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पिता के दुकान की किताब पढ़कर आईपीएस बने आशीष भारती, अब तैनाती वाले हर जिले में खोल रहे पुलिस पुस्तकालय, पढ़िए पूरी खबर

पिता के दुकान की किताब पढ़कर आईपीएस बने आशीष भारती, अब तैनाती वाले हर जिले में खोल रहे पुलिस पुस्तकालय, पढ़िए पूरी खबर

GAYA : बिहार के चर्चित आईपीएस अधिकारियों में आशीष भारती का नाम शामिल है. दुर्दांत अपराधियों को थर्राने और भाकपा माओवादी सेंट्रल कमिटी के प्रमुख लीडरों में शामिल विजय आर्य, प्रमोद मिश्रा जैसे नक्सलियों को पकड़ने वाले आशीष भारती सामाजिक पहलुओं के लिए भी जाने जाते हैं. यह वर्तमान में गया एसएसपी के पद पर पोस्टेड है. किंतु आशीष भारती की एक खासियत यह भी है कि उनकी पोस्टिंग जहां होती है. वहां ये पुलिस पुस्तकालय जरूर खोलते हैं. इन पुलिस पुस्तकालय में आईएएस, यूपीएससी, बीपीएससी सहित विभिन्न बड़ी प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबें होती है. इन पुलिस पुस्तकालयों के खोलने के पीछे इस आईपीएस के संघर्ष की लंबी सफर वाली कहानी है.

चर्चित आईपीएस का पुलिस पुस्तकालय 

फिलहाल में चर्चित आईपीएस एक बार फिर चर्चा में हैं. वजह यह है की गया एसएसपी कार्यालय में इन्होंने पुलिस पुस्तकालय खोला है. यह पुलिस पुस्तकालय कोई मामूली नहीं, बल्कि कई वैसे छात्रों का भविष्य संवार सकता है, जो मुुफलिसी और तंगी के बीच अपने सपनों को बीच में छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में आईएएस, यूपीएससी, बीपीएससी समेत विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं वाली किताबें इस आईपीएस द्वारा खोली गई पुलिस पुस्तकालय में मौजूद है. बड़े-बड़े राइटरों की लिखित पुस्तकें इस पुलिस पुस्तकालय में मौजूद है. इसमें कई किताबें ऐसी है, जिसे खुद आशीष भारती द्वारा डेवलप कर लिखी गई है, वहीं उनकी पत्नी स्वपना गौतम मेश्राम के द्वारा भी कई प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबें लिखी गई है, जो इस पुलिस पुस्तकालय में रखी है.

प्रेरणा बनी पिता की गुमटी की किताब की दुकान

आशीष भारती का पैतृक गांव मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के परवलपुर है. इनका आईपीएस बनने का संघर्ष काफी संघर्ष भरा रहा है. दरअसल, पुलिस पुस्तकालय को खोलकर आईपीएस आशीष भारती चर्चित हो रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं इस पुलिस पुस्तकालय का कनेक्शन उनके पिता की रही किताब की गुमटी से जरूर है. इस आईपीएस के पिता की गुमटी में किताब की दुकान थी. जब आशीष भारती छोटे थे, तो उस किताब की दुकान पर छात्र आते थे और पढ़ाई करते थे, पुस्तकें घर भी ले जाया करते थे और सफल भी होते थे. पिता की छोटी सी दुकान की किताबों को पढ़कर सफल होने वाले छात्रों और उनके उत्साह को देखा तो आशीष भारती को प्रेरणा मिली. इन्होंने ठाना की वह भी बड़ी प्रतियोगिता परीक्षा यूपीएससी, बीपीएससी आदि को क्वालीफाई करेंगे. उन्होंने अपने पिता की दुकान से ही बुक लेकर प्रारंभिक पढ़ाई शुरू कर दी और आज सफलता के मुकाम तक पहुंचे हैं. आशीष भारती आज बिहार के चर्चित आईपीएस में से एक हैं. वहीं, उनकी पत्नी स्वप्नला मेश्राम भी औरंगाबाद एसपी की पद पर हैं. 

2011 बैच के आईपीएस में हुआ सिलेक्शन

प्रारंभिक शिक्षा नालंदा जिला के परवलपुर से हुई. जिसमें उनके पिता की दुुकान की किताबों का बड़ा योगदान रहा, जो उनकी प्रतिभा को आगे बढ़ाते चली गई. इसके बाद पटना और फिर दिल्ली से पढ़ाई करने के बाद कंप्यूटर इंजीनियर बने और फिर 2011 बैच के आईपीएस के तौर पर इनका सिलेक्शन हुआ.

