N4N Desk: आदिवासी बारेला समाज की लोक संस्कृति के प्रमुख पर्व भगोरिया हाट का आगाज 14 मार्च का पानीगांव के भगोरिया हाट से होने जा रहा है. सप्ताहभर समाज के युवक-युवती विभिन्न हाट बाजारों में सज-धजकर उल्लास और रंग बिखेरेंगे। ढोल की थाप पर समूह में नृत्य करेंगे।
इस मेले में आने वाले युवा, युवतियों को पान देते हैं, यदि वह पान खा लेती है तो ये माना जाता है कि युवती ने उस युवक को पसंद कर लिया है. इस बार भगोरिया हाट राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार का जरिया भी बनेंगे. बाहर से आए ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने के लिए के कांग्रेस-भाजपा दोनों ही पूरा जोर लगाएंगे.भगोरिया उत्सव की शुरुआत 14 मार्च से हो रही है. इसकी हलचल पिछले एक सप्ताह से ही शुरू हो गयी थी.
आदिवासी संस्कृति के भगोरिया पर्व को लेकर अलग-अलग मत हैं. कुछ लोगों के अनुसार भगोरिया एक उत्सव है जो होली का ही एक रूप है यह प्रदेश के मालवा निमाड़ अंचल के आदिवासी इलाकों में धूमधाम से मनाया जाता है. होली के 1 सप्ताह पहले लगने वाले हाट-बाजार यहां मेले का रूप ले लेते हैं.
भगोरिया मेले को लेकर मान्यता है कि इस मौके पर युवक-युवती एक दूसरे को पान खिला दें या एक दूसरे के गाल पर गुलाल लगा दें तो मान लिया जाता है कि दोनों में प्रेम हो गया है. इसके बाद वे दोनों मौका पाकर भाग जाते हैं और विवाह बंधन में बंध जाते हैं. भाग कर शादी करने के कारण ही इस पर्व को भगोरिया पर्व कहा जाता है.