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BIHAR NEWS: 'विभीषण' को खोज रहे RCD के कार्यपालक अभियंता, संपत्ति बनाने की पोल खुली तो RCD के इंजीनियर साहब हो गए बेचैन, 'प्रलोभन' देकर खबर का 'श्रोत' पता लगाने में जुटे

BIHAR NEWS:  'विभीषण' को खोज रहे RCD के कार्यपालक अभियंता, संपत्ति बनाने की पोल खुली तो RCD के इंजीनियर साहब हो गए बेचैन, 'प्रलोभन' देकर खबर का 'श्रोत' पता लगाने में जुटे

PATNA:  सुशासन राज में पथ निर्माण विभाग के एक धनकुबेर कार्यपालक अभियंता की पोल-पट्टी खुल गई। संपत्ति अर्जन को लेकर उक्त कार्यपालक अभियंता ने ऑपरेशन ब्लैक टू व्हाइट मनी लॉन्च किया था. सरकारी रेवेन्यू में कहीं न कहीं खेल किया था, ताकि दोहरा लाभ मिल सके. हालांकि न्यूज4नेशन लगातार ऐसे सरकारी सेवकों द्वारा छुपाये गए तथ्यों को सार्वजनिक करते रहा है. बेचारे कार्यपालक अभियंता की पोल खुल गई तो अचंभित हैं. पथ निर्माण विभाग के उक्त कार्यपालक अभियंता अब पता लगाने में जुटे हैं कि आखिर हमारी संपत्ति की इंटरनल जानकारी बाहर कैसे आ गई। किसने ऐसा खेल किया ? न्यूज4नेशन ने जब खबर ब्रेक किया, उसके अगले दिन से ही कार्यपालक अभियंता यह पता लगाने में जुटे हैं कि आखिर किसने यह बात मीडिया तक पहुंचा दी. 

प्रलोभन देकर श्रोत का पता लगाने अपने खास रिश्तेदार को दफ्तर भेज दिए.....

पथ निर्माण विभाग के इस कार्यपालक अभियंता जो वर्तमान में तकनीकी सलाहकार के पद पर कार्यरत हैं, इनके बारे में बताया गया है कि किस फार्मूले के तहत संपत्ति अर्जित कर रहे, ताकि सरकार की नजरों से बच सकें. वैसे इस कार्यपालक अभियंता की जब पोल-पट्टी खुली तो RCD के अंदर भी खूब चर्चा हो रही है. लोग पूछ रहे..आखिर ये कौन कुमार साहब हैं..जिन्होंने इस तरह की गलती की है ?  खबर में कार्यपालक अभियंता के बारे में नाम का उल्लेख नहीं है. फिर भी वे बेचैनी में हैं. बेचैनी इसी बात को लेकर है कि अपनों ने ही यह कांड किया है. आखिर वो विभीषण कौन है...जो हमारी सारी छुपाई हुई बात को बाहर लाकर रख दिया है. कुमार साहब...पिछले कई दिनों यही तहकीकात में जुटे हैं. खबर लिखने वाले पत्रकार तक अपने कई आदमियों को भेज चुके हैं. इंजीनियर के तमाम जासूस यही सवाल पूछ रहा, किसने दिया इनपुट... कौन है वो, आगे हम उससे सावधान रहेंगे. सिर्फ इतना बता दीजिए. यानि कार्यपालक अभियंता को इतनी समझ नहीं है कि कोई भी समझदार पत्रकार अपना श्रोत नहीं बताता और न कोई बताने के लिए दबाव डाल सकता है. इंजीनियर साहब ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने खास रिश्तेदार को भी दफ्तर भेज दिया, यह पता लगाने को कि आखिर वो कौन शख्स है जो हमारी हर बात को मीडिया तक पहुंचा रहा है. जरूरत पड़ी तो कार्यपालक अभियंता के उस खास रिश्तेदार का वो सबूत जारी करेंगे, जिन्होंने किसी भी तरह से (पैरवी हो या प्रलोभन) जानकारी हासिल करना चाह रहे थे कि किसने यह बात यहां तक पहुंचाई है.  

