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अरवल BJP कैंडिडेट 'दीपक' को कंपनी और केस छुपाना पड़ रहा महंगा, 'माले' का भय दिखाना भी नहीं हो रहा कारगर,मंझधार में फंस गयी नैय्या!

पटनाः  बिहार बीजेपी ने अरवल से जिसे उम्मीदवार बनाया है उसके फर्जीवाड़े की पोल गांव-गांव तक पहुंच गयी है।बीजेपी के जो वोटर हैं वो अब सार्वजनिक तौर पर पूछने लगे हैं कि आखिर पार्टी को एक बड़े नटवरलाल को टिकट देने की ऐसी क्या मजबूरी थी। न्यूज4नेशन लगातार अरवल के बीजेपी कैंडिडेट दीपक शर्मा के जालसाजी की खबर एक-एक कर सामने लाया है। सबूत के साथ बताया गया कि अधिकारियों से मिलीभगत कर एक पर एक फर्जीवाड़ा अरवल के वर्तमान बीजेपी कैंडिडेट की तरफ से किये गए। इतना ही नहीं बीजेपी कैंडिडेट ने नामांकन के समय दिये हलफनामें में कई केस,कंपनी के नाम को छुपा लिया गया जो पूरे तौर पर नियमों का उल्लंघन है। इसके बाद एक प्रत्याशी ने निर्वाची पदाधिकारी से शिकायत की।कार्रवाई नहीं होता देख चुनाव आयोग से शिकायत की गई। अब यह मामला पटना हाईकोर्ट पहुंच गया है। लेकिन इस चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट को कंपनी और केस छुपाना महंगा साबित हो रहा है। वहीं अरवल में माले का भय दिखाने की कोशिश भी कारगर साबित नहीं हो रही।अब जबकि पहले चरण के चुनाव प्रचार का कल आखिरी दिन है और 28 अक्टूबर को चुनाव होने हैं.लिहाजा देखने वाली बात होगी कि वे इस इश्यू को वे बीजेपी कैंडिडेट कितना कम कर पाते हैं और माले के भय को वोटरों के बीच दिखाकर कितना वोट अपने पाले में ला पाते हैं।

नेता जी को कंपनी और केस छुपाना पड़ रहा महंगा

हालांकि अरवल में माले का भय दिखाकर बीजेपी के परंपरागत वोटरों की गोलबंदी की कोशिश की जा रही है। लेकिन सवाल पूछा जा रहा,आखिर हम एक बड़े फ्रॉड को वोट क्यों दें...हालांकि बीजेपी कैंडिडेट की तरफ से सफाई भी दी जा रही है और बताया जा रहा है कि कोई ऐसा केस नहीं है। लेकिन अब जनता इतनी बेवकूफ नहीं है। जनता यह भी सवाल उठा रही कि अगर कैंडिडेट के खिलाफ इतने केस हैं और दो-दो कंपनियां हैं तो फिर छुपाया क्यों गया.....? जब ये चुनाव आयोग से छिपा सकते हैं तो हम लोग तो अदना सा वोटर हैं....।अरवल के वोटर पूछ रहे आखिर छुपाने के पीछे बीजेपी कैंडिडेट की मंशा क्या थी? 

पटना हाईकोर्ट में है दाखिल की गई है याचिका

पटना हाईकोर्ट के वकील दीनू कुमार ने बताया कि अरवल के बीजेपी कैंडिडेट दीपक कुमार शर्मा के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर जो नॉमिनेशन फाइल किया है उसके एफिडेविट में बहुत सारी बातों का जिक्र नहीं किया है। दो प्राइवेट कंपनी के डायरेक्टर होने के बावजूद उसके बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है. वहीं 4 केस के बारे में कुछ नहीं दर्शाया गया है। इतना ही नहीं अरवल कैंडिडेट से संबंधित मामलों को लेकर जनता पार्टी के उम्मीदवार मोहन कुमार ने 9/10/20 को ही रिटर्निंग ऑफिसर के पास कंप्लेन किया था। लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई ।इसके बाद उन्होंने ईमेल से रिटर्निंग ऑफिसर ,डिस्ट्रिक्ट रिटर्निंग ऑफिसर और इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को इससे संबंधित शिकायत दर्ज कराई, जिसे इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने रजिस्टर कर लिया, इनके द्वारा मांग की गई थी कि उनका नॉमिनेशन रद्द किया जाए, हमने सारी जानकारी उपलब्ध करा दी है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उन्होंने बताया कि अभी तक दीपक शर्मा पर कोई भी एफआईआर डिस्ट्रिक्ट रिटर्निंग अफसर द्वारा दर्ज नहीं किया गया, जबकि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइन है कि अगर किसी प्रत्याशी पर अपराधिक मुकदमा है तो उन्हें तीन बार विभिन्न मीडिया माध्यमों में इससे संबंधित विज्ञापन देना होगा, इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के द्वारा एक पत्र के माध्यम से यह भी निर्देश है. अथॉरिटी को कार्रवाई के लिए लेटर भेजा गया लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर के द्वारा इस पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा. पटना हाईकोर्ट में दायर अपील में मांग है कि एसडीओ को हटाया जाय। जब तक नॉमिनेशन कैंसिल नहीं होता तबतक अरवल विधानसभा के काउंटिंग और परिणाम पर रोक लगाई जाए.

