आइए आपको बताते हैं।
बता दें कि सूर्य की रोशनी में ही लोगों को तर्पण करना चाहिए। वहीं, सत्तू का संबध भी सूर्य देव से माना जाता है, इसलिए पितृपक्ष के दौरान सत्तू खाने की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में सत्तू खाने से आपको गुरुदोष लग सकता है। सत्तू मंगल ग्रह से संबंध रखता है जो कि ऊर्जा, शक्ति और साहस का कारक माने गए हैं। ऐसे में जब आप सत्तू खाते हैं तो पितृ आपसे नाराज हो सकते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी नहीं होगी।
सत्तू का संबंध गुरु बृहस्पति से भी होता है। जो कि मांगलिक कार्यों के लिए शुभ फल देते हैं। लेकिन पितृपक्ष में मांगलिक कार्यों पर रोक लगी होती है। जबकि सत्तू को शुभ और पवित्र भी माना गया है। ऐसे में आपको इन दिनों सत्तू खाने से बचना चाहिए। माना ये भी जाता है कि सत्तू पिंड के समान होता है। ऐसे में इन दिनों में सत्तू खाना वर्जित रहता है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको पितृदोष लग सकता है।