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बिहार का सिस्टम या मुंगेर का सैफ या फिर शरणम अस्पताल,बिहार में कोरोना चेन का कौन है जिम्मेदार?

बिहार का सिस्टम या मुंगेर का सैफ या फिर शरणम अस्पताल,बिहार में कोरोना चेन का कौन है जिम्मेदार?

पटना : बिहार में अब तक 11 कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए जा चुके हैं। जिसमें छह पटना के हैं। लेकिन बड़ा सवाल है कि पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा कोरोना नाम का दानव बिहार में प्रवेश कैसे किया। आज बिहार की राजधानी पटना के कई वार्डों और पंचायतों को अति संवेदनशील घोषित क्यों करना पड़ा? आखिर इन परिस्थितियों के लिये जिम्मेवार कौन है? बिहार का सिस्टम या मुंगेर का बीमार युवक जिसे खुद पता नहीं था कि उसे क्या हुआ है और क्या नहीं।

बिहार में कोरोना चेन का जिम्मेदार कौन?
बिहार में अब तक 11 पॉजिटिव कोरोना पॉजिटिव मरीज पैर जाने के बाद हड़कंप मच गया है। जी हां मुंगेर से आए युवक की मौत के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जब यह पता चला कि मृत युवक कोरोना पॉजिटिव है। तो मानो सब के हलक सुख गए। आनन-फानन में प्रशासन के द्वारा उसे दफनाया गया। लेकिन तब तक कतर से आए इस मृत युवक से कोरोना निकलकर कई लोगों में बैठ चुका था। जिसका परिणाम सामने है ।अभी तक जो 11 पॉजिटिव केस सामने आए हैं ।उसमें से 6 मृत सैफ अली से संक्रमित लोग हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इसके लिए सैफ अली दोषी है? जो कतर से आया था या फिर बिहार का सड़ांध मरता सिस्टम जो उसकी जांच नहीं कर सका। जिसके पास 12 करोड़ की जनता पर मात्र एक टेस्टिंग प्लेटफार्म है ।

 जो सिस्टम बाहर से आए लोगों की जांच कर पाने में अक्षम है। जिसके पास एयरपोर्ट से लेकर रेलवे स्टेशन तक इतनी बड़ी महामारी के जांच के लिए ना तो मशीन था ना ही उचित लोग। जी हां मैं बात कर रहा हूं उस समय की जब से यहां आया था कतर से घर आया था। मोहम्मद सैफ 12 तारीख को है अपना घर वापस आ चुका था ।बिहार सरकार को पता था कि कोरोना एक संक्रमण फैलने फैलने वाली बीमारी है जिसे लोग बाहर से लेकर आ रहे हैं ।उसके बावजूद सैफ अली ना सिर्फ अपने घर आता है बल्कि वह मुंगेर से लेकर पटना बाईपास स्थित शरणम अस्पताल में अपना इलाज करवाता है। उसके बाद वह पीएमसीएच जाता है फिर एम्स में भर्ती होने पर उसकी मौत हो जाती है । जिस तरीके से रिपोर्ट सामने आई है उससे तो यही लगता है कि बिहार के सिस्टम ने सैफ अली की जांच नहीं की इतना ही नहीं बिहार के बड़े अस्पताल भी सब कुछ जानते हुए टेस्ट तक नहीं करवा पाया जबकि उस समय ही टेस्ट हो जाता तो सम्भवतः इस तरीके से संक्रमण नहीं फैलता। जरा सोचिये की यह कैसा सिस्टम है। पीड़ित सैफ अली के शरीर से न जाने कितने लोगों में कोरोना का संक्रमण अपनी जगह बना बैठा। परिणाम सबके सामने है कि बिहार कि राजधानी पटना के 2 लाख लोग डेंजर जोन में रखे गए ।

बता दें कि सब के सब पताल में इलाज कराने आया था उसी दौरान उसकी हालत बिगड़ने के बाद एम्स में भर्ती करवाया गया था लेकिन एम्स के डॉक्टरों को शुरू होने की सूचना तब मिली जब मर चुका था कैप के संपर्क में आए जो लोगों को पॉजिटिव निकले तब बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया उसके बाद जाकर शरणम अस्पताल को सील किया गया। एक कहावत है और के चले जाने के बाद पीता है वही हाल बिहार का सिस्टम कर रहा है।

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