DESK. लोकसभा चुनाव का परिणाम 4 जून को आएगा, लेकिन गुजरात की सूरत सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन खारिज होने और शेष 8 उम्मीदवारों के नाम वापस लेने से भाजपा के मुकेश दलाल को लोकसभा सीट से निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया. इसी तरह इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार ने अपना नामांकन नाम वापसी के अंतिम दिन लेकर वहां कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा दी. अब कांग्रेस प्रत्याशी के भाजपा नेताओं संग गलबहिया करने वाली तस्वीरें सामने आई है. इंदौर से पहले इंडिया गठबंधन के घटक दल समाजवादी पार्टी के खजुराहो से उम्मीदवार का पर्चा खारिज हो गया और वहां भी भाजपा को मजबूत चुनौती देने वाला कोई उम्मीदवार नहीं बचा. सूरत, खजुराहो और इंदौर के वाकये के बाद विपक्ष इसे भाजपा की साजिश बता रहा है. राजद के वरिष्ठ नेता मनोज झा ने मंगलवार को पटना में कहा कि पीएम मोदी के शासन में लोकतंत्र खत्म करने की कैसी तैयारी है यह सूरत, इंदौर और खजुराहो की घटनाओं से पता चलता है. अगर भाजपा फिर से सत्ता में आई तो लोकतंत्र और संविधान को खत्म कर देगी.
हालांकि लोकसभा के लिए उम्मीदवारों का निर्विरोध निर्वाचन कोई पहली बार नहीं हुआ है. इतिहास पर गौर करें तो वर्ष 1951 से अब तक 35 ऐसे सांसद रहे जिनका निर्वाचन निर्विरोध हुआ. आखिरी बार ऐसा वाकया वर्ष 2012 में कन्नौज लोकसभा उपचुनाव के दौरान देखने को मिला था. समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने 2012 में कन्नौज लोकसभा उपचुनाव निर्विरोध जीता था. उनसे पहले, उनके पति अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव लड़ते थे. फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी. उस दौरान डिंपल के निर्विरोध निर्वाचन पर इतना शोर नहीं मचा था क्योंकि किसी प्रमुख दल ने उनके खिलाफ उम्मदीवार नहीं उतारने का फैसला लिया था. वहीं इस बार सूरत और इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार का तो खजुराहो में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी का पर्चा खारिज हुआ. यहाँ तक कि सुरत में नाटकीय घटनाक्रम में शेष उम्मदीवारों ने अचानक से अपना नाम वापस ले लिया. इससे भाजपा निशाने पर है और विपक्ष इसे बीजेपी की साजिश बता रही है.
अब तक 35 निर्विरोध सांसद : जिन 35 सांसदों का अब तक निर्विरोध निर्वाचन हुआ है उसमें ज्यादातर कांग्रेस के हैं. वर्ष 1951 में कांग्रेस के 5, वर्ष 1957 में कांग्रेस के 5, वर्ष 1962 में कांग्रेस के 3, वर्ष 1967 में कांग्रेस के 4 और एनएनओ के एक, वर्ष 1971 में कांग्रेस के एक, वर्ष 1977 में कांग्रेस के दो, वर्ष 1980 में जेकेएनसी के एक, वर्ष 1989 में जेकेएनसी के एक और वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी से एक सांसद का निर्विरोध निर्वाचन हुआ. वहीं इन वर्षों में जिन सांसदों का निर्विरोध निर्वाचन उसमें ज्यादातर उपचुनावों में निर्वाचित होने वाले रहे. साथ ही निर्विरोध निर्वाचित होने वाले सांसदों में ज्यादातर ऐसे रहे जिनके परिवार के किसी सदस्य का उस सीट से पुराना जुड़ाव रहा. वहीं सूरत, खजुराहो और इंदौर में ऐसे स्थिति नहीं है. यहां प्रमुख विपक्षी उम्मदीवार का पर्चा ख़ारिज हुआ और कुछ उम्मीदवारों ने भाजपा नेताओं संग तस्वीरें भी साझा की. ऐसे में विपक्ष अब इसे भाजपा की साजिश करार दे रहा है.
निर्विरोध निर्वाचित होने सांसद
आनंद चंद (निर्दलीय): 1951 - बिलासपुर.
टीए रामलिंगम चेट्टियार (कांग्रेस): 1951 - कोयंबटूर.
टी सांगना (कांग्रेस): 1951 - रायगढ़ा-फुलबनी.
कृष्णा चार्य जोशी (कांग्रेस): 1951 - यादगीर.
मेजर जनरल एचएस हिम्मासिंहजी (कांग्रेस): 1951 - हलार.
डी सत्यनारायण राजू (कांग्रेस): 1957 - राजमुंदरी.
संगम लक्ष्मी बाई (कांग्रेस): 1957 - विकाराबाद.
बिजॉय चंद्र भगवती (कांग्रेस): 1957 - दरांग.
मंगरुबाबू उइके (कांग्रेस): 1957 - मंडला.
एचजे सिद्दनानजप्पा (कांग्रेस): 1957 - हसन.
मानवेंद्र शाह (कांग्रेस): 1962 - टिहरी गढ़वाल.
टीटी कृष्णामाचारी (कांग्रेस): 1962 - तिरुचेंदूर.
हरेकृष्ण महताब (कांग्रेस): 1962 - अंगुल.
कनुरी लक्ष्मण राव (कांग्रेस): 1967 - विजयवाड़ा.
आर ब्रह्मा (कांग्रेस): 1967 - कोकराझार.
मोहम्मद शफ़ी क़ुरैशी (कांग्रेस): 1967 - अनंतनाग.
कुशोक बकुला रिनपोछे (कांग्रेस): 1967 - लद्दाख.
सेनयांगबा चुबातोशी जमीर या एससी जमीर (एनएनओ): 1967 - नागालैंड.
पीएम सईद (कांग्रेस): 1971 - लक्षद्वीप.
रिनचिन खांडू खिमरे (कांग्रेस): 1977 - अरुणाचल पश्चिम.
छत्र बहादुर छेत्री (कांग्रेस): 1977 - सिक्किम.
फारूक अब्दुल्ला (जेकेएनसी): 1980 - श्रीनगर.
मोहम्मद शफी भट (जेकेएनसी): 1989 - श्रीनगर.
डिंपल यादव (सपा) : 2012- कन्नौज
मुकेशकुमार चंद्रकांत दलाल (भाजपा): 2024 - सूरत.