न्यायिक व्यवस्था के माध्यम से महिलाओं की आवाज को सशक्तिकरण देने की अपील, पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का खास आह्वान

न्यायिक व्यवस्था के माध्यम से महिलाओं की आवाज को सशक्तिकरण देने की अपील, पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का खास आह्वान

पटना. न्यायिक व्यवस्था के माध्यम से महिलाओं की आवाज को सशक्तिकरण देने के लिए एक समारोह का आयोजन पटना के एल एन  मिश्रा सभागार में हुआ। ये आयोजन आल इंडिया फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स और बिहार फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के वी चंद्रन ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि वरीय अधिवक्तायों को महिला अधिवक्तायों को अपने साथ प्रशिक्षित करना चाहिए। इससे वे इस क्षेत्र में बेहतर योगदान दे सकेंगी। उन्होंने कहा कि सिर्फ महिला अधिवक्ताओं को अपने सशक्तिकरण की नहीं, बल्कि समाज के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए भी सशक्तिकरण के लिए कार्य करने की जरूरत है.

वरीय जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने कहा कि महिलाएं स्वयं अपने आप में काफी सशक्त और योग्य है। उन्होंने राज्य न्यायिक सेवा में उनकी बढ़ती भागीदारी की चर्चा करते हुए कहा कि उन्हें कार्य करने की स्वतंत्रता व समान अवसर दिये जाने की जरूरत है। राज्य एडवोकेट जनरल श्री पी के शाही ने इस अवसर पर पटना हाईकोर्ट में महिला जजों के प्रतिनिधित्व नहीं का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों में  राज्य सरकार ने महिलाओं की पचास प्रतिशत आरक्षण दिया है। सरकारी अधिवक्ताओं में भी इनकी समुचित भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

इस अवसर पर आल इंडिया फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स की अध्यक्षा हेमलता महिषी, बिहार फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स की अध्यक्षा अर्चना सिन्हा व अन्य कई वक्ताओं ने अपने विचार रखें। इस अवसर पर बिहार फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स के द्वारा प्रकाशित मैगज़ीन के प्रथम अंक समत्व का चीफ जस्टिस के वी चंद्रन ने लोकार्पण किया

कार्यक्रम का यह है उद्देश्य : इस कार्यक्रम के उद्देश्यों और न्यायिक व्यवस्था के सम्बन्ध में  फेडरेशन की सचिव एडवोकेट कल्पना ने बताया कि  महिलाएं, जो अशिक्षित, कमजोर, आर्थिक रूप से खराब स्थिति में , उन्हें  कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है । उन्होंने कहा कि इस श्रेणी की महिलाओं के अलावे सामान्य महिलाओं में  कानून और उनसे सम्बन्धित कानूनी अधिकारों की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाओं को कानूनी सहायता देना तो उनका मूलभूत उद्देश्य है।लेकिन उन्हें  उनसे सम्बन्धित कानूनों और अधिकारों की जानकारियां देना और जागृत करना भी उनका उद्देश्य हैं ।


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