पटना. लोकसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस को बिहार में अपनी पकड़ को मजबूत करने में नई संजीवनी का रूप रहा है. पिछले कई चुनावों के बाद कांग्रेस के लिए बिहार में मौका आया जब न सिर्फ उसने सीटों के लिहाज से बड़ी जीत हासिल की है बल्कि वोट प्रतिशत में भी बड़ा उछाल देखने को मिला है. लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा रहे कांग्रेस ने बिहार में 9 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. इसमें तीन सीटों पर कांग्रेस जीत हासिल करने में सफल रही. कांग्रेस उम्मीदवार ने जहां किशनगंज की सीट पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की, वहीं कटिहार और सासाराम भी कांग्रेस के हाथ आया. इतना ही नहीं वोट प्रतिशत भी बढ़कर वर्ष 2019 के 7.85 प्रतिशत की तुलना में लोकसभा चुनाव 2024 में 9.20 हो गया.
आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 33 फीसदी सीटों पर जीत हासिल की है. कांग्रेस के कमाल एक प्रदर्शन के पीछे बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह की अहम भूमिका मानी जा रही है. पार्टी सूत्रों की मानें तो अखिलेश सिंह के नेतृत्व में कई मजबूत फैसले लिए गये. नेताओं को विशेष टास्क देकर चुनाव में जनता से जुड़ाव स्थापित करने का सुझाव दिया गया. इतना ही नहीं चुनाव में उम्मीदवारों के चयन को लेकर भी कई चौंकाने वाले फैसले लिए गये जिसका बड़ा असर पार्टी के वोट प्रतिशत में सुधार के रूप में दिखा.
अखिलेश सिंह के सियासी कौशल और रणनीतिक महारतता को ध्यान में रखकर पार्टी हाईकमान ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था. पिछले करीब दो साल से कांग्रेस को कई मोर्चों पर सदन से सड़क तक लगातार सक्रिय भूमिका में लाने अखिलेश ने प्रभावशाली भूमिका निभाई. इतना ही नहीं पार्टी को मजबूत और एकजुट रखने के लिए नेतृत्व क्षमता का भी प्रदर्शन किया. इतना ही जातीय समीकरणों को साधने में भी अखिलेश ने कई चौंकाने वाले फैसले लिए. जनता से सीधे जुड़ाव स्थापित कर कांग्रेस को एक बेहतर विकल्प के रूप में पेश करने के लिए अखिलेश सिंह की रणनीति काम आई और पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 9 में से 3 सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता पाई.
निश्चित रूप से कांग्रेस ने अपने इस प्रदर्शन से राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाया है. बिहार में कांग्रेस ने सहयोगी दलों के साथ अच्छा तालमेल दिखाया और एनडीए की कई सीटों मुश्किलें बढ़ाई. नतीजा रहा कि एनडीए ने भले ही बिहार में 30 सीटों पर जीत हासिल की लेकिन वर्ष 2019 की तुलना में इस बार सभी सीटों पर एनडीए उम्मीदवारों की जीत का वोट कम गया. इतना ही नहीं कांग्रेस ने जहां जहां उम्मीदवार उतारे उन सीटों पर जीत का अंतर और ज्यादा कम का रहा.
एक वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले जहां लोकसभा चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए बड़ी राहत है. वहीं अखिलेश सिंह के नेतृत्व में पार्टी अभी से विधानसभा चुनावों को लेकर भी तैयार हो गई है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि हाईकमान को अखिलेश पर पूरा भरोसा है. इसी कारण बिहार से जुड़े मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए अखिलेश पर भरोसा जताया गया है. साथ ही विधानसभा चुनावों में पार्टी और ज्यादा मजबूत हो इसके लिए अभी से नेताओं और कार्यकर्ताओं को अहम जिम्मेदारी देने की चर्चा है. ऐसे में पार्टी लोकसभा की भांति ही विधानसभा चुनाव में भी अपने लिए ज्यादा बेहतर अवसर देखने लगी है.