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BIHAR NEWS: केंद्र सरकार का तानाशाही रवैया आपातकाल के वक्त जैसा- पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह

BIHAR NEWS: केंद्र सरकार का तानाशाही रवैया आपातकाल के वक्त जैसा- पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह

JAMUI: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के तानाशाही रवैये के कारण इन दिनों 1975 के आपातकाल की याद ताजा होने लगी हैं। जिस प्रकार केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को प्रताड़ित कर रही है। उससे तो साफ लगता है कि केंद्र को लोकतंत्र के ढांचे पर विश्वास नहीं है और इससे संघीय ढांचे को भी खतरा है। उक्त बातें हिन्द मजदूर सभा के प्रदेश अध्यक्ष और 1974 आंदोलन के प्रमुख नेता रहे पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह ने कही। 

बिहार के एनडीए सरकार में पुत्र के मंत्री होने के बाबजूद पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह का केन्द्र पर हमला लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कोरोना संक्रमण जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने में कम समय देकर ममता दीदी के नेतृत्व वाली टीएमसी की सरकार से लड़ने में अधिक समय दे रही है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता का क्या दोष है। उनकी गलती सिर्फ इतनी है कि बंगाल की जनता ने बीजेपी को नकार कर ममता बनर्जी को दो तिहाई बहुमत से जीताकर फिर से सरकार बनाने का मौका दिया। उन्होंने सवालिया लहजे में केन्द्र सरकार से पूछा कि क्या इतनी बड़ी सफलता ममता बनर्जी को सिर्फ एक कौम से मिल गई ? नरेन्द्र सिंह ने कहा ममता बनर्जी को दो तिहाई हिंदुओं और सभी धर्मो संप्रदाय के लोगों ने समर्थन देकर सरकार बनाने का अवसर दिया।

उन्होंने कहा कि बीजेपी को लोकमत का स्वागत करना चाहिए। लेकिन आज जो दृश्य देखने को मिल रहा है उससे स्पष्ट है कि केंद्र सरकार ने अपना धैर्य खो दिया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को प्रताड़ित करने का अभिप्राय यह साबित करता है कि केंद्र को लोकतंत्र के ढांचे पर विश्वास नहीं है और इससे संघीय ढांचे को भी खतरा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के इस रवैये से 1975 के आपातकाल की याद ताजा होने लगी है।

उन्होंने कहा कि वो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुयायी हैं, डॉक्टर लोहिया और जेपी को अपना आदर्श मानते हैं और उनका अटूट विश्वास लोकतंत्र, संप्रदाय निरपेक्षता और समाजवाद में है। उन्होंने देश के बुद्धिजीवियों, नौजवानों, पत्रकारों, कवियों, साहित्यकारों, किसानों, शिक्षकों, अध्यापकों तथा सभी जागरूक समझदार नागरिकों से अपील किया कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लोकतंत्र विरोधी और तानाशाही मानसिकता के विरुद्ध आवाज उठाने में अब विलंब नहीं करें, वरना देश कॉरपोरेट घरानों द्वारा तैयार किए गए तानाशाह के हाथों में फिर से गुलाम हो जाएगा।

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