7 सालों में 1.83 लाख बढ़ा और अगले साल बिक्री की बारी आई तो 25 लाख बढ़ गया वैल्यू ?  

पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता किस तरह की चालाकी बरत रहे. आपको समझ में आ जायेगा. 'कुमार' साहब नाम वाले कार्यपालक अभियंता ने पत्नी के नाम पर 2015 में एक फ्लैट का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया. अगस्त 2015 में दानापुर रजिस्ट्री कार्यालय से यह एग्रीमेंट कराया गया. तब उक्त फ्लैट का सरकारी मूल्य 23 लाख  रू बताया गया था. बजाप्ता उक्त रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में संपत्ति के सरकारी वैल्यू का उल्लेख है. यहां तक तो सब कुछ ठीक है. साल बीतते गया..और वर्ष 2022 आ गया. इसके बाद इन्होंने पत्नी के नाम किए गए फ्लैट एग्रीमेंट का निबंधन कराया. निबंधन के समय इन्होंने उक्त फ्लैट का वैल्यू लगभग 24,84000 रू बताया. यह भी डीड में उल्लेख है. यानि सात सालों बाद जब इन्होंने उक्त प्रोपर्टी का निबंधन कराया, तब बढ़ा हुआ सरकारी वैल्यू (2015 में 23 लाख, 2022 में 2484000) 1,84000 रू उल्लेखित किया. यानि सात सालों में उक्त संपत्ति का मूल्य सिर्फ 1 लाख 84 हजार ही बढ़ा. चलिए आपके हिसाब से यह भी सही है. क्रय करने के समय सरकारी मूल्य कम बढ़ रहा था....साल भर बाद ही जब बिक्री की बारी आई तो संपत्ति का सरकारी मूल्य 200 गुणा बढ़ गया....यह कैसे हो सकता है ? सरकारी वैल्यू साल भऱ में 200 गुणा बढ़ता नहीं है. कार्यपालक अभियंता के इस हिसाब-किताब से निबंधन विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं.   

काले धन को सफेद बनाने में जुटे इंजीनियर साहब  

पथ निर्माण विभाग में एक कार्यपालक अभियंता हैं. वर्तमान में अभी राजधानी में T.A.( तकनीकी सलाहकार) के पद पर पदस्थापित हैं. कुछ समय पहले तक ये राजधानी से बाहर'दक्षिण बिहार'  के एक पथ प्रमंडल में बतौर कार्यपालक अभियंता के पद पर पदस्थापित थे. अभी ये अपने से एक रैंक ऊपर वाले अधिकारी(S.E.) के कार्यालय में तकनीकी एडवाइजर के पद पर पदस्थापित हैं. वैसे इस कार्यपालक अभियंता ने सरकार की नजरों से बचने को लेकर पूरा बंदोबस्त कर रखा है. इनकी रणनीति है कि आंखों में धूल झोककर किसी तरह से बच जाना. हालांकि गड़बड़ी करने वाला कुछ न कुछ सबूत छोड़ जाता है. 'कुमार' नाम वाले कार्यपालक अभियंता ने 2022 में ऑपरेशन 'सफेद धन' लॉन्च किया. अपनी पत्नी के नाम पर फरवरी 2022 में दानापुर के मुस्तफापुर इलाके में फ्लैट खरीदा. सरकारी रेट दिखाया... 2484000 रू. रजिस्ट्री में एरिया मिला 0.9395 स्कॉयर फीट. यहां तक को सबकुछ ठीक था. इसके बाद से असली खेल शुरू हुआ। अगले ही साल यानी 2023 में कार्यपालक अभियंताकुमार साहब  ने उक्त फ्लैट को 50 लाख में बेच दिया. अपनी संपत्ति बेचना कोई अपराध नहीं. लेकिन यहां सबसे बड़ा आश्चर्य यह कि इन्होंने खऱीद किए सरकारी रेट से दो गुणा अधिक सरकारी दाम पर अपना फ्लैट बेचा. जबकि सरकार हर साल जमीन/फ्लैट के रेट में वृद्धि नहीं करती है. एक साल  में ही कार्यपालक अभियंता के फ्लैट का सरकारी मूल्य दो गुणा हो गया .यह बात किसी के गले के नीचे से नहीं उतर रही. सवाल यहीं से उठ रहा है...क्या इन्होंने खरीदते समय कम कीमत दिखाकर सरकार को चूना लगाया, या फिर अधिक मूल्य में बिक्री दिखाकर सफेद धन दिखाने की कोशिश की ?  

