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CM नीतीश को खुली चुनौती दे रहे अभय कुशवाहा! बड़े तामझाम से उपेन्द्र कुशवाहा को JDU में कराया था शामिल, अब किया जा रहा बेआबरू

CM नीतीश को खुली चुनौती दे रहे अभय कुशवाहा! बड़े तामझाम से उपेन्द्र कुशवाहा को JDU में कराया था शामिल, अब किया जा रहा बेआबरू

PATNA:  बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मिली करारी शिकस्त के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुराने साथी रहे उपेन्द्र कुशवाहा को जेडीयू में शामिल कराने को लेकर काफी पसीना बहाया था। कई दौर की बातचीत के बाद अंततः बड़े तामझाम के साथ उपेन्द्र कुशवाहा जेडीयू में शामिल हुए थे। प्रदेश कार्यालय में कुशवाहा की आगवानी के लिए एक तरफ जहां खुद नीतीश कुमार उपस्थित थे। वहीं दूसरी तरफ कई मंत्रियों के साथ कद्दावर नेता स्वागत करने जेडीयू कार्यालय के गेट पर गुलदस्ता लेकर खड़े थे. पूरे सम्मान के साथ उपेन्द्र कुशवाहा को कर्पूरी सभागार में ले जाया गया था। वहां खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खैर-मकदम किया और मंच से ही संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय बनाकर बाकी नेताओं को संदेश भी दे दिया। इतने भर से ही सीएम नीतीश का मन नहीं भरा,कुछ दिनों बाद ही कुशवाहा को विधान परिषद का सदस्य बना दिया गया। फिर सीएम आवास से कुछ ही दूर पर मंत्री वाला बंगला दे दिया। इससे उपेन्द्र कुशवाहा की अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है।ज्वाईनिंग के साथ ही इतनी अहमियत देकर संगठन का नेतृत्व संभालने के बाद से सीएम के समानांतर नेतृत्व देने की कोशिश में लगे लोगों को स्पष्ट संकेत भी दिया गया था कि आनेवाला समय उपेन्द्र कुशवाहा का है। अब जेडीयू के एक नेता व पूर्व विधायक पोस्टर में तस्वीर नहीं लगाकर उपेन्द्र कुशवाहा को नेता मानने से ही इनकार कर दिया। ऐसे में अभय कुशवाहा सीधे सीएम नीतीश कुमार को चुनौती दे रहे हैं.  

नीतीश तो नीतीश ठहरे,आखिर कितना दिन पचा पाते

आरसीपी सिंह का अंर्तविरोध उस समय भी बहुत स्पष्ट हो गया था जब कुशवाहा को दल में शामिल कराने के कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर वे शामिल नहीं हुए थे। सीएम नीतीश कुमार प्रदेश कार्यालय में कुशवाहा को गुलदस्ता देकर स्वागत कर रहे थे तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली में बैठकर नई रणनीति पर काम कर रहे थे।  हालांकि कुशवाहा ने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह से मिलकर इसे पाटने की कोशिश की थी. बात पर्दे से तब और बाहर आ गई जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में चार सीटों की मांग करने वाली जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने खुद मंत्री पद का तमगा पाकर भरपूर संतोष प्राप्त कर लिया। स्थिति ऐसी हो गई कि नीतीश कुमार को न निगलते बन रहा था न उगलते। इतना ही नहीं इसके बाद तो आरसीपी सिंह के खासमखास बताये जाने वाले प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने ऐलान कर दिया था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है। लेकिन नीतीश तो नीतीश ठहरे......आखिर कितना दिन पचा पाते....।दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी दिलवा दी। अब तो समझिये पार्टी के अंदर मानो कयामत आ गई। 


कुशवाहा को बेआबरू करने की जारी है कोशिश

ललन सिंह के पटना में आयोजित स्वागत समारोह में उमड़ी भीड़ ने विरोधियों के होश उड़ा दिये। फिर तैयारी शुरू हो गई आरसीपी सिंह के स्वागत के बहाने नीतीश-ललन-उपेन्द्र को औकात दिखाने की तैयारी। इसका मजमून भी पटना की सड़कों पर दिख रहा है। आरसीपी सिंह गुट के मुखौटा बने पूर्व विधायक अभय कुशवाहा ने सबसे पहले इसका बीड़ा उठाया और प्रदेश कार्यालय के गेट पर एक ऐसा पोस्टर लगाया जिसमें उपेन्द्र कुशवाहा और ललन सिंह की तस्वीर ही गायब कर दी। विवाद बढ़ा तो प्रदेश अध्यक्ष सामने आये। उन्होंने कहा कि पोस्टर लगाने वाले लोगों पर कार्रवाई होगी। लेकिन यह सिर्फ आई-वॉश भर रह गया। प्रदेश कार्यालय के बाहर से तो पोस्टर हटाया गया लेकिन पूरे शहर में पोस्टर चस्पा किया गया है।जिसमें न तो राष्ट्रीय अध्यक्ष दिख रहे न ही संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष।

उपेन्द्र कुशवाहा को नेता मानने से ही इनकार कर रहे पूर्व विधायक

हद तो तब हो गई जब एक अदना सा पूर्व विधायक ससंदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा को अपना नेता ही मानने से इंकार कर रहे। सवाल तो यह है कि जिस उपेन्द्र कुशवाहा को खुद नीतीश कुमार ने दल में शामिल कराया उसका विरोध एक पूर्व विधायक कर रहे। क्या ऐसा संभव है? बिना किसी बड़े नेता के संरक्षण मिले अभय कुशवाहा ऐसा कर सकते हैं ? इसका जवाब होगा नहीं.......। तो फिर अभय कुशवाहा के सिर पर किसका हाथ है आप खुद समझ सकते हैं. 


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