PATNA : बीजेपी अपने मौजूदा सांसदों के परफॉरमेंस को परख रही है। पार्टी नेतृत्व का उन सांसदों पर टेढ़ी नजर है जिनका परफॉरमेंस पुअर है। वैसे सांसदों पर पार्टी नेतृत्व काफी गंभीर है। दुबारा टिकट देने के पहले बीजेपी नेतृत्व सभी पहलूओं की समीक्षा कर रही है।
बिहार में वैसे तो बीजेपी के कई सांसदों का परफाँरमेंस औसत या उससे कम है लेकिन एक-दो सांसद ऐसे हैं जिन्होंने चुनाव जीतने के बाद पार्टी की गतिविधियों में नाम मात्र भी हिस्सा नहीं लिया है। चुनाव जीतने के बाद वे पार्टी से दूरी बना कर चल रहे थे। वैसे सांसदों का टिकट कटना तय माना जा रहा है।
बीजेपी सूत्रों की मानें तो झंझारपुर के सांसद वीरेन्द्र कुमार चौधरी पिछले पांच सालों में पूरी तरह से पार्टी की गतिविधियों से दूर रहे हैं। प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रमों से भी दूरी बनाए रखी है। जानकारों की माने तो अभी हाल में बीजेपी अतिपिछड़ा सम्मेलन में भी उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से अलग रखा था।इसके अलावे इलाके के कई कार्यक्रमों में भी उन्होंने जाना मुनासिब नहीं समझा था। एक सप्ताह पहले पटना में राष्ट्रीय अतिपिछड़ा आयोग के अध्यक्ष भगवान लाल सहनी के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में भी निष्क्रिय रहने की खबर है। अब चर्चा यही है कि उनका टिकट कटना तय है।
बताया जाता है कि इन सारी बातों की जानकारी पार्टी नेतृत्व को पहुंचा दी गई है।ऐसी संभावना है कि जो सांसद पार्टी की गतिविधियों से अलग रहे हैं उनका पत्ता साफ हो सकता है।
दरअसल झंझारपुर सांसद वीरेन्द्र कुमार चौधरी अति पिछड़ा समाज से आते हैं।वे 2014 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी मे शामिल हुए थे। बीजेपी ने उन्हें झंझारपुर से चुनाव लडवाया और जीत दर्ज की।।