25 लाख का फ्लैट अगले साल 50 लाख सरकारी मूल्य पर बेच दिया

अब जरा KUMAR नाम वाले कार्यपालक अभियंता के 2023 वाली पूरी खबर पर आइए। कुमार साहब ने पत्नी के नाम पर 2022 में दानापुर के मुस्तफापुर इलाके में फ्लैट खरीदा था, उसे मई 2023 में एक पति-पत्नी के नाम पर रजिस्ट्री कर दी. कार्यपालक अभियंता ने 2022 में पत्नी के नाम पर 2484000 रू सरकारी मूल्य पर  फ्लैट खरीदा था, उसे वह अगले साल सीधे दो गुणा से भी ज्यादा यानि 50 लाख रू में बेचा. यानी सरकारी वैल्यू से सीधे 200 फीसदी अधिक में. किसी संपत्ति का मार्केट मूल्य  भी एक साल में दो गुणा बड़ी मुश्किल से होता है. यहां तो कार्यपालक अभियंता के फ्लैट का सरकारी मूल्य ही साल भर में ही दो गुणा हो गया. बिक्री करने के कुछ माह बाद ही कुमार साहब नाम वाले कार्यपालक अभियंता ( T.A.) ने पत्नी के नाम पर दूसरा नया फ्लैट खरीद लिया.

जितना सफेद धन बनाया..उससे 200 रू कम में दूसरा फ्लैट खरीद लिया

जरा ध्यान से पढ़िए.... इंजीनियर 'कुमार' ने 2023 मई में जितना सफेद धन बनाया उससे सिर्फ 200 रू कम (4999800) में दानापुर के गोला रोड में फिर से नया फ्लैट खरीदा. पत्नी के नाम पर दिसंबर 2023 में गोला रोड के एक नामी स्कूल के समीप सैनिक कॉलोनी इलाके में रियल इस्सेट कंपनी से फ्लैट की रजिस्ट्री कराई। सरकारी रेट दिखाया गया 4999800 रू. यानि जितना में फ्लैट की बिक्री की उससे सिर्फ 200 रू कम. फ्लैट के साथ 1.15 डिसमिल जमीन का निबंधन हुआ। मतलब साफ है...कार्यपालक अभियंता जो वर्तमान में RCDमें  तकनीकी सलाहकार के पद पर हैं, उन्होंने बचने की पूरी कोशिश है. अगर खुलासा भी हो तो यह बता सकें कि जितने की संपत्ति हमने बेची है, उससे 200 रू कम में हीं हमने दूसरी संपत्ति रजिस्ट्री कराई है. लिहाजा उनके संपत्ति अर्जन पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता. हालांकि यहां वे गच्चा खा गए..आखिर एक साल में ही एक फ्लैट का सरकारी मूल्य दो गुणा कैसे हो सकता है ? इसका जवाब तो पथ निर्माण विभाग के चालाक कार्यपालक अभियंता ही दे सकते हैं. वैसे यह खबर जांच एजेंसी तक भी पहुंच गई है. बता दें, पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता, वर्तमान में (टी.ए.) कुमार साहब का पैतृक घर चंपारण है. वर्तमान में दानापुर के गोला रोड के समीप रहते हैं. कार्यपालक अभियंता के इस पूरे खेल का सबूत न्यूज4नेशन के पास है.

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