डेस्क... बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा को ओडिशा हाईकोर्ट से झटका लगा है। दलित समुदाय की जमीन कथित तौर पर हड़पने के मामले में कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। पांडा की स्वामित्व वाली कंपनी पर ये आरोप लगे हैं। ओडिशा पुलिस ने इस मामले में आईपीसी और एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने ओडिशा इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रमोटर पांडा और उनकी पत्नी जग्गी की गिरफ्तारी का रास्ता भी साफ कर दिया है। हाईकोर्ट ने पहले गिरफ्तारी के खिलाफ संरक्षण देते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया था। पांडा ने उनके और OIPL के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
वहीं पांडा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया और इसके लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बदले की राजनीति को दोषी ठहराया। वहीं एक बयान में जग्गी पंडा ने कहा, कि हमने कोई गलत काम नहीं किया है। हमें विश्वास है कि यह अदालत में साबित हो जाएगा।
इसस पहले 19 नवंबर को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया गया। जस्टिस न्यायमूर्ति बी पी ने राउत्रे कहा, मैं आपराधिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का इच्छुक नहीं हूं। विशेष रूप से लंबित जांच के स्तर पर, इसलिए याचिकाकर्ताओं की रिक्वेस्ट को खारिज किया जाता है। पारित किए गए सभी अंतरिम आदेश वापस लिया जाता है।
पांडा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि ईष्या की वजह से एफआईआर दर्ज की गई है। सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के इशारे पर केस दर्ज किया गया है. हालांकि हाईकोर्ट ने इस आरोप को खारिज कर दिया।
ये है मामला
31 अक्टूबर 2020, ओडिशा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने केस दर्ज किया। दलित समुदाय के रविंद्र कुमार सेठी पांडा की कंपनी ORTEL में ड्राइवर रह चुके हैं। आरोप है कि 7.294 एकड़ जमीन खरीदने के लिए रविंद्र पर पांडा की ओर से दबाव डाला गया। मामला 2010 से 2013 के बीच का है. ये जमीन ओडिशा के खुर्दा जिले में 22 दलितों की थी। एफआईआर में कहा गया है कि यह उस कानून का उल्लंघन है जो दलितों की जमीन गैर दलितों को खरीदने से रोकता है7