कहा जाता है कि एक व्यक्ति को हर वक़्त अपने बोलने पर शयम रखना चाहिए। क्योंकि अक्सर बोली ही इंसान को अर्श से फर्श और फर्श से अर्श तक का सफर तय करवाती है। लेकिन इस बीच एक और ऐसी कला होती है, जिसका हम ध्यान नहीं रखते है। वो है चुप रहना। हमे बोलने के साथ-साथ ये भी ध्यान रखना चाहिए कि चुप कब रहना है। कई बार सिर्फ चुप रहने से भी कई बिगड़े काम बन जाते है और इंसान को ज्यादा मेहनत भी नहीं करना पड़ता है। ऐसे में आईए आज जानते है इंसान को किस वक़्त चुप रहना चाहिए। जिसे ये समझ आए ही मनुष्य समझदार है।
दरअसल, देश के ज्यादातर इंसान जीवन में आगे बढ़ने के लिए चाणक्य नीति को अपनाते है और उसी अनुसार अपने काम, व्यवहार और सोच तो ढालते है। ऐसे में चाणक्य ने हमे ये भी सिखाया है कि हमे कब चुप रहना चाहिए, जिसे कि हम समझदार की पहचान बन सके। चाणक्य के अनुसार, इन 10 जगहों पर हमे हमेशा चुप रहना है। इसमें दूसरे के झगड़े में ना पड़े, खुद की तारीफ में चुप रहे, दूसरे की बुराई पर चुप रहे, अधूरी जानकारी पर चुप रहे, भावनाओं को ना समझने वाले के आगे चुप रहे, दूसरे की समस्या सुनते वक़्त चुप रहे, गैर संबंधित समस्याओं पर चुप रहे और अनुचित स्थिति में चुप रहे शामिल है।
वहीं, चाणक्य नीति के अनुसार दो और ऐसे वक़्त होते है जब इंसान को खासकर चुप रहना चाहिए। इसमें गुस्से के वक़्त चुप रहना और किसी के चिल्लाने के वक़्त चुप रहना शामिल है। कहा जाता है कि इंसान अगर गुस्से में वो सब भी बोल जाता है जिसे बातें पूरी तरह से खबर हो जाती है और बाद में उसे ठीक करने का भी कोई उपाय नहीं होता है। गुस्से में बोला गया वाक्य अक्सर जिंदगी भर का घाव बन जाता है। इसलिए इंसान को शयम दिखाते हुए चुप रहना चाहिए। वहीं, चिल्लाने वालों से भी दूर रहना चाहिए। जो लोग बिना चिल्लाए खुद को व्यक्त नहीं कर सकते, उन पर चुप रहना बेहतर है। चिल्लाने से दूसरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।