कोई विभागीय या सरकारी निर्देश नहीं, यह सामाजिक पहल

वर्तमान में गया में एसएसपी के पद पर पोस्टेड आशीष भारती बताते हैं, कि उनके द्वारा एसएसपी कार्यालय में पुलिस पुस्तकालय खोला गया है. यहां करीब 200 से अधिक किताबें रखी है. पुस्तक डोनेट भी कर सकते हैं. पुस्तकों की संख्या अभी और बढ़ाई जाएगी. इसमें विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा आईएएस, यूपीएससी, बीपीएससी समेत अन्य तैयारियों की पुस्तकें समेत साहित्य की विभिन्न पुस्तक रखी गई है. प्रतियोगिता परीक्षा व अन्य किताबें बड़े राइटरों की लिखित हैं. एसएसपी आशीष भारती बताते हैं, कि यह उन्हें कोई विभागीय निर्देश या सरकारी आदेश नहीं था. उन्होंने सामाजिक दायित्व निभाते हुए इसकी पहल की है. वह इससे पहले रोहतास में थे और पुलिस पुस्तकालय खोला था. पुलिस पुस्तकालय खोले जाने के विचार के बाबत बताते हैं, कि कई लोग संपर्क में रहते हैं. विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा होती है, जिसमें उन्हें आवश्यकता महसूस होती है. जो किताबों से वंचित रह जाते हैं, उनको लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए भी यह एक पहल कही जा सकती है. वहीं, जो लोग दिनभर मोबाइल में लगे हुए रहते हैं, उनके लिए भी यह पुलिस पुस्तकालय है. यहां कोई भी छात्रा-छात्राएं युवक पुलिस पुस्तकालय में बैठ सकते हैं और पढ़ सकते हैं. जरूरत हो तो अपने घर पर भी किताबें ले जा सकते हैं.

खुद की और उनकी पत्नी की भी लिखी किताबें पुस्तकालय में

बड़ी बात यह है की चर्चित आईपीएस आशीष भारती खुद भी लेखक हैं. प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए भी पुस्तकें डेवलप की है, जो कि पुलिस पुस्तकालय में रखी गई है. वहीं उनकी पत्नी स्वप्नला जो वर्तमान में औरंगाबाद की एसपी हैं, उनकी लिखी भी किताबें इस पुस्तकालय में रखी गई है. इसके अलावे महंगी मिलने वाली प्रतियोगिता परीक्षा की किताबों को यहां सहेजा गया है. एक सुंदर पुस्तकालय गया में बना है, जिसका नाम पुलिस पुस्तकालय दिया गया है. संभवत: यह पहली बार है, कि पुलिस पुस्तकालय बिहार के किसी एसएसपी कार्यालय में आम लोगों के लिए खोला गया हो. सामाजिक सरोकार से जुड़े इस आईपीएस की एक बड़ी पहल है, जो कहीं न कहीं किताबों के ज्ञान से युवाओं को उनके लक्ष्य तक पहुंचाना चाहते हैं. वही गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए यह पुलिस पुस्तकालय उनके सपनों को पंख लगा सकती है. फिलहाल में इस तरह की पुलिस पुस्तकालय खोलकर आईपीएस आशीष भारती एक बार फिर से चर्चा में है.

बिहार के चर्चित आईपीएस आशीष

इन्होंने प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के शीर्ष केंद्रीय कमेटी के नक्सली प्रमोद मिश्रा, विजय आर्य को भी गिरफ्तार किया है. रोहतास में उन्होंने पोस्टिंग के दौरान विजय आर्य की गिरफ्तारी की थी. गया में प्रमोद मिश्रा की गिरफ्तारी कर बड़ी सफलता पाई. जन संवाद और जनता से सीधे जुड़ाव के लिए भी आईपीएस आशीष भारती चर्चा में रहते हैं. 

गया में पुलिस पुस्तकालय खोला गया है, यह विभागीय निर्देश नहीं : एसएसपी

इस संबंध में गया एसएसपी आशीष भारती बताते हैं कि गया में पुलिस पुस्तकालय एसएसपी ऑफिस में खोला गया है. यह कोई विभागीय या सरकार निर्देश नहीं था, बल्कि हमलोगों ने सामाजिक दायित्व निभाते हुए यह पुलिस पुस्तकालय खोला है. पहले भी जहां पोस्टेड थे, वहां पुलिस पुस्तकालय खोला. इसका विचार इसलिए आया कि कई लोग संपर्क में रहते हैं. विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में किताबों की आवश्यकता होती है. उन्हें किताबें महंगी रहने के कारण नहीं मिल पाती है, तो इसे देखते हुए भी पुलिस पुस्तकालय खोलने का लक्ष्य रखा. इसमें आईएएस, यूपीएससी, बीपीएससी समेत विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा एवं साहित्यिक किताबें रखी गई है. एसएसपी ऑफिस में आकर कोई भी युवक, छात्र-छात्राएं इसका लाभ उठा सकते हैं  वहीं, जो व्यक्ति या छात्र मोबाइल में लगे रहते हैं, वे अपने कीमती समय का सदुपयोग पुलिस पुस्तकालय में रही किताबें को पढ़कर कर सकते हैं.

गया से मनोज की रिपोर्ट

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