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तिरुपति बालाजी मंदिर में भगदड़: वैकुंठ द्वार दर्शन के दौरान 6 की मौत, 100 से ज्यादा अधिक घायल

तिरुपति बालाजी मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शन के दौरान भगदड़ मचने से 4 लोगों की मौत और 150 से अधिक घायल हो गए। जानिए मंदिर के महत्व और दर्शन की विशेष जानकारी।

तिरुपति बालाजी मंदिर में भगदड़: वैकुंठ द्वार दर्शन के दौरान 6 की मौत, 100 से ज्यादा अधिक घायल
तिरुपति बालाजी मंदिर में भगदड़- फोटो : social media

Tirupati balaji temple stampede: आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में बुधवार रात वैकुंठ द्वार दर्शन के दौरान भगदड़ मचने से 4 लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक भक्त घायल हो गए। हादसा तब हुआ जब श्रद्धालु दर्शन के लिए कतार में खड़े थे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने घटना पर चिंता जताई और अधिकारियों से जानकारी ली है।

हादसे की पृष्ठभूमि

हादसा उस समय हुआ जब वैकुंठ एकादशी पर दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु कतार में खड़े थे। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने पहले ही घोषणा की थी कि 10 से 19 जनवरी के बीच वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए मंदिर के द्वार खोले जाएंगे। लेकिन भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई।

भगदड़ का कारण

कतार में खड़े 4,000 से अधिक श्रद्धालुओं को बैरागी पट्टीडा पार्क में कतार लगाने के लिए कहा गया, जिससे आगे बढ़ने की होड़ में अफरा-तफरी मच गई। इस दौरान मल्लिका नाम की एक महिला की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हो गए।

तिरुपति बालाजी मंदिर का महत्व

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम भारत के सबसे प्रसिद्ध और अमीर तीर्थस्थलों में से एक है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के सेशाचलम पर्वत पर स्थित है और भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। कहा जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर ने धन के देवता कुबेर से विवाह के लिए कर्ज लिया था, जिसे चुकाने के लिए श्रद्धालु दान देते हैं। मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है।

दर्शन और लड्डू प्रसाद

मंदिर में दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं को प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद दिया जाता है। रोजाना करीब 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं, जिनकी रेसिपी 300 साल पुरानी है। बालाजी के दर्शन दिन में तीन बार होते हैं, लेकिन उनकी पूरी मूर्ति के दर्शन केवल शुक्रवार को सुबह अभिषेक के समय ही किए जा सकते हैं।

भगवान वेंकटेश्वर और मंदिर की पौराणिकता

तिरुपति मंदिर को मेरूपर्वत के सप्त शिखरों पर बनाया गया माना जाता है, जो शेषनाग के सात फनों का प्रतीक हैं। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कहा जाता है। व्यंकटाद्रि पर भगवान वेंकटेश्वर विराजमान हैं।

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