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नीतीश कुमार को हाई स्कूल में ही पढ़ने के दौरान राजकपूर की फिल्म देखने का चढ़ गया शौक, फिर..सिनेमा हॉल में हुआ क्या ?

नीतीश कुमार को हाई स्कूल में ही पढ़ने के दौरान राजकपूर की फिल्म देखने का चढ़ गया शौक, फिर..सिनेमा हॉल में हुआ क्या ?

PATNA: हाई स्कूल की पढ़ाई के दौरान नीतीश कुमार पर राज कपूर की फिल्म देखने का शौक चढ़ा हुआ था।राज कपूर ने अपनी फिल्मों में मुख्य नायक के रूप में महानगर में एक ठेठ देहाती मूर्ख की जो भूमिका निभाई वह नीतीश को बहुत अच्छी लगती थी।यह एक भोले-भाले अनपढ़ गवांर की भूमिका थी जो शहर के अनैतिक,निर्मोही, निष्ठुर वातावरण को समझ नहीं पाता है। क्योंकि वह वातावरण उसके स्वभाव से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है।

नीतीश के स्कूल के दिनों के मित्र मुन्ना सरकार की जुबानी,,,स्कूल और राजकपूर के फ़िल्म देखने की कहानी....

हाई स्कूल के पढ़ाई के दौरान नीतीश पर जब राज कपूर की फिल्में देखने का शौक चढ़ा तो क्या हुआ आखिर नीतीश राज कपूर की कोई भी फिल्म देखने को लालायित क्यों रहते थे नीतीश के स्कूल के दिनों के एक मित्र मुन्ना सरकार बताते हैं कि नीतीश राज कपूर की कोई भी फिल्म तल्लीन होकर देखते थे और जब छोकरे सीसी करते या सीटी बजाते या टीका टिप्पणी करते तो नीतीश को सिनेमाहॉल में ही गुस्सा आ जाता था दुष्टों बुराई की ताकतों के खिलाफ लड़ते हुए भोले भाले गवाही देहाती की अंतिम जीत से नीतीश को कुछ प्रेरणा मिलती थी......

इतना ही नहीं इसके अलावा नीतीश को भावुक कल्पना प्रधान फिल्म देखना भी अच्छा लगता था ।तब नीतीश कॉलेज में पहुंच चुके थे ।कालेज में छात्राएं नहीं थी और कैंटीन में चरकूट बैठकों में अधिकतर इस बात को लेकर विलाप होता था.... नीतीश समेत हम लोगों ने प्रिंसिपल को एक ऐसा ज्ञापन देने की बात भी सोची कि स्त्री-पुरुष में समानता के उच्च सिद्धांत के आधार पर कॉलेज में लड़कियों को भी प्रवेश मिलना चाहिए. हम उस ज्ञापन में अभी लिखना चाहते थे कि सर कॉलेज में लड़कियों के रहने से लड़के भी शांत गंभीर हो जाएंगे ,अनुशासन में रहेंगे और पढ़ाई में अधिक ध्यान लगाएंगे. फिर वह कक्षा से बंक मारकर पड़ोस में पटना साइंस कॉलेज के चक्कर लगाने नहीं जाएंगे, जहां हर विभाग की हर कक्षा में काफी सारी लड़कियां होती हैं, अथवा विश्वविद्यालय मार्ग पर विभिन्न कालेजों में आती जाती लड़कियों की झलक पाने के लिए कालेज मोड़ पर लोगों की तरह खड़े होने खड़े रहना छोड़ देंगे.

लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे, सब लोगों की आंखें घूम फिर कर नीतीश पर टिक जाती. वही हमारा नेता है वह चट्टान को भी हिला सकता है, फिर हंसी का फव्वारा फूट जाता और विषय बदल जाता. फिल्मों की बातें होती निर्मल शिक्षकों राजनीतिक भ्रष्टाचार किसी मित्र की सनक या उसके झक्कीपन तथा मजेदार लडकी से लेकर हर तरफ गुंडों की बड़ी ताकत तक की चर्चा होती, और इन सब बातों के बीच कोई ना कोई एक गिलास चाय के लिए चला आता. हम सबको किसी ऐसी खबर से चौंका देता क्या तुम्हें पता है कि कल दोपहर में हमारे हॉस्टल के कमरे में लड़की थी....... 

पटना साइंस कॉलेज में नीतीश के प्री-विश्वविद्यालय वर्ष के बैच में लड़कियां थी, लेकिन कैंपस का माहौल अभी भी दकियानूसी था। लड़कियां अध्यापक के पीछे कतार बनाकर कक्षा में आती थीं। वे आगे की बेंच पर बैठती थी और लड़के पीछे वाली बेंच पर।प्रेम प्रसंग होते अवश्य थे किंतु बहुत कम । स्त्री चितचोर कभी-कभी कक्षाओं से गायब हो जाते और दूसरे लोग पढ़ते रहते। नीतीश ने कभी किसी लड़की का पीछा नहीं किया। जिसका प्रमुख कारण तो यह था नीतीश संकोची स्वभाव के थे। दूसरी बात यह थी कि छोटे शहर के माहौल में पले बढ़े होने के कारण उन्हें राज्य की राजधानी जैसे बड़े नगर में बड़ी हुई लड़कियों के साथ घुलने मिलने बड़ी हिचकिचाहट होती थी ।

पटना साइंस कॉलेज के उनके दोस्तों का कहना है कि वह लड़कियों से या उनके बारे में शायद ही कभी बातें करते थे। उनका यह संकोच बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ाई के दौरान भी उनके साथ रहा। वह हमारे गंदे अश्लील चुटकुलों पर खूब हंसते, लेकिन कभी किसी को बताते नहीं थे। हम में से अधिकतर लोगों के विपरीत व अनुराग या आक्रोश दर्शाने के लिए कभी कलुषित,कामुक शब्दों का प्रयोग नहीं करते थे।लेकिन वह जिंदगी में उतना ही रस लेते जितना कि हम सब .........क्रमशः........

साभार-नीतीश कुमार और उभरता बिहार

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