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बैटमैन, स्पाईडर मैन के बाद मिलिए बिहार के इस हेलमेट मैन से

बैटमैन, स्पाईडर मैन के बाद मिलिए बिहार के इस हेलमेट मैन से

कैमूर। आज हम आपको बिहार के एक ऐसे शख्सियत से मिलवा रहे हैं, जिन्होंने लोगों के बीच हेलमेट (Helmet) बाटने के लिए नौकरी छोड़ दी. यहां तक हेलमेट बांटने के लिए रुपए कम पड़ गए तो उन्होंने अपना घर भी बेच दिया, लेकिन अपना काम नहीं छोड़ा. अब उन्हें लोग 'हेलमेट मैन' (Helmet Man) के नाम से जानते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं बिहार के कैमूर जिला स्थित बगाढ़ी गांव के रहने वाले राघवेंद्र कुमार के बारे में. आज राघवेंद्र ने देशभर में 48 हजार से ज्यादा हेलमेट फ्री में बांटे हैं. हेलमेट बांटने का सिलसिला आज भी जारी है।  उनके इस कार्य के लिए हर कोई प्रशंसा कर रहा है.

दोस्त की मौत ने झकझोरा

राघवेंद्र बताते हैं कि  साल 2014 में बाइक हादसे में उनके एक दोस्त की मौत हो गई थी. इसके बाद से उन्होंने हेलमेट बांटना शुरू किया जो अभी तक जारी है. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले राघवेंद्र 4 भाईयों में सबसे छोटे हैं. उनके पिता खेती-किसानी करके घर चलाते थे. ऐसे में उनकी 12वीं के बाद मुश्किलें बढ़ गईं. फिर राघवेंद्र ने जैसे-तैसे दिल्ली में जाकर साल 2009 में लॉ की पढ़ाई की. इसी दौरान वहां पर उनके कुछ दोस्त बन गए. इनमें से एक दोस्त था कृष्ण कुमार ठाकुर. राघवेंद्र कुमार का कहना है कि कृष्ण इंजीनियरिंग कर रहा था. साल 2014 में ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर बिना हेलमेट के बाइक चलाने के दौरान एक एक्सीडेंट में सिर में चोट लगने से उसकी मौत हो गई. इस घटना ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया। इसके बाद मैंने एक सड़क सुरक्षा अभियान की शुरुआत की, जिसके तहत मैं किसी भी चौराहे पर खड़े होकर दोपहिया वाहन चालकों को नि:शुल्क हेलमेट बांटने लगा. 

जरुरतमंद बच्चों को बांटते हैं किताबें

राघवेंद्र ने बताया कि जब मैं अपने दोस्त के माता-पिता से मिलने के लिए गया, तो उसकी कुछ किताबें अपने साथ ले आया था. वो किताबें मैंने एक जरूरतमंद बच्चे को दे दी. फिर, 2017 में मुझे एक कॉल आया, ये कॉल उस बच्चे की मां की थी, जिसे मैंने कृष्ण की किताबें दी थीं. उन्होंने बताया कि उसका बेटा स्कूल में टॉप किया है. इसके बाद राघवेंद्र ने सोचा कि अगर हर जरूरतमंद बच्चे को समय पर किताबें मिलती रहें, तो बेशक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. इसके बाद उन्होंने जरुरतमंदों को किताबें भी बाटना शुरू कर दिया. 

गडकरी भी कर चुके हैं तारीफ

अब तक राघवेंद्र 6 लाख बच्चों तक नि:शुल्क किताबें पहुंचा चुके हैं. वहीं, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी राघवेंद्र की तारीफ कर चुके हैं. इस निस्वार्थ काम से प्रभावित होकर बिहार सरकार ने उन्हें सम्मानित किया है और ‘हेलमेट मैन’ का टाइटल दिया है.

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