बिहार का ऐतिहासिक धरोहर अब पटना संग्रहालय में नयी तकनीक के जरिए लोगों के सामने आने वाला है। गंगा और पाटलि दीर्घा के निर्माण का कार्य संग्रहालय में चल रहा है, जिसमें बिहार की संस्कृति, कला और इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाएंगी। संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमारी सिंह ने बताया कि मई में निर्माण के दौरान आग लगने के बाद कार्य दोबारा शुरू किया गया है और अगले महीने यह दोनों गैलेरी जनता के लिए खोल दी जाएंगी।
इस दीर्घा में गंगा नदी से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तत्वों को प्रदर्शित किया जाएगा। रामरेखा घाट से लेकर चौसा तक के अवशेषों को शामिल किया गया है। गंगा नदी की भौगोलिक स्थिति और उसके किनारे बसे समाज के विकास को प्रतिकात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। गंगा नदी की सतह को संग्रहालय में उत्कीर्ण किया जा रहा है, जिसे लोग चलकर अनुभव कर सकेंगे। बक्सर का रामरेखा घाट, सारण का चिरांद पुरास्थल और समस्तीपुर का पांड पुरास्थल जैसे महत्वपूर्ण स्थलों से प्राप्त पुरावशेषों को यहां प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा पूर्वी चंपारण का केसरिया स्तूप और भागलपुर की सांस्कृतिक धरोहर भी दर्शाई जाएगी। आगंतुकों को इन सभी स्थलों की जानकारी हिंदी और अंग्रेजी में ऑडियो-वीडियो के माध्यम से दी जाएगी।
पाटलि दीर्घा में बिहार के ऐतिहासिक शहर पाटलिपुत्र से संबंधित महत्वपूर्ण मॉडल्स और होलोग्राम प्रदर्शित किए जाएंगे। चंद्रगुप्त मौर्य का एआई आधारित होलोग्राम बनाया गया है, जो आगंतुकों के सवालों का उत्तर देगा। प्राचीन पाटलिवृक्ष (जो आज पटना है) का मॉडल भी जमीन पर विजुअलाइज किया जाएगा। इसके साथ ही, राजगीर से प्राप्त अवशेष और थर्ड सेंचुरी बीसी का लकड़ी परकोटा (प्राचीन घर) भी प्रदर्शित किया जाएगा। संग्रहालय के नये भवन के पीछे और पुराने भवन के आगे स्कल्पचर गार्डन भी बनाया गया है। इस गार्डन में खुदाई के दौरान प्राप्त 104 मूर्तियों को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है— हिंदुइज्म और बुद्धिज्म। हिंदुइज्म भाग में देवियों की मूर्तियां, शिवलिंग, विष्णु के अवतार, सूर्य का परिवार, और नाग-नागिन की मूर्तियां शामिल हैं। वहीं, बुद्धिज्म वाले भाग में बुद्ध की प्रतिमा को केंद्र में रखकर उनके चारों तरफ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां लगाई गई हैं।
संग्रहालय में दर्शकों की सुविधा के लिए कैफेटेरिया, विशिष्ट अतिथि गृह, और अमानती समान घर बनाया गया है। इसके साथ ही, अस्थायी प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी। नए भवन में आगंतुकों के लिए विशेष सेवा केंद्र स्थापित किया गया है और संग्रहालय के पुरावशेषों को रखने के लिए संरक्षण प्रयोगशालाएं भी बनायी गयी हैं।