सरकारी अधिकारियों से मिलकर निकाले 41 लाख रू

अरवल के बीजेपी कैंडिडेट दीपक शर्मा सहकारिता विभाग की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा का खेल खेलता रहा।सरकार के पत्र से ही इसकी पोल खुल गई थी लेकिन इसकी सेटिंग ऐसी तगड़ी रही कि आज तक कुछ भी बाल बांका नहीं हुआ।अरवल के बीजेपी कैंडिडेट दीपक शर्मा की कंपनी शांति कंस्ट्रक्शन के 27 लाख का फर्जीवाड़ा जब पकड़ा गया तो विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए 16 जुलाई 2013 को दीपक शर्मा की शांति कंस्ट्रकशन कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया। जब इसे जानकारी हुई इसके बाद विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर ब्लैक लिस्टेड कंपनी के नाम पर सरकारी राशि का भुगतान करा लिया।सहकारिता विभाग ने बिहार राज्य भंडार निगम के एमडी को 4 नवबंर 2013 को पत्र लिखकर पूरी खोल दी और दीपक शर्मा की कंपनी को बचाने और काली सूची में डाले जाने के बाद भी सरकारी राशि ट्रांसफऱ किये जाने के आरोप में कार्रवाई करने को कहा। सहकारिता विभाग ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि दीपक शर्मा की कंपनी को 8 जुलाई 2013 को काली सूची में डालने का निर्णय हुआ,इसके बाद 15 जुलाई को इस संबंध में आदेश जारी हुआ।लेकिन मिलीभगत से 8 जुलाई और पंद्रह जुलाई के बीच यानी 13 जुलाई को 41 लाख 28 हजार 960 रू की सरकारी राशि का भुगतान कर दिया गया। इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन प्रबंध निदेशक एवं अन्य कर्मियों की संलिप्तता सामने आई थी।

जब दीपक शर्मा की कंपनी पर सहकारिता विभाग ने भी लिया था एक्शन

सहकारिता विभाग ने अरवल के बीजेपी कैंडिडेट दीपक शर्मा की कंपनी शांति कंस्ट्रक्शन के फर्जीवाड़े के बाद हरकत में आया। इसके बाद विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए 16 जुलाई 2013 को दीपक शर्मा की कंपनी शांति कंस्ट्रकशन कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया।सहकारिता विभाग की तरफ से बिहार राज्य भंडार निगम के एमडी को इस संबंध में आदेश जारी किया गया था। साथ ही कंपनी के एमडी का साथ देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने को कहा था।दरअसल दीपक शर्मा ने शांति कंस्ट्रक्शन के नाम से गोदाम बनाने का टेंडर लिया था।टेंडर में 27 लाख का फर्जी बैंक गारंटी जमा कर दिया था। अरवल के वर्तमान बीजेपी कैंडिडेट दीपक शर्मा ने भंडार निगम के कर्मियों की मिलीभगत से फर्जी बैंक गारंटी डाला था। जब खुलासा हुआ तो सहकारिता विभाग ने दीपक शर्मा की कंपनी को तो ब्लैक लिस्टेड किया ही अपने अधिकारियों पर भी एक्शन लेने का आदेश जारी किया था।

साढ़े 10 लाख का चेक हो गया बाउंस

बीजेपी ने अरवल से जिसे उम्मीदवार बनाया है उस पर चेक बाउंस का भी केस है।आरोपी बीजेपी उम्मीदवार दीपक शर्मा ने नामांकन के समय दिये अपने हलफनामें में सिर्फ उसी केस का खुलासा किया है। दीपक शर्मा के ऊपर वर्तमान में एसीजेएम-7 पटना की अदालत में मामला पेंडिंग है। दरअसल दीपक शर्मा ने एक शख्स प्रेम प्रकाश जो उसी के इलाके के हैं  उनसे पैसे लिये थे। जब उन्होंने पैसे वापस मांगे तो उसने 2011 में  10.5 लाख का चेक दिया। जब उस शख्स ने दीपक शर्मा द्वारा दिये गए चेक को बैंक में जमा किया तो उसमें पैसे ही नहीं थे लिहाजा चेक बाउंस कर गया। इसके बाद पीड़ित व्यक्ति ने कोर्ट में आवेदन दिया। इस आधार पर बीजेपी कैंडिडेट दीपक कुमार शर्मा पर पटना की अदालत में धार- 138, और आईपीसी की धारा 406 के तहत केस चल रहा है।

