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कैश-फॉर-क्वेरी केस- टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा मामले की जांच में तेजी, सीबीआई ने इनविस्टीगेशन आगे बढ़ाने के लिए लोकसभा एथिक्स पैनल की मांगी रिपोर्ट

कैश-फॉर-क्वेरी केस- टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा मामले की जांच में तेजी, सीबीआई ने  इनविस्टीगेशन आगे बढ़ाने के लिए लोकसभा एथिक्स पैनल की मांगी रिपोर्ट

DELHI- संसद से निष्काषित सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्कीलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. कैश-फॉर-क्वेरी के आरोप की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई ने अपनी जांच को आगे बढ़ाने के लिए एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए लोकसभा सचिवालय से संपर्क किया है, जिसमें कैश-फॉर-क्वेरी के आरोप में तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी. हालाँकि, लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने कहा कि उनके अनुरोध पर अभी निर्णय नहीं हुआ है.“सीबीआई ने संसद सचिवालय को पत्र लिखकर एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट की एक प्रति मांगी है.

मोइत्रा मोइत्रा के खिलाफ आरोपों पर लोकपाल द्वारा उसे भेजी गई शिकायत की जांच सीबीआई कर रही है. यदि लोकसभा सचिवालय मोइत्रा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत मंजूरी देने वाली आचार समिति की रिपोर्ट सीबीआई को भेजता है, तो सीबीआई एफआईआर दर्ज कर सकती है और "आपराधिक आचरण" की जांच के साथ आगे बढ़ सकती है.

लोकसभा ने अपने शीतकालीन सत्र में आचार समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी थी, जिसमें "अनैतिक आचरण" के आधार पर महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी. समिति ने उनके "अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण" के मद्देनजर सरकार द्वारा समयबद्ध तरीके से "गहन, कानूनी, संस्थागत जांच" की भी सिफारिश की.

सबसे पहले महुआ पर आरोप भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए थे, दूबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर दावा किया था कि मोइत्रा ने हीरानंदानी व्यापार समूह के हितों की रक्षा के लिए रिश्वत ली.  उन्होंने केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक और पत्र लिखा और उनसे लोकसभा वेबसाइट पर मोइत्रा के लॉगिन क्रेडेंशियल के आईपी पते की जांच करने का आग्रह किया ताकि यह जांचा जा सके कि क्या इन्हें किसी और ने एक्सेस किया है.

वहीं  विपक्षी दलों ने एथिक्स कमेटी के निष्कर्षों पर सवाल खड़ा किया है. कमेटि के विपक्अषी सदस्यों ने अपनी असहमति नोट में कहा है कि पैनल ने अपनी जांच "अनुचित जल्दबाजी" और "शिष्टाचार की पूरी कमी" के साथ की है.

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