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पटना में अब तक 361 परिवारों को मिली चार- चार लाख रुपये की अनुग्रह अनुदान राशि, 600 लोगों को अभी भी इन्तजार

पटना में अब तक 361 परिवारों को मिली चार- चार लाख रुपये की अनुग्रह अनुदान राशि, 600 लोगों को अभी भी इन्तजार

PATNA : कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों के परिजनों को दी जाने वाली राशि में तेजी आयी है. जानकारी के अनुसार केवल पटना जिले मे 361 मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की अनुदान राशि दी जा चुकी है. यह राशि मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतक के आश्रितों को दिया जा रहा है. आपदा प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार पहले वेब से लेकर दूसरे वेब में अबतक कोरोना से मरने 433 लोगों की सूची आयी है, जिसमें 361 को अनुदान राशि दी जा चुकी है. वहीं, 39 लोगों का पैसा आया हुआ है, जो वेरिफिकेशन कराने के बाद उन्हें भी सौंप दिया जायेगा.

600 से अधिक की सूची भी पाइप लाइन में

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार करीब 600 से अधिक की सूची अभी आयी नहीं है. इनमें बिहार के अन्य जिलों के मृतकों के नाम भी शामिल हैं. आपदा प्रबंधन के एक अधिकारी ने बताया कि मृतकों की सूची वरीय अधिकारियों के द्वारा जांच के बाद कोविड पोर्टल पर अपलोड किया जाता है. इसके बाद अलग-अलग जगहों से जांच के बाद आपदा विभाग को दिया जाता है और उसी के आधार पर मुख्यमंत्री राहत कोष से राशि जारी होती है.


मृतकों का सही पता जानकारी करने में होती है परेशानी

आपदा विभाग के अनुसार कोविड से मरने वालों के परिजनों और उसका सही पता खोजने में काफी परेशानी होती है. एक ही नाम के कई लोग आते हैं, जिसके बाद काफी दिक्कत होती है. एक अधिकारी ने बताया कि सूची मिलने के बाद सीओ को मृतक का सही नाम, पता और परिजनों के बारे में जानकारी, कोरोना से मरने की पुष्टि का रिपोर्ट आदि कई सारी चीजों की पुष्टि करवायी जाती है. इसके बाद अगर वह पटना जिले का है तो उसे राशि दी जाती है या फिर अगर मृतक दूसरे जिले का रहने वाला है तो वहां राशि भेज दी जाती है.

पटना में ज्यादातर मरने वाले दूसरे जिले के

जानकारी के अनुसार पटना में अबतक जितने भी कोरोना से मरने वाले लोगों की सूची मिली है, उसमें ज्यादातर लोग पटना जिले से बाहर के ही है. पटना में बेहतर इलाज के लिए लोग विभिन्न अस्पतालों में भर्ती होते हैं. अगर उनकी इलाज के दौरान मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार भी यही होता है. लेकिन जो सूची आपदा प्रबंधन को मिलती है उसमें जांच के बाद पता चलता है कि वह मूल रूप से अन्य जिला के रहने वाले हैं.

पटना से अनिल कुमार की रिपोर्ट 


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