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गोपालगंज, सीवान, छपरा को जातिगत उन्माद में नासूर बना दिया, पप्पू यादव ने कहा - सबने सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटी सेंकी

गोपालगंज, सीवान, छपरा को जातिगत उन्माद में नासूर बना दिया, पप्पू यादव ने कहा - सबने सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटी सेंकी

CHHAPRA : मांझी प्रखंड के मुबारकपुर पंचायत में सिधरिया निवासी मुखिया पति विजय यादव द्वारा तीन युवकों को बंधक बना पिटाई करने से तीन में से दो युवकों की मौत के बाद पीड़ितों के शोकाकुल परिजनों से मिलने के लिए जाप अध्यक्ष पप्पू यादव उनके घर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया। पप्पू यादव ने मृतक अमितेश और राहुल के परिजनों को एक एक लाख रुपये की मदद की और अमितेश की पुत्री के आजीवन पढ़ाई का जिम्मा उठाने का एलान किया।

पप्पू यादव ने कहा कि नेताओं ने गोपालगंज, सीवान, छपरा आदि जिले के लोगों के जिंदगी को जातिगत उन्माद में नासूर बना दिया है। सारण के मुबारकपुर बीते दिनों एक बार फिर इसी हिंसा में धधक उठा था। लेकिन ना तो इससे यहां के विधायक को कभी फर्क पड़ा, ना ही दूसरे अन्य लोगों को। सांसद पक्षपात करने एक जगह गए। 

कानून को हाथ में नहीं लेना था। आज मैंने दोनों पक्षों से मुलाकात की और उनकी बातों को सुना। बात आई दबंगई की, उसे शासन - प्रशासन को देखना था, जिसमें वे फेल रही। राजेन्द्र बाबू और जेपी की भूमि को कब तक वोट और सियासत के लिए जलती रहेगी। कितने घर उजड़ेंगे। कितनी खून और बहेगी। सोशल मीडिया पर बड़ी - बड़ी बातें करने वालों ने कभी उनके दर्द को समझा, जिनके घर जलाए गए? जिनकी मांग सूनी हुई? अगर नहीं कर पाए तो ऐसे लोगों को भी इस अपराध में जिम्मेदार समझा जाए और सरकार कड़ी से कड़ी कार्रवाई। वोट लेने वाले लोगों को नफरत की आग में झुलसी जनता का दर्द महसूस होगा क्या ? 

सरकार में होना और सरकार की तरह काम करना दोनों अलग चीज है। जो सत्ता में हैं, वो सिर्फ सरकार में आए, क्या वे सरकार की तरह काम कर रहे हैं? अगर कर रहे होते तो यह उन्माद का वीभत्स खेल यहाँ नहीं होता। सबने राजनीतिक रोटी सेंक ली। इंटरनेट बंद कर फर्ज की तिलांजलि दे दी, लेकिन जिनके घर जले, जिन्होंने अपने को खोया, उनकी पीड़ा को समझने की जरूरत किसी ने नहीं समझी। यह दुर्भाग्य है। हमने आज राहुल की विधवा को पार्टी को ओर से 1 लाख नकद मदद की, ताकि उस बहन की जिंदगी थोड़ी संभल सके। उनकी बेटी जब तक पढ़ेगी, तब तक हमारी पार्टी उन्हें खर्च देगी। और उनके शादी हम अपनी बेटी की तरह करवाएंगे। हमने उस वृद्ध मां की मदद की, जिनका घर जल गया था। उन्हें 50 हजार रुपये और अन्य को 25 - 25 हजार रुपये की आर्थिक मदद की। 

मुझे ना यहाँ वोट चाहिए और ना ही मुझे यहाँ राजनीति करनी है। लेकिन जिन्हें करनी है, वो क्या यहाँ के लोगों को दर्द को समझ पाए। जरा मूल्यांकन करिए और वक्त रहते संभल जाईए।

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