VARANASI : वाराणसी के जिला अदालत के निर्देश पर ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में बीती रात लगभग 30 साल बाद पूजा की गई। जिसको लेकर हिंदू समुदाय में खुशी है। वहीं दूसरी तरफ इस पूजा को लेकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने नाराजगी जाहिर कर दी। उन्होंने इसे नियत प्रक्रिया से परे गतिविधि करार दिया है।
अखिलेश यादव ने कहा कि सोशल मीडिया एक्स पर किए पोस्ट में लिखा कि किसी भी अदालती आदेश का पालन करते समय उचित प्रक्रिया को बनाए रखना होगा। वाराणसी की अदालत ने इसके लिए सात दिन की अवधि तय की थी। अब हम जो देख रहे हैं वह नियत प्रक्रिया से परे जाने और किसी भी कानूनी सहारे को रोकने का एक ठोस प्रयास है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा थी मस्जिद कमेटी
एक तरफ रात में ज्ञानवापी मंदिर में पूजा की जा रही थी। दूसरी तरफ उसी समय मस्जिद कमेटी के सदस्य जिला अदालत के निर्देश को रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुंच गए। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि चूंकि आदेश निचली अदालत से दिया गया है। ऐसे में इस मामले को हाईकोर्ट में लेकर जाएं। बताया जा रहा है कि मस्जिद कमेटी इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी में हैं। वही दूसरी तरफ मंदिर पक्ष के द्वारा भी इसको लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है।
बता दें हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक, जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है। उन्होंने दावा किया कि इस तहखाने में वर्ष 1993 तक पूजा-अर्चना होती थी मगर उसी साल तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने इसे बंद करा दिया था।
वकील मोहन यादव ने बताया कि जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा है कि वादी शैलेन्द्र व्यास तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा तय किये गए पुजारी से व्यास जी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राग-भोग कराए जाने की व्यवस्था सात दिन के भीतर कराएं। यादव ने बताया कि पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा और ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के समक्ष बैठे नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला जाएगा।