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राजभवन-सरकार में टकराव बढ़ा! राजभवन ने सरकार को पत्र लिख SVU की कार्रवाई को बताया कानून का उल्लंघन

राजभवन-सरकार में टकराव बढ़ा! राजभवन ने सरकार को पत्र लिख SVU की कार्रवाई को बताया कानून का उल्लंघन

PATNA : पिछले कुछ माह से बिहार के विश्वविद्यालयों को लेकर राजभवन और प्रदेश सरकार के बीच खिंचातानी चल रही है। जिसमें थोड़े समय के लिए विराम लगा था, लेकिन अब एक बार फिर से सरकार और राजभवन के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गया है। विश्वविद्यालयों में जिस तरह से भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, उसको लेकर सरकार द्वारा गठित विशेष निगरानी ईकाई की कार्रवाई को राजभवन ने कानून का उल्लंघन बताया है और सरकार को साफ कर दिया है कि उनके बिना अनुमति के किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। 

इस संबंध में बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति द्वारा शिक्षण संस्थानों के स्वायतता को लेकर सरकार को लेटर लिखा है। इस लेटर में राजभवन ने बिना विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) द्वारा सीधे विश्वविद्यालयों को सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश देने के मामले में अपनी नाराजगी जाहिर की है। यह लेटर राज्यपाल के प्रधान सचिव आर एल चोंग्थू ने मंगलवार को इस मामले में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को भेजा है।

विश्वविद्यालयों में विशेष निगरानी ईकाई के दखल को राजभवन ने विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर कुठाराघात माना है। लेटर में लिखा गया है कि इस प्रकार राज्यपाल सह कुलाधिपति से पूर्वानुमति प्राप्त किए बिना किसी प्रकार की कार्रवाई करना कानून का स्पष्ट उल्लंघन है। यह पत्र भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (यथासंशोधित 2018) के सेक्शन 17-A में उल्लखित प्रावधानों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित किए जाने को लेकर भेजा गया है।
 कुलाधिपति के पास है सारे अधिकार 
 विशेष निगरानी इकाई द्वारा विश्वविद्यालयों के महत्वपूर्ण निर्णयों एवं वित्तीय प्रकरणों में जांच के लिए सीधे विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया जा रहा है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के सेक्शन 17 A के प्रावधानों से स्पष्ट है कि ऐसी कार्रवाई करने के पहले सक्षम प्राधिकार की पूर्वानुमति आवश्यक है।
 सक्षम प्राधिकार की पूर्वानुमति बिना किसी प्रकार की कार्रवाई इस कानून के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है, जो अनुचित है। विश्वविद्यालयों के प्रकरण में सक्षम प्राधिकार कुलाधिपति हैं।

विवि के कर्मियों पर बढ़ रहा है दबाव
 पत्र में लिखा है कि बिना पूर्वानुमति के एसवीयू का कार्रवाई करना अधिनियम का उल्लंघन है। इससे विश्वविद्यालयों में अनावश्यक रूप से भय का वातावरण उत्पन्न हो रहा है। पदाधिकारियों और कर्मचारियों पर निरर्थक मानसिक दबाव भी पड़ रहा है। दैनिक कार्य और शैक्षणिक वातावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

राजभवन की तरफ से साफ कहा गया है कि इस प्रकार की कार्रवाई विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर कुठाराघात है। यदि अपरिहार्य कारणों से किसी कार्रवाई की आवश्यकता होती है, तो इसे विधि द्वारा स्थापित नियमों के प्रावधानों के अनुकूल किया जाना चाहिए।

सरकार और राजभवन के बीच बढ़ सकती है तकरार

राजभवन की तरफ से यह लेटर ऐसे समय में जारी किया गया है, जब आज गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल गांधी मैदान में झंडोतोलन कर रहे हैं और इस दौरान राज्य सरकार के   द्वारा तैयार अभिभाषण को पढ़नेवाले हैं। एसवीयू के कार्रवाई को लेकर जारी इस लेटर के बाद माना जा रहा है सरकार और राजभवन के बीच दूरियां एक बार फिर से बढ़ सकती हैं।


 



 

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