MOTIHARI: पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल नगर परिषद में आधी रात को करोड़ों का घोटाले की प्लानिंग रची गई थी. घपले की इस प्लानिंग में कोई दूसरा नहीं बल्कि नगरपरिषद ही शामिल था. एक गलत स्टेप से पोल खुल गई और घपले की प्लानिंग बेनकाब हो गया. मामला पुलिस तक पहुंच गया है. पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि एक अदना सा कंप्यूटर ऑपरेटर ही मास्टर माइंड है या इस खेल के पीछे बड़े लोग शामिल हैं.
कार्रवाई नहीं हुई तो विधानसभा में उठायेंगे मामला..सरकार को कर देंगे विवश
इधर, रक्सौल नगर परिषद में करोड़ों की सरकारी राशि के घपले की प्लानिंग के खुलासे के बाद रक्सौल के विधायक ने त्वरित जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. भाजपा विधायक प्रमोद सिन्हा कुशवाहा ने कहा है कि इतने बड़े खेल में छोटा कर्मी शामिल है, यह बात गले से नीचे नहीं उतर रही. सरकारी राशि के गबन की तैयारी में बड़े-बड़े लोग शामिल हो सकते हैं. अगर मोतिहारी पुलिस सूक्ष्मता से जांच करे तो जिम्मेदार बड़े लोग बेनकाब होंगे. भाजपा विधायक ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो बिहार विधानसभा के आगामी सत्र में पूरे मामले को उठायेंगे. सरकार को कार्रवाई करने पर मजबूर करेंगे. भाजपा विधायक ने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव से भी दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
रक्सौल नगर परिषद में बड़े घोटाले की थी तैयारी
रक्सौल नगर परिषद में आधी रात में पौने तीन करोड़ के फर्जी पेमेंट करने के प्रयास के खुलासे के बाद हड़कंप मचा हुआ है । मोतिहारी साइबर थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 420,467,468,471 और आईटी एक्ट के तहत कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर आशीष कुमार व अन्य पर प्राथमिकी दर्ज कर जांच में जुट गई है। साइबर थाना पुलिस ने आधी रात को फर्जी तरीके से भुगतान की कोशिश में प्रयोग किए गए कंप्यूटर को जब्त कर लिया है. शहर में चर्चा बना हुआ है कि तीन दिनों तक मामला को दबाने के प्रयास के बाद अंत में प्राथमिकी दर्ज कराई गई. अगर तत्कालीन ईओ के मोबाइल पर मैसेज नही जाता तो गबन होना तय था. .यह जबरदस्त चर्चा है कि बिना बड़े पदधारकों की मिलीभगत के कैसे आधी रात को कोई कर्मी कार्यालय पहुंचकर फर्जीवाड़ा करने का प्रयास करेगा ? जबकि रक्सौल नगर परिषद और हाल ही में पदाधिकारी बन कर आए हाकिम का फर्जीवाड़ा से अटूट रिश्ता रहा है । लोग दबी जुबान यह भी चर्चा कर रहे कि दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है. सिर्फ सरकारी सेवक ही नहीं, बिना जनप्रतिनिधि की मिलीभगत के इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव नही हो सकता. अदना सा कंप्यूटर ऑपरेटर बिना बड़े लोगों की मिलीभगत के कैसे आधी रात को कार्यालय खोल कर फर्जी तरीके से पौने तीन करोड़ का भुगतान कैसे करेगा ? अगर कंप्यूटर ऑपरेटर ने 23 नवंबर को इतना बड़े फर्जीवाड़े का प्रयास किया तो केस दर्ज करने में तीन दिन क्यों लग गए ? उसी रात इसकी सूचना पुलिस को क्यों नही दी गई? आखिर तीन दिनों बाद मोतिहारी साइबर थाने में छोटे से कर्मी से प्राथमिकी दर्ज करने को आवेदन क्यो दिलवाया गया ? ये तमाम सवाल रक्सौल से लेकर पटना तक तैर रहे हैं. इसका जवाब नगर विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को देने पड़ेंगे.
पुलिस कर रही जांच
इधर मोतिहारी साइबर थाना पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर वैज्ञानिक तरीके से अनुसंधान करने में जुटी है । पुलिस की कार्रवाई को देखते हुए अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के होश उड़े हुए है । पुलिस सीसीटीवी ,अधिकारी कर्मी व जनप्रतिनिधि की कॉल डिटेल सहित कई बिंदुओं को वैज्ञानिक तरीके से जांच कर रही है. जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि साइबर फ्रॉड का मामला है या सरकारी राशि के घपले की सोची समझी योजना ।
क्या है मामला
रक्सौल नगर परिषद के सरकारी खाता से 23 नवम्बर की मध्य रात्रि अवैध निकासी की कोशिश की गई. रात के 12 बजे के आसपास तीन वेंडरों के खाते में पौने तीन करोड़ की राशि भेजने की कोशिश की गई। मामले का खुलसा तब हुआ जब पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी के मोबाइल पर आधी रात को बड़ी राशि भुगतान का मैसेज आया . इसके बाद उनके होश उड़ गए । पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी ने इसकी सूचना रक्सौल में किसी पूर्व जन प्रतिनिधि को दिया । जिसके बाद फर्जीवाड़े के खेल को आनन फानन में रोका गया । 26 तारीख को डाटा ऑपरेटर के आवेदन पर साइबर थाना में एक कर्मी व अन्य पर प्राथमिकी दर्ज कराया गया है ।