सीवान- अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सीवान के दयानंद आयुर्वेदिक मेंडिकल कॉलेज और अस्पताल में योगाभ्यास का आयोजन किया गया. कॉलेज के योग कक्ष में शासी निकाय के सचिव डॉ रामानंद पाण्डेय, पूर्व प्राचार्य डॉ पीपी त्रिपाठी, के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने योगाभ्यास किया. कार्यक्रम की शुरुआत सचिव डॉ रामानंद पाण्डेय ने दीप प्रज्जवित कर किया. इसी के साथ शुरु हुआ योगाभ्यास.
प्रार्थना के साथ चालन क्रियाएं ग्रीवा चालन, स्कन्ध संचालन, कटि चालन, घुटना संचालन क्रियाएं की गई. इसके पश्चात ताड़ासन, वृक्षासन, पदहस्तासन, अर्धचक्रासन, त्रिकोणासन, भद्रासन, वज्रासन, उष्ट्रासन, शशांकासन, उत्तानमंडूकासन, वक्रासन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्धहलासन, पवनमुक्तासन, शवासन की योग क्रयाएं करवाई गई. इसके पश्चात कपाल भाती, प्राणायाम में नाड़ी शोधन, अनुलोम विलोम, शीतली, भ्रामरी क्रियाएं की गई। इसके पश्चात ध्यान और संकल्प की योग क्रियाएं की गई.
कॉलेज के शासी निकाय के सचिव डॉ रामानंद पाण्डेय ने इस अवसर पर कहा कि योग के आठ अंगों में से एक है प्राणायाम जिसमें श्वसन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. योग के सभी आठों अंगों को मिलाकर अष्टांग योग कहते हैं, योग का अर्थ है जुड़ना. मन को वश में करना और वृत्तियों से मुक्त होना योग है.
डॉ रामानंद पाण्डेय ने कहा कि सदियों पहले महर्षि पतंजलि ने मुक्ति के आठ द्वार बताए, जिन्हें हम 'अष्टांग योग' कहते हैं.मौजूदा दौर में हम अष्टांग योग के कुछ अंगों जैसे आसन, प्राणायाम और ध्यान को ही जान पाए हैं.योग याज्ञवल्क्य संहिता में प्राण (आती साँस) और अपान (जाती साँस) के प्रति सजगता के संयोग को प्राणायाम बताया है.साँस की डोर से हम तन-मन दोनों को साध सकते हैं.
पाण्डेय ने कहा कि हठयोग ग्रंथ कहता है 'चले वाते, चलं चित्तं'यानी तेज़ साँस होने से हमारा चित्त-मन तेज़ होता है और साँस को लयबद्ध करने से चित्त में शांति आती है.समाधि पूर्ण योगस्थ स्थिति का प्रकटीकरण है.
डॉ रामानंद पाण्डेय ने कहा कि कबीर समाधि की अवस्था को व्यक्त करते हुए कहते हैं -जब-जब डोलूं तब तब परिक्रमा, जो-जो करुं सो-सो पूजा.
योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अखिलेश्वर तिवारी के मार्गदर्शन में कॉलेज के सभी विभाग के शिक्षक एवं कर्मचारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. डॉ अखिलेश्वर ने उपस्थिजनों को योग के विभिन्न आसनों की जानकारी और उनसे होने वाले फायदों की जानकारी देते हुए योगाभ्यास करवाया.
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ सुधांशु शेखर ने कहा कि योग हमें शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है, इसलिए योग करें और हमेशा निरोग रहे.
पूर्व प्राचार्य डॉ पीपी त्रिपाीठी ने कहा कि योग निरोग रहने का माध्यम ही नहीं, बल्कि योग की जीवन पद्धति है.
डॉ राजा प्रसाद ने कहा कि कोरोना ने जब वैश्विक महामारी का रूप ले लिया तो इससे लड़ने के लिए सबसे जरूरी चीज जो है शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए. इसमें योग का एक महत्वपूर्ण स्थान है.
डॉ अखिलेश तिवारी के नेतृत्व में प्रोफेसर , कर्मी और छात्र- छात्राओं ने योग कर योग दिवस मनाया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्र्री पुरुषों ने योग का अभ्यास किया.
बता दें 21 जून को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था. योग दिवस को मनाए जाने का प्रस्ताव सबसे पहले भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने 27 सितंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने संबोधन में किया था.इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने इस बारे में एक प्रस्ताव लाकर 21 जून को इंटरनेशनल योग डे मनाने की घोषणा की. योग दिवस हर वर्ष 21 जून को मनाया जाता है. यह दिन तय करने की भी खास वजह है. असल में 21 जून साल का दिन सबसे लंबा दिन होता है. इसके बाद सूर्य धीरे-धीरे दक्षिणायन होने लगता है.