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CM साहब काहे की शराबबंदी? वैशाली से लेकर मुजफ्फरपुर-गोपालगंज तक 'शऱाब' से मौत का तांडव, शराबबंदी फेल करने वाले अफसर 'पत्रकारों' पर ही उतार रहे गुस्सा

CM साहब काहे की शराबबंदी? वैशाली से लेकर मुजफ्फरपुर-गोपालगंज तक 'शऱाब' से मौत का तांडव, शराबबंदी फेल करने वाले अफसर 'पत्रकारों' पर ही उतार रहे गुस्सा

PATNA:  बिहार में कहने को शराबबंदी है लेकिन हर जगह शराब है। ड्राई स्टेट में लगातार जहरीली शराब से लोगों की मौत का सिलसिला जारी है। यूं कहें कि सूबे में शराब से मौत का तांडव हो रहा और सरकार जान जाने के बाद दिखावे के लिए कार्रवाई कर रही। हाल के महीनों में तीन जिलों में जहरीली शराब से मौत का तांडव हुआ है। पहले पश्चिम चंपारण इसके बाद वैशाली फिर मुजफ्फरपुर और अब गोपालगंज। अगली बारी किस जिले की है कहा नहीं जा सकता। बड़ा सवाल यही है कि जब बिहार में शराबबंदी है तो फिर शराब या जहरीली शराब मिल कैसे रहा? मीडिया में लगातार शराब की बेधड़क सप्लाई व निर्माण की खबरें लिखी-दिखाई जाती हैं। इससे सुशासन के अफसरों को भारी तकलीफ होती है। अब तो शराब की सप्लाई व निर्माण से संबंधित खबर पर अधिकारी इतने गुस्से में आ जाते हैं कि थाने में जाकर पत्रकारों पर ही केस दर्ज करवाने से बाज नहीं आते। अब समय आ गया है कि अपनी कमी छुपाने को लेकर पत्रकारों को निशाना बनाने वाले वैसे अफसरों को बालू खनन में मलाई खाने वाले अफसरों की तरह बेनकाब करें. 

कहां है शराबबंदी? 

हाल के महीनों में बिहार के चार जिलों में जहरीली शराब से चार दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। पहले पश्चिम चंपारण फिर वैशाली इसके बाद मुजफ्फरपुर और अब गोपालगंज में जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है। इसके पहले मार्च महीने में नवादा में भी 15 से अधिक लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई थी। गोपालगंज जिले के मोहम्‍मदपुर के कुसहर गांव में जहरीली शराब के सेवन से पांच लोगों की मौत हो गई है। 1-2 नवंबर के बीच एक के बाद एक पांच लोगों के मरने और कई लोगों के बीमार होने की सूचना से हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि उन्‍होंने जहरीली शराब का सेवन किया था। घटना के बाद पुलिस व प्रशासन के अधिकारी गांव पहुंच जांच कर रहे। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम भी गांव में कैंप कर रही है। कई बीमार लोगों का इलाज सदर अस्‍पताल में किया जा रहा है। मरने वालों में से एक के स्‍वजनों ने बताया कि वह नियमित रूप से शराब का सेवन करता था। मंगलवार को आधी रात के बाद अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। घटना को लेकर पुलिस आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की है।

वैशाली से लेकर मुजफ्फरपुर- गोपालगंज तक शराब से हो रही मौत

अक्टूबर महीने में मुजफ्फरपुर जिले में जहरीली शराब से 8 लोगों की मौत गई थी। 28 अक्टूबर से पहले तीन दिन में सरैया के आठ लोग दम तोड़ चुके थे। घटना रूपौली व सिउड़ी ऐमा गांव में हुई। पुलिस ने चार मृतकों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया, जबकि दो शवों का पुलिस के पहुंचने से पूर्व परिजन दाह-संस्कार कर चुके थे। इसकी सूचना पर डीएम प्रणव कुमार, एसएसपी जयंतकांत, डीडीसी आशुतोष द्विवेदी के अलावा आरएफएसएल की टीम, सीआईडी, विशेष शाखा, उत्पाद विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर छानबीन की। पुलिस को आशंका जताई कि एक ही शराब माफिया ने इलाके में शराब की बिक्री की थी।

अगस्त महीने में वैशाली के राघोपुर के जुड़ावनपुर थाना क्षेत्र के चकसिंगार गांव में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो गई।घटना के बाद से इलाके में हड़कंप मच गया। सूचना पर वैशाली डीएम उदिता सिंह और एसपी मनीष ने घटनास्थल का दौरा किया। इस दौरान इलाके में धड़ल्ले से बिक रही शराब मामले के बारे में ग्रामीणों से पूछताछ की गई वही डीएम एसपी ने पीड़ित परिजनों से भी मुलाकात कर मामले की जानकारी ली। राघोपुर दौरा के दौरान वैशाली एसपी मनीष कुमार ने 5 लोगों की मौत हो जाने की पुष्टि की और कहा कि ग्रामीणों के मुताबिक लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है लेकिन उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक जांच के बाद ही इस बात का खुलासा हो सकेगा।जुलाई महीने में पश्चिम चम्पारण के लौरिया और रामनगर प्रखंड क्षेत्र में जहरीली शराब के सेवन से 16 लोगों की मौत गई। मौत के बाद जिला प्रशासन की ओर से गांव में छापेमारी की गई। मामले में मुमताज मियां के भाई भोला मियां के बयान पर दो नामजद समेत अज्ञात पर एफआईआर दर्ज की गई .  वहीं 30 मार्च से 02 अप्रैल 2021 के बीच नवादा में शराब पीने से 15 लोगों की मौत अलग-अलग जगहों पर हो गयी थी। पुलिस-प्रशासन तथा राज्यस्तरीय जांच टीम ने हालांकि इनकी मौत की वजह नकली शराब (स्पूरियस लिकर) से होने की प्रथम दृष्टया आशंका जतायी थी, अब जबकि जांच रिपोर्ट सामने आ चुकी है, पुलिस ने स्पष्ट कर दिया कि इनकी मौत की वजह जहरीली शराब पीना ही था।

सीएम नीतीश जल्द करेंगे शराबबंदी की समीक्षा

हालांकि, बिहार में सुशासन के अधिकारी इतने बेलगाम हैं कि शराब बिक्री और सप्लाई से संबंधित खबर लिखने पर पत्रकारों को ही शराब धंधेबाज बता थाना में केस दर्ज करने से बाज नहीं आते। ताजा मामला मोतिहारी का है। जहां हर जगह शऱाब बनने और सप्लाई की खबर लिखे जाने से तिलमिलाये उत्पाद अधीक्षक ने पत्रकार पर ही मोतिहारी के नगर थाने में केस दर्ज करा दिया। दो दिन सीएम नीतीश ने पटना में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि कोरोना में ध्यान बंटने की वजह से शराबबंदी की समीक्षा नहीं कर सके हैं,लेकिन जल्द ही इसकी समीक्षा करेंगे। मुख्यमंत्री को ऐसे लापरवाह और गैर जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की जांच करवानी चाहिए।

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