PATNA : जी हां डॉक्टर साहब सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे। नॉन प्रैक्टिस भत्ता मिलने के बावजूद प्राइवेट प्रैक्टिस से बाज नहीं आ रहे है आइजीआइएमएस में काम करने वाले चिकित्सक।
इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के चिकित्सकों को सरकार नॉन प्रैक्टिस भक्ता देती है। उसके बावजूद ये लोग प्राइवेट प्रैक्टिस करने से बाज नहीं आ रहे। बाध्य होकर आईजीआईएमएस के शासी निकाय ने फैसला लिया कि उनके प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालों के खिलाफ पहले सबूत जुटाए जाएं। सबूत जुटाने के लिए निजी जासूसों की सहायता ली जाएगी।
तू डाल डाल मैं पात पात की तर्ज पर आईजीआईएमएस के चिकित्सक नॉन प्रैक्टिस भत्ता मिलने के बाद भी प्राइवेट प्रैक्टिस करने से बाज नहीं आ रहे। शासी निकाय के बैठक के दौरान यह बात सामने आई की नॉन प्रैक्टिस भत्ता मिलने के बावजूद पिछले साल कई लोग प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए पकड़े गए थे। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट तो तैयार किया गया, लेकिन अभी तक वह फाइलों में बंद पड़ा है।
आज से 3 वर्ष पूर्व ही संस्थान की ओर से डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस के खिलाफ सर्कुलर जारी किए गए थे। जिसमें उन्हें यह स्पष्ट किया गया था कि संस्था नगर नॉन प्रैक्टिस भत्ता देती है तो आपको प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करना होगा, लेकिन इसके बावजूद कानून को ताक पर रखते हुए आईजीआईएमएस के कई चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं।
शासी निकाय की बैठक में यह तय किया गया कि अब प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों को पकड़ने के लिए संस्थान की ओर से निजी जासूस नियुक्त किए जाएंगे। प्राइवेट डिटेक्टिव का काम होगा कि वह डॉक्टरों के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस की पूरी रिपोर्ट सबूत के साथ तैयार करेंगे और उसे शासी निकाय के सामने प्रस्तुत करेंगे। इसके एवज में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।