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बिहार के मंत्री ने जीतन राम मांझी को दिलाई नीतीश कुमार के एहसानों की याद, कहा- आपको आत्म-सुधार की जरूरत

बिहार के मंत्री ने जीतन राम मांझी को दिलाई नीतीश कुमार के एहसानों की याद, कहा- आपको आत्म-सुधार की जरूरत

PATNA : नीतीश कुमार को लेकर बिहार के दो बड़े नेता आमने सामने आ गए हैं। सोशल मीडिया पर छिड़ी इस जंग में एक तरफ पूर्व सीएम जीतन राम मांझी हैं, जिन्होंने नीतीश कुमार पर दलि विरोधी होने का आरोप लगाया है, वहीं दूसरी तरफ बिहार सरकार में मंत्री डा. अशोक चौधरी हैं, जिन्होंने नीतीश कुमार पर लगे आरोपों का जवाब देते हुए जीतन राम मांझी को आत्म-सुधार की नसीहत दे डाली है।

यह कहा था मांझी ने

दरअसल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पिछले साल शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में नीतीश कुमार द्वारा किए गए अपमान को अब तक भूले नहीं है। रह-रह उनकी यह टीस उभरकर सामने आ जाती है। आज जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार के उस बयान को याद करते हुए फिर एक पोस्ट कर दिया। जिसमें उन्होंने लिखा कि “नीतीश जी आखिर आपको दलितों से इतनी नफ़रत क्यों है? सदन के अंदर मुझे अपमानित किया, बेगुनाह SC पर अत्याचार करवाया, अब अपने MLA से मेरे बहाने मुसहरों को गाली दिलवा रहे है, SC से इतनी ही नफरत है तो अधिसूचना जारी करके दलितों को राज्य से निकाल ही दीजिए, ना दलित रहेंगे ना आप उनसे नफरत करेंगे”

वहीं नीतीश कुमार पर लगे इन आरोपों को लेकर बिहार के भवन निर्माण मंत्री डा. अशोक चौधरी ने जीतन राम मांझी के ट्विटर हमले का जवाब ट्विटर पर ही दिया है। उन्होंने मांझी को याद दिलाया है कि यह नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने अपना पद त्याग कर आपको सीएम बनाया था।

डा. चौधरी ने ट्विटर पर लिखा कि “आदरणीय, जीतनराम मांझी जी नमस्कार! बढ़ती उम्र के साथ आपकी स्मरण शक्ति कमजोर हो गई है! मैं याद दिलाता हूं। वो नीतीश जी ही थे जिन्होंने अपना पद त्यागकर आपको बिहार का पहला महादलित मुख्यमंत्री बनाया था और समाज, क्षेत्र और प्रदेश के विकास को गति देने का अवसर दिया था। लेकिन उस समय आप विकास कार्य करने में आप असफल साबित हुए। 

महात्मा गांधी जी दलित नहीं थे लेकिन समाज में दलितों के उत्थान और छुआछूत जैसी कुरूतियों को समाप्त करने के लिए उन्होंने जो किया, उसी का प्रतिफल आज बिहार व देश में दिखाई देता है। बाबासाहेब और गांधी जी के मार्ग पर चलते हुए बिहार में दलित और शोषित वर्ग के लिए जो काम नीतीश जी ने किए हैं। वह सदियों तक के लिए इतिहास में दर्ज हो चुके हैं। मुझ जैसे अदने से व्यक्ति को संगठन में जो स्नेह, आदर और सम्मान मिला वो भी उन्हीं की देन है। आपको आत्म-सुधार की आवश्यकता है!”


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