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Bihar Land Survey: क्या है दाखिल खारिज और जमाबंदी, जिसके लिए किसानों को लगाने पर रहे चक्कर

Bihar Land Survey: क्या है दाखिल खारिज और जमाबंदी, जिसके लिए किसानों को लगाने पर रहे चक्कर

Bihar Land Survey: बिहार भूमि पोर्टल पर मैनुअल रसीद अपलोड कराना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। किसानों को अंचल कार्यालय में दस्तावेज़ जमा करके, डीसीएलआर कोर्ट के कई दौर लगाने पड़ रहे हैं। कोर्ट में पुराने और नए दस्तावेजों की मांग की जाती है, जिसके लिए किसानों को वकील की मदद लेनी पड़ रही है। नतीजतन, उन्हें वकीलों की फीस, बार-बार कोर्ट की तारीखें और लंबी कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है।

जमीन की रजिस्ट्री के बाद दाखिल-खारिज न कराना भी किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। समय पर यह प्रक्रिया पूरी न करने से जमीन बेचने वाला व्यक्ति उसे किसी और को बेच सकता है, जिससे कानूनी झंझट बढ़ जाते हैं। दाखिल-खारिज की यह ऑनलाइन प्रक्रिया 30 से 40 दिनों में पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन इसमें देरी होने पर किसानों को फिर कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है।

क्या है जमाबंदी

जमाबंदी एक प्रकार का मैनेजमेंट सिस्टम हैं, जिसके द्वारा भूमि के बारे में सभी जानकार सुरक्षित रखने में मदद मिलती हैं. भूमि अभिलेखों को जमाबंदी कहते हैं. जमाबंदी रजिस्टर में मालिकों के नाम, प्रॉपटी का साइज, ऑनरशिप हिस्सेदारी और अन्य अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी मौजूद होती हैं. जमीन किसकी हैं. उसका पूरा पता. मालिकाना हक किसका हैं और कब से हैं. इसकी सारी विवरण जमाबंदी में होती है, जिसकी जानकारी अंचल कार्यालय से पता चल सकता हैं. अब यह ऑनलाइन बिहार सरकार के बेवसाइट पर भी उपलब्ध है.

क्या है दाखिल-खारिज

दाखिल खारिज किसी संपत्ति के राजस्व रिकार्ड में विक्रेता के नाम हटाकर खरीदार के नाम दर्ज करने की प्रक्रिया हैं. यह एक अहम दस्तावेज है और संपत्ति के पंजीकरण के लिए इसकी जरूरत होती है. दाखिल खारिज कराने से फायदे संपत्ति का मालिकाना हक खरीदार के नाम हो जाता है. संपत्ति को किसी विवाद या पचड़े से बचने के लिए यह जरूरी है. 

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