पटना. नीतीश सरकार राज्य में हजारों लोगों को प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति दे रही है. लेकिन अब अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ भाजपा एमएलसी नवल किशोर यादव बुधवार को विधान परिषद में सवाल उठाया. उन्होंने बिहार में प्रधानाध्यापक नियुक्ति में बड़े फर्जीवाड़े की आशंका जताई.
उन्होंने कहा कि बिहार सरकर ने एक एक्ट बनाया है कि बहाली के दिन से अनुभव का लाभ नहीं मिल रहा है . सरकार कहती है कि जिस दिन से ट्रेनिंग किया है उस दिन से लाभ मिलेगा. इस कारण 75 फीसदी शिक्षक पात्रता मापदन्डों में छंट जाते हैं. इसी तरह बीपीएससी ने जिस प्रावधान के तहत प्रधानाध्यापक की नियक्ति प्रक्रिया अपनाई है उसमें भी 90 फीसदी शिक्षक पात्रता के अनुरूप नहीं ठहरते है. वहीं दूसरी ओर बाहरी स्कूलों से राजकीयकृत स्कूलों में प्रधानाध्यापक नियुक्ति की सहमती दी है. इससे बड़े स्तर पर नियुक्ति में फर्जीवाड़ा होगा. ऐसे में बाहर के लोग फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी हासिल कर लेंगे. उन्होंने कहा कि हमने इसके लिए सरकार से स्थगन आदेश की मांग की है. इससे बिहार के ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरी पाने का मौका मिलेगा.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्य विश्विद्यालयों में बाहर से कुलपति लाकर उन्हें बर्बाद किया जा रहा है. उसी तरह से से राजकीयकृत स्कूलों में प्रधानाध्यापक नियुक्ति में बाहरी लोगों की भर्ती का जो प्रावधान किया गया है वह भी राज्य के स्कूलों को तहस नहस कर देगा. यादव ने कहा कि उनकी मांग पर विधान परिषद के सभापति ने इसी सप्ताह सरकार से जवाब आने का आश्वासन दिया है. बिहार लोक सेवा आयोग ( बीपीएससी ) ने राज्य के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में हेडमास्टर यानी प्रधानाध्यापक के 6421 पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इच्छुक व योग्य उम्मीदवार bpsc.bih.nic.in या onlinebosc.bihar.gov.in पर जाकर 5 मार्च यानी आज से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। अभ्यर्थी 28 मार्च 2022 तक आवेदन कर सकते हैं। आवेदन में त्रुटि सुधार 4 अप्रैल तक कर सकते हैं.