पटना: लगातार ऑनलाइन गेम खेलने से रोकना एक पिता के लिए भारी पड़ गया। दरअसल लगातार गेम खेल रहे दसवीं के बेटे को जब पिता ने रोका तो बेटे ने घर ही छोड़ दिया। घर छोड़ने के बाद उसने एक पत्र भी लिख छोड़ा है, जिसमें उसने यह लिखा है कि मैं अब बड़ा हो गया हूं।
दरअसल पूरा मामला कंकड़बाग थाना क्षेत्र के पूर्वी इंदिरा नगर का है। यहां किराये पर रहने वाले कामदेव पंडित ने कंकड़बाग थाने में लिखित आवेदन दिया है। जिसमें उन्होंने जानकारी दी है कि गत 15 जुलाई को दसवीं में पढने वाला बेटा घर छोड़कर भाग गया है। मिली खबर के अनुसार कामदेव पंडित ने बताया कि पिछले एक माह से उनका बेटा काफी गेम खेल रहा था। जिसके कारण वह पढ़ाई पर फोकस नहीं कर रहा था। इसके लिए उन्होंने अपने बेटे को डांटा और समझाया भी था। 15 जुलाई को वह ऑनलाइन क्लास लेने चले गये। इसी बीच उनके बेटी भी कॉलेज चली गयी तथा मां भी किसी काम से घर से बाहर गयी थी। बेटा घर में अकेले था। इस बीच वह एक पत्र लिखकर घर से चला गया। 16 जुलाई को उसने सुबह ही व्हाट्सएप पर मैसेज किया- मुझे डर लग रहा है। धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का।
नालंदा के मूल निवासी कामदेव पंडित ने बताया कि वह आरएमएस कॉलोनी स्थित एक स्कूल में शिक्षक हैं और उनका बेटा मयंक भी उसी स्कूल में पढ़ता है। घर छोड़ने से पहले उनके बेटे ने एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उसने लिखा है कि आपका गेम खेलने वाला बेटा, मोटू पतलू देखने वाला बेटा अब बड़ा हो गया है। मैं बहुत बुरा हूं। आपका नेट खत्म कर देता हूं। बैठकर खाली खाता हूं। अब अपने दम पर सबकुछ करूंगा। मेरा इंतजार कीजिएगा। मयंक ने घर में रखे बोर्ड पर लिखा-आई एम सॉरी। इसके बाद एक पत्र में लिखा-इस बात को प्राइवेट ही रखिएगा। पब्लिक मत कीजिएगा। अगर पुलिस को बताते हैं और पुलिस मुझे खोज लेती है तो मैं घर तो लौट आऊंगा, लेकिन मुर्दे की तरह ही रहूंगा। अब जो करना है अपने दम पर करूंगा। मेरा शरीर आपकी तरह है, लेकिन दिमाग मम्मी की तरह है। मुझमें कोई अच्छाई नहीं है। दिमाग काम नहीं कर रहा है। इधर पूरे मामले पर थानेदार रविशंकर सिंह ने कहा कि पुलिस छात्र का पता लगा रही है। उसके मोबाइल को सर्विलांस पर रखा गया है। जांच चल रही है।