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छोटू के चपरासी से लेकर कंपनी के मालिक बनने तक की कहानी, कभी भूखे पेट सोने को थे मजबूर

छोटू के चपरासी से लेकर कंपनी के मालिक बनने तक की कहानी, कभी भूखे पेट सोने को थे मजबूर

Desk: छोटू की जिंदगी किसी जंग से कम नहीं, कभी भूखे पेट सोना पड़ा तो ग्रेजुएट होते हुए भी कभी चपरासी की नौकरी करनी पड़ी. लेकिन मन मे जुनून पाले छोटू की तमन्ना कुछ और ही थी. कड़े संघर्ष के बाद जिंदगी ने सफलता का स्वाद चख ही लिया. छोटू अपनी मेहनत और लगन की बदौलत एक ऐसी कम्पनी का मालिक बन गया है जिसमें 150 कर्मचारी कार्यरत हैं. इतना ही नहीं कम्पनी का टर्नओवर भी 10 करोड़ है.

दिल्ली से सटे हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के एक छोटे से गांव में एक गरीबपरिवार में छोटू का जन्म हुआ था. छोटू शर्मा की कहानी एक ऐसे विजेता की कहानी है जिसने अपनी जिंदगी में चपरासी से लेकर कंपनी के मालिक बनने का दौर देखा है. छोटू के बारे में जो जानकारी उपलब्ध है उसके अनुसार गांव में स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1998 में ढ़लियारा के सरकारी कॉलेज से ग्रेजुएट किया. इसके बाद नौकरी की तलाश में चंडीगढ़आ गया. तकनीकी तौर पर अक्षम रहने की वजह से एक साधारण ग्रेजुएट के लिए नौकरी मिलनाबहुत कठिन था. इन परिस्थितियों में छोटू ने स्थानीय “ऐपटेक” सेंटर में बतौर चपरासी की नौकरी से जीवन की शुरुआत की. कभी तकनीकी रूप से अक्षम छोटू शर्मा को आज चंडीगढ़में “गुरु ऑफ माइक्रोसॉफ्ट टेक्नोलॉजी” के नाम से जाना जाता है.

चंडीगढ़ आने के बाद जब छोटू को कम्प्यूटर नहीं आने की वजह से चपरासी की नौकरी ने यह पाठ पढ़ा दिया था कि कम्प्यूटर सीखना जरूरी है. फिर इसने कम्प्यूटर सीखने का मन बनाया. जिस इंस्टिट्यूट में चपरासी की नौकरी करता था उसी में कम्प्यूटर कोर्स में दाखिला ले लिया. दिन भर चपरासी की ड्यूटी के बीच जब भी उन्हें वक्त मिलता या कोई कम्प्यूटर खाली दिखता वह उस पर प्रैक्टिस शुरू कर देता. दिनभर सेंटर पर काम और रातभर जग कर पढ़ाई. कोचिंग को कम्प्यूटर कोर्स के फी के तौर पर देने के लिए चपरासी के रुप में मिलने वाली तनख्वाहकाफी नहीं थी. अपने बदहाली की खबर छोटू अपने गरीब परिवार से शेयर नहीं करना चाहता था. पैसे की कमी की वजह से की कई रात भूखे पेट पढ़ाई करना विवशता थी अब शर्मा ने बच्चों को घर पर जा कर ट्यूशन देना भी शुरू कर दिया ताकि कुछ ज्यादा पैसा आ सके. इन सबों के बीच छोटू की मेहनत ने रंग दिखाना शुरू कर दिया. एक तो “माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाईड सॉफ्टवेयर डेवलपर” का सर्टिफिकेट मिल गया वहीं दूसरी तरफ ऐपटेक में काम करने का ऑफर मिला. फिर छोटू की दिनचर्या बदल गयी शाम में ऐपटेक में क्लास और दिन में घर जा कर ट्यूशन. अब हाथ की तंगी खत्म हो गयी थी. पैसे की आमदनी हुई तो उसने अपना पहला साईकिल खरीदा. हिम्मत बढ़ी फिर 2002 में उन्होंने खुद का कम्प्यूटर सेंटर खोल लिया. यह संभव हो पाया बचत के पैसे से.बचत के पैसे से उसने एक बाईक और कम्प्यूटर खरीदकर दो कमरों का घर किराये पर लिया और कोचिंग सेंटर की शुरुआत की. सिर्फ 6 महीनेके अंदर शर्मा की कोचिंग में 100 से भी अधिक छात्र हो गए. 

मेहनत और लगनशीलता की बदौलत  देखते ही देखते छोटू शर्मा का नाम डॉट नेट टीचिंग में पूरे चंडीगढ़ में छा गया. आज उनके अधिकतर छात्र 500 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों में काम कर रहे हैं. माइक्रोसॉफ्ट, एक्सेंचर, टीसीएस और इंफोसिस जैसी कंपनियां बड़े पैकेज पर इन छात्रों को नौकरी पर रख रही है. 2007 में छोटू ने चंडीगढ़में CS Infotech नाम से कई कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर खोले. आज 1000 से भी अधिक छात्र कम्प्यूटर की शिक्षा ले रहे हैं और एडवांस सॉफ्टवेयर लैग्वेज सीख रहे हैं. मेहनत और किस्मत ने रंग दिखाना शुरू कर दिया था. छोटू शर्मा ने 2009 में मोहाली में जमीन खरीद कर CS Soft Solutions नाम की सॉफ्टवेयर कंपनी की शुरुआत की. यह कम्पनी देश-विदेश में ग्राहकों को सॉफ्टवेयर बना कर उपलब्ध कराती है. इतना ही नहीं बड़ी-बड़ी कंपनियों को अपनी तकनीकी सेवाएं प्रदान करती है. आज की तारीख में छोटू शर्मा जरुरतमंद की मदद करने में पीछे नहीं रहते. खासकर छात्रों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं. गरीबी से जूझकर अमीरी का झंडा बुलंद करनेवाले छोटू शर्मा जरूरतमंद परिवारों के वरदान हैं.

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