अपने खास रिश्तेदार पर भी पैसा पचाने के लिए किया था झूठा केस 

दरअसल यह मामला कंकड़बाग थाने से जुड़ा है।जब दीपक कुमार शर्मा ने अपने एक नजदीकी रिश्तेदार को फंसाने के उद्देश्य से उनके खिलाफ केस दर्ज कराया था।कंकड़बाग थाने को दिये आवेदन में दीपक कुमार शर्मा ने 14 सितबंर 2011को कंकड़बाग थाने में जो केस दर्ज कराया उसमें अपने एक रिश्तेदार अनुज शर्मा एवं अन्य तीन पर रंगदारी मांगने और बैग में रखा एक लाख रू लेकर भाग जाने का आरोप था। पटना के सदर एसडीपीओ ने जब जांच किया तो दीपक शर्मा ने जो केस दर्ज किया था वो फर्जी पाया गया।पुलिस ने जांच में पाया कि इन्होंने जो आरोप लगाये थे वो पूरी तरीके से गलत था और फंसाने की नियत से केस दर्ज किये गये थे।एसडीपीओ ने 25 नवंबर 2011 की जांच रिपोर्ट में पाया कि अपने रिश्तेदार जो व्यावसायिक पार्टनर भी थे उनको फंसाने की साजिश रची गई थी। पुलिस ने दीपक शर्मा के केस को तो गलत करार दिया ही, साथ ही इस जुर्म में आवेदक दीपक शर्मा के खिलाफ धारा-182/211आईपीसी के तहत प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया गया।यानी कि एसडीपीओ ने फर्जी केस करने के जुर्म में दीपक शर्मा पर उल्टा केस दर्ज करने का आदेश जारी किया था।  

जानिए 27 लाख के फर्जी बैंक गारंटी की कहानी

अरवल के बीजेपी कैंडिडेट दीपक कुमार शर्मा पर 27 लाख का फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर टेंडर लेने का आरोप है। आरोपी बीजेपी नेता ने पंजाब बैंक की गारंटी को भंडार निगम में काम लेने के लिए उपयोग किया था। जब पंजाब बैंक से इसकी जानकारी आरटीआई से मांगी गई तो पता चला कि बैंक गारंटी सं-42/2009  सत्ताईस लाख रू का बैंक से जारी ही नहीं की गई है। पंजाब नेशनल बैंक की ट्रांसपोर्ट नगर शाखा ने अक्टूबर 2012 में ही यब बता दिया कि इस नंबर की कोई बैंक गारंटी जारी नहीं की गई है। इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हो गया।

आर्थिक अपराध इकाई ने जांच में आरोप सही पाया

 इसके बाद पूरे मामले को आर्थिक अपराध इकाई को बेज दिया गया. आर्थिक अपराध इकाई ने पूरे मामले की जांच कराई और जांच में यह पाया कि मेसर्स शांति कंस्ट्रक्शन के द्वारा 13 करोड़ रू की लागत से बनने वाले गोदाम को लेकर जो भंडार निगम को जो बैंक गारंटी दी गई है वो जाली है। पंजाब नेशनल बैंक ने स्पष्ट कर दिया कि जो बैंक गारंटी ठेका प्राप्त करने में लगाई गई वो मेरे बैंक से जारी नहीं की गई है। बैंक की तरफ से दी गई जानकारी को आदार मानकर ईओयू ने रिपोर्ट बेज दिया।

एसएसपी के आदेश पर दर्ज हुआ था मुकदमा

आर्थिक अपराद इकाई ने शांति कंस्ट्रक्शन के एमडी दीपक कुमार सिंह की तरफ से किये गए फर्जी बैंक गारंटी कांड की जांच रिपोर्ट पटना एसएसपी को 23 मई 2013 को सौंप दिया।अब मामला गंभीर होते गया इसके बाद मामले को दबाने की कोशिश हुई लेकिन मामला काफी हाई प्रोफाइल होने की वजह से पटना एसएसपी ने 28 मई 2013 को कोतवाली थानाध्यक्ष को केस दर्ज करने का आदेश दिया।पटना एसएसपी के आदेश के करीब 2 महीने बाद 8 जुलाई 2013 को कोतवाली थाने में केस दर्ज होता है।कोतवाली पुलिस ने इस फर्जीवाड़े में शांति कंस्ट्रक्शन के प्रबंधक दीपक कुमार शर्मा, भंडार निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक उमेश चंद्र शर्मा और दिलीप कुमार ,कार्यपालक अभियंता शेखऱ सिन्हा पर नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसमें दीपक शर्मा समेत अन्य पर धारा-420,406,467,468,471 और 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया। इसके बाद मामला कोर्ट में चला.

 नामांकन पत्र में फ्रॉड केस छुपाने का आरोप

आरोप है कि अरवल के बीजेपी प्रत्याशी दीपक कुमार शर्मा ने अपने ऊपर दर्ज फ्रॉड केस को छुपाया है। नामांकन के समय दिये हलफनामें में बीजेपी प्रत्याशी दीपक कुमार शर्मा ने चार केसों का कोई उल्लेख नहीं किया है। बीजेपी उम्मीदवार ने अपने नामांकन पत्र में सिर्फ एक केस का उल्लेख किया है।इसके बाद बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई गई है।शंभु कुमार की तरफ से चुनाव आयोग को भेजे शिकायती पत्र में कहा गया है कि अरवल से भाजपा प्रत्याशी दीपक कुमार शर्मा के ऊपर कई केस दर्ज हैं। बजाप्ता चार केसों का डिटेल दिया गया है जिसे बीजेपी प्रत्याशी ने उल्लेख नहीं किया है। चुनाव आयोग को भेजे गये शिकायती पत्र में प्रमाण दिया है कि चार केस पटना की अदालत में पेंडिंग है जिसका कोई जिक्र उन्होंने नहीं किया है।अब देखना होगा चुनाव आयोग इस शिकायत के बाद क्या कार्रवाई करता है।

बैकफुट पर बिहार बीजेपी

इस खुलासे के बाद बीजेपी कहीं न कहीं बैकफुट पर है। बीजेपी उम्मीदवार दीपक शर्मा की कलई खुलने के बाद पार्टी नेता भौचक्के हैं। पार्टी नेता भी नहीं जानते थे कि जिसे टिकट दिया जा रहा उस पर फ्रॉड के इतने केस हैं। आखिर अब कर भी क्या सकते हैं।ऐसे में बीजेपी ने बिना जांचे परखे टिकट देकर अपनी साख पर बड़े सवाल खड़े कर लिये हैं।

जानिए बीजेपी उम्मीदवार की कारस्तानी

बीजेपी ने इस बार अरवल से दीपक शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। लेकिन पार्टी ने जिस पर विश्वास जताया है उस पर राजधानी के कई थानों में फ्रॉड के 5 मुकदमें दर्ज हैं। अपने आप को अलग बताने वाली पार्टी बीजेपी ने एक तरह से फ्रॉड को टिकट देकर सम्मानित कर दिया है। बीजेपी के उम्मीदवार दीपक शर्मा पर 2018 में फ्रॉड के तीन केस हुए वहीं 2019 में भी एक केस दर्ज किया गया। इसके अलावे 2013 में भी दीपक शर्मा पर कोतवाली थाने में बड़ा फ्रॉड का केस दर्ज है।ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अब बीजेपी में टिकट लेने के लिए फ्रॉड का ठप्पा लगनाा जरूरी हो गया है।

बीजेपी नेतृत्व को दीपक शर्मा के फ्रॉड की जानकारी नहीं होगी लेकिन न्यूज4नेशन उस नेता के फ्रॉड की कारस्तानी बता रहा। दीपक शर्मा पर 2018 में बुद्धाकॉलनी थाने में धोखाधड़ी का केस संख्या 503-18 दर्ज है।इसके अलाेव 2018 में ही श्रीकृष्णापुरी थाने में केस संख्या-205-18 दर्ज है।फिर 2018 में एक और केस बुद्धा कॉलनी थाने में दर्ज हुआ।इसका केस संख्या-447-18 है। इसमें धारा 323,363,364,365,368,420 समेत कई अन्य धाराओं में फ्रॉड का केस दर्ज है।2019 में पटना के श्रीकृष्णापुरी थाने में केस सं.-11-19 दर्ज है।इसमें भी भाजपा नेता दीपक शर्मा पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज है।

इसके अलावे 2013 में पटना के कोतवाली थाने में केस संख्या-379-13 एसएफसी के भंडार निगम ने भाजपा नेता दीपक शर्मा के फ्रॉड की पोल खोली थी और जांच रिपोर्ट के आधार पर केस दर्ज हुआ था। इस पर एसएसपी के आदेश पर 27 लाख रू का जाली बैंक गारंटी देने के मामले में कोतवाली थाने में केस दर्ज हुआ था। थाने में गलत केस करने के कारण कंकडबाग पुलिस ने इस पर केस दर्ज किया था.जानकारी के अनुसार 2018-19 में धोखाधड़ी के जो 4 केस हुए हैं किसी में भी भाजपा नेता दीपक शर्मा को क्लीन चिट नहीं मिली है। वहीं कोतवाली थाने वाले मामले में भी भाजपा नेता को अब तक बरी नहीं किया गया है।ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी अब इसी तरह के नेताओं को पसंद करती है।

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