नीतीश सरकार के लिए एक और निराशाजनक खबर : प्रति व्यक्ति आय में फिसड्डी साबित हुआ बिहार, कैग की रिपोर्ट में उजागर हुई बेहाली

नीतीश सरकार के लिए एक और निराशाजनक खबर : प्रति व्यक्ति आय में फिसड्डी साबित हुआ बिहार, कैग की रिपोर्ट में उजागर हुई बेहाली

पटना. बिहार में विकास को लेकर बड़े बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन कैग की हालिया रिपोर्ट ने राज्य की बदहाली की वह तस्वीर पेश की है जिससे पता चलता है कि प्रदेश में प्रति आय आय की हालत बेहद खराब है. यहां तक कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में भी बिहार इस मामले में पिछड़ा हुआ है. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार में प्रति व्यक्ति आय 54,383 रुपये है. वहीं बिहार के पड़ोसी राज्यों का आंकड़ा देखें तो झारखंड में 88,535 रुपये , उत्तर प्रदेश 79,396 रुपये, ओडिशा में 1,39,995 रुपये और मध्य प्रदेश में 1,37,339 रुपये है.

हालांकि बिहार ने वर्ष 2021-22 के दौरान 15.04 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ जीएसडीपी के रूप में 6,75,448 करोड़ रुपये दर्ज किए हैं. महामारी की अवधि को छोड़कर इसमें प्रति वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जब 2020-21 में विकास दर 0.80 प्रतिशत थी. भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2020-21 में पिछले साल की तुलना में -1.36 फीसदी दर्ज किया गया.

दरअसल, सीएजी रिपोर्ट में 2011 से 2022 की अवधि के लिए आर्थिक विकास में वृद्धि दिखाई गई है, क्योंकि इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद जीएसडीपी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 10.18 प्रतिशत रही है, जो देश के राष्ट्रीय सीएजीआर 10.11 फीसदी से अधिक है. इसी में राज्यों के प्रति व्यक्ति आय का भी आकलन दर्शाया गया है. इसमें बिहार और उसके पड़ोसी राज्यों की तुलना में यह बातें सामने आई हैं. 

वहीं, 31 मार्च, 2022 तक सरकारी संस्थाओं ने बिहार राज्य सरकार की ओर से 1,482.50 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया है. ये ऋण राज्य सरकार द्वारा बजट से बाहर उधार हैं. राज्य सरकार ने इन ऋणों के लिए गारंटी प्रदान की है, क्योंकि ये उधार सीधे सरकार की उधारी का हिस्सा नहीं है. इन्हें वित्तीय खातों के सार्वजनिक ऋण में शामिल नहीं किया गया और इसलिए आंकड़ों की गणना राज्य के राजकोषीय घाटे के रूप में की जा रही है.

इस प्रकार, राज्य की ऑफ-बजट उधारी को ध्यान में रखते हुए, मार्च 2022 के अंत में कुल बकाया ऋण 2,57,510,21 करोड़ रुपये के मुकाबले 2,58,992,71 करोड़ रुपये हो गया. फलस्वरूप वर्ष 2022 के अंत में जीएसडीपी का कुल ऋण प्रतिशत 0.22 प्रतिशत माना